सुधर नहीं रही दिल्ली की हवा, AQI 335 यानी बहुत खराब, पंजाब की सफाई-पराली जलाने की घटनाएं 30% कम
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Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ
नई दिल्ली। दिल्ली में सर्दी ने दस्तक दे दी है। सुबह-शाम मौसम गुलाबी होने लगा है। हालांकि दोपहर में तेज धूप से गर्मी का अहसास भी होता है। खैर, सर्दी का यह मौसम दिल्ली के लिए टेंशन भी लाता है।
सर्दी के साथ ही वायु प्रदूषण(air pollution) बढ़ जाता है। पंजाब सरकार का दावा है कि उसके यहां पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है, बावजूद दिल्ली की वायु गुणवत्ता यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स(AQI) अभी भी बहुत खराब कैटेगरी में बना हुआ है। सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) के अनुसार दिल्ली में AQI 335 (बहुत खराब) श्रेणी में है।
पिछले साल की तुलना में पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 30 फीसदी की गिरावट
इधर, पंजाब के पर्यावरण मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने कहा है कि इस सीजन में 15 सितंबर से 30 नवंबर तक पराली जलाने की घटनाओं में पिछले साल की तुलना में 30 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
हेयर ने बुधवार को चंडीगढ़ में कहा कि राज्य में इस सीजन में पराली जलाने की 49,907 घटनाएं हुईं, जबकि पिछले साल 71,304 घटनाएं हुई थीं। हेयर ने कहा कि पराली जलाना अकेले पंजाब की समस्या नहीं है, यह पूरे देश की समस्या है।
मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा धान की पराली नहीं जलाने पर किसानों को वित्तीय सहायता देने के राज्य सरकार के प्रस्ताव को खारिज करने के बावजूद पराली जलाने के मामले कम हुए हैं।
उन्होंने दावा किया कि अगर केंद्र की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया होती, तो पराली जलाने की घटनाओं में और कमी आती। जुलाई में, दिल्ली और पंजाब सरकारों ने संयुक्त रूप से केंद्र और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को एक प्रस्ताव भेजा था, जिसमें उन्हें पंजाब में किसानों को पराली न जलाने पर प्रति एकड़ 2,500 रुपये नकद प्रोत्साहन देने में मदद करने के लिए कहा गया था।
हालांकि, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के मुताबिक केंद्र ने सितंबर में इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।
हेयर ने कहा कि करीब एक करोड़ टन पुआल का प्रबंधन इन-सीटू प्रबंधन(in-situ management-mixing crop residue in fields) यानी खेतों में फसल अवशेषों को मिलाकर के जरिए किया गया, जो पिछले साल की तुलना में करीब 25 फीसदी ज्यादा है।
इसी तरह, 1.8 मिलियन टन पराली का प्रबंधन एक्स-सीटू पद्धति (ईंधन के रूप में पराली का उपयोग) के माध्यम से किया गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 33 प्रतिशत अधिक है।