आरटीआई कानून नागरिकों को सरकार की गतिविधियों की जानकारी देने में सहायक : डा. गुलशन

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ
हिसार । लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के के अधिष्ठाता डा. गुलशन नारंग ने कहा है कि सूचना का अधिकार अधिनियम का मूल उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाने, सरकार के कार्य में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को बढ़ावा देना, भ्रष्टाचार को नियंत्रित करना और वास्तविक अर्थों में हमारे लोकतंत्र को लोगों के लिए कामयाब बनाना है। यह स्पष्ट है कि एक जानकार नागरिक प्रशासन के साधनों पर आवश्यक सतर्कता बनाए रखने के लिए बेहतर सक्षम है और सरकार को अधिक जवाबदेह बनाता है।
डा. गुलशन नारंग शनिवार को लुवास के मानव संसाधन एवं प्रबंधन निदेशालय की ओर से प्राध्यापकों एवं वैज्ञानिकों के लिए आयोजित सूचना के अधिकार एवं तनाव नियंत्रण पर चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन अवसर पर संबोधन दे रहे थे। उन्होंने बताया कि यह कानून नागरिकों को सरकार की गतिविधियों के बारे में जानकारी देने के लिए सहायक है।
उन्होंने प्रशिक्षनार्थियों को स्ट्रेस मैनेजमेंट के बारे में बताया कि आपको जो इस ट्रेनिग में विशेषज्ञों द्वारा जो टिप्स मिलें है उनकी लगातार प्रैक्टिस करके आप स्ट्रेस को कम कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि जितना काम आप पेंडिंग रखेंगे स्ट्रेस बढ़ेगा इसलिए जितना हो सकें काम को समय पर करने की कोशिश करें एवं काम को एक जिम्मेवारी के रूप में लें जिससे कि आप में तनाव होने की संभावना काफी कम हो जाएगी|
विभागाध्यक्ष डॉ. सज्जन सिहाग ने मिल्लेट्स के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि बदलती लाइफस्टाइल के कारण बीमारियां भी बढ़ने लगी है। लोग अब धीरे-धीरे पुराने खान-पान की तरफ लौटने लगे हैं। पुराने खान-पान में मिलेट्स की मात्रा भरपूर होती थी, लेकिन शॉर्टकट खान-पान के चक्कर में वक्त के साथ-साथ इनसे दूर होने लगे।
मिलेट्स के प्रति लोगों में अब जागरूकता बढ़ी है। यह चिकित्सीय गुणों से युक्त होते हैं। उन्होंने बताया कि बाजरा, रागी, अमरनाथ या रामदाना, कुट्टू, सानवा और ज्वार आदि मोटे अनाज के उदाहरण हैं इनके फायदे पाचन से शुरू होकर मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल लेवल और उत्तकीय मरम्मत करने तक में दिखते हैं। मोटे अनाज का सेवन हमारे देश व प्रदेश के वातावरण के अनुसार हमारे स्वास्थ्य के लिए सही है।
मानव संसाधन निदेशालय के निदेशक डॉ. सुरेंद्र सिंह ढाका ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्राध्यापकों को सूचना के अधिकार के विभिन्न पहलुओं की जानकारी देना था। इस ट्रेनिंग के दौरान दिए गए विभिन्न व्यख्यानों के बारे में जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि हमें क्या सूचना देनी है, क्या नहीं देनी तथा इसका तरीका क्या होगा इस बारे में विभिन्न विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को बताया।
इसके साथ-साथ सूचना के अधिकार पर जो हाईकोर्ट एवं सर्वोच्च न्यायालय ने जो निर्णय दिए है उनकी विस्तार से चर्चा कि गयी। उन्होंने प्रतिभागियों से आगे होने वाले ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम को और बेहतर बनाने के लिए सुझाव भी आमंत्रित किये।
प्रतिभागियों की तरफ से इस कार्यक्रम पर अपना आंकलन पेश करते हुए वैज्ञानिक डॉ. जाधव ने प्रशिक्षण को लाभदायक एवं स्वयं की कार्यक्षमता का विकास करने वाला बताया। प्रशिक्षण संयोजन डॉ. संदीप गुप्ता ने सभी विशेषज्ञों एवं प्रतिभागियों का इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए धन्यवाद किया।