होली पर मुख्यमंत्री धामी सपत्नीक पहुंचे कनखल, दक्ष मंदिर में की पूजा-अर्चना
 

 होली पर मुख्यमंत्री धामी सपत्नीक पहुंचे कनखल, दक्ष मंदिर में की पूजा-अर्चना

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

हरिद्वार । फाग की पूर्व संध्या और होलिका दहन के अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सपत्नीक हरिद्वार स्थित दक्ष नगरी कनखल पहुंचे, जहां उन्होंने प्रजापति दक्षेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया और महालक्ष्मी की पूजा अर्चना की।

वैदिक विधि विधान से की गई पूजा का संपूर्ण कार्यक्रम महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी के सानिध्य में विद्वान पंडितों ने संपन्न कराया। मुख्यमंत्री करीब तीन घंटे दक्ष मंदिर परिसर में रहे।

मंगलवार को होलिका दहन के पवित्र अवसर पर मुख्यमंत्री धामी अपनी पत्नी के साथ आम श्रद्धालुओं की तरह पौराणिक राजधानी कनखल पहुंचे, जहां महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव श्रीमंत रविंद्र पुरी ने उनका स्वागत किया।

धामी ने दक्षेश्वर महादेव मंदिर में भगवान भोले भंडारी का रुद्राभिषेक किया तथा मां महालक्ष्मी की पूजा अर्चना की। उन्होंने इस अवसर पर संपन्न हुए हवन में आहुतियां दीं। बाद में मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा ''आज होली के शुभ अवसर पर हरिद्वार स्थित दक्ष प्रजापति मंदिर में पूजा अर्चना कर समस्त प्रदेशवासियों के सुख समृद्धि की कामना की।'' इस अवसर पर भाजपा के पूर्व विधायक संजय गुप्ता उनके साथ रहे।

श्रीमहंत रवींद्र पुरी ने बताया कि कनखल भगवान शिव का ससुराल है और दक्षेश्वर महादेव ब्रह्मांड के प्रथम शिवलिंग है। देवी सती से संबद्ध देशभर के 52 शक्तिपीठों की कथा भी हरिद्वार के कनखल से ही जुड़ी हुई है।

उन्होंने बताया मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी पत्नी के साथ कनखल के पौराणिक स्थल में वैदिक विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर प्रदेश की उन्नति और राज्य के निवासियों की बेहतरी की कामना की।

उन्होंने बताया कि आज होली के साथ मां महालक्ष्मी का जन्मदिन भी है। समुद्र मंथन के समय 14 रत्नों में एक महालक्ष्मी भी प्रकट हुई थीं और महालक्ष्मी ने भगवान विष्णु का पति के रूप में वरण कर लिया था। होली की कथा भक्त प्रह्लाद से जुड़ी हुई है। भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार धारण किया था। इसलिए होली पर महालक्ष्मी और भगवान नारायण की पूजा का भी बड़ा महत्व है।
 

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