विराट से हाथ न मिलाने की वजह से चर्चा में हैं , पढ़ें सौरव गांगुली के प्रिंस ऑफ कोलकाता से दादा बनने की कहानी

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ
कोलकाता । साल 2000 से पहले का एक दौर था, जब भारतीय टीम मैच तो जीतती थी, लेकिन उसमें आक्रमकता की कमी हाेती थी। लेकिन साल 2000 के बाद दौर बदला और भारतीय क्रिकेटरों का अंदाज भी। भारतीय क्रिकेट टीम आक्रामक हो गई। वह शिकार को दबोचने लगी। क्योंकि इस दौर में भारतीय टीम की कप्तानी सौरव गांगुली के हाथ में थी। उन्होंने टीम को आक्रामक और बाेल्ड बनाया।
सौरव ने भारतीय क्रिकेट में जो आक्रमकता की आदत डाली उसका असर हम मौजूदा समय में भी देख पाते हैं। इसी एग्रेसिव नेचर ने सौरव गांगुली को प्रिंस ऑफ कोलकाता से दादा बना दिया। दादा जो भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक हैं, आज भी लोग जिनकी शानदार बैटिंग स्टाइल को सबसे ज्यादा याद करते हैं। जिनके खेल को देखकर वेंकटेश अय्यर जैसे कई युवा खिलाड़ियों ने अपनी बल्लेबाजी का अंदाज बदल लिया। फिलहाल वही दादा आईपीएल मैच के दौरान विराट से हाथ न मिलाने की वजह से चर्चा में हैं।
आज लग्जरी लाइफ में जानिए सौरव गांगुली की आलीशान जिंदगी के बारे में…
शैतानियों को कम करने के लिए भेजा गया था क्रिकेट स्टेडियम
सौरव गांगुली का क्रिकेट कनेक्शन दसवीं के बाद हुई स्कूल की छुट्टियों से शुरू होता है। सौरव बचपन से ही खूब शैतान थे। स्कूल से छुट्टी मिली तो शैतानियां भी बढ़ गई। उनकी शैतानियों को कम करने के लिए घर वालों ने एक फैसला लिया। ध्यान भटकाने के लिए सौरव को क्रिकेट स्टेडियम भेजा जाने लगा और इस तरह उनकी जिंदगी में क्रिकेट की एंट्री हुई। उस दौरान गांगुली नेट्स पर सिर्फ बॉलिंग और फील्डिंग करते थे। कभी बल्लेबाजी का मौका मिलता भी तो वो बड़े भाई के पैड्स और ग्लव्स पहनकर लेफ्ट हैंड से बैटिंग किया करते थे। जबकि असल में सौरव लिखते-पढ़ते राइट हैंडे से हैं।
टाइफाइड ने सौरव की किस्मत बदली, रणजी में मिला मौका
साल 1987 के समय पूरा बंगाल टाइफाइड के चपेट में था। इसी दौरान एक मैच से पहले बंगाल अंडर 15 के 7 खिलाड़ियों को टाइफाइड हो गया। इन्हीं 7 के रिप्लेसमेंट में एक नाम सौरव गांगुली भी था। सौरव ने मौके का खूब फायदा उठाया और मैच में शतक बनाकर टीम को जीत दिलाई। इस पारी के बाद गांगुली क्रिकेट को लेकर सीरियस हो गए। उन्हें जब भी मौका मिलता वो अच्छा प्रदर्शन करने पर जोर देते। उनके बेहतरीन प्रदर्शन की वजह से ही साल 1989 में बंगाल रणजी टीम में सिलेक्शन हुआ। लेकिन वो एक भी मैच नहीं खेल पाए। फिर आया साल 1989 रणजी फाइनल, गांगुली को रणजी डेब्यू करने का मौका मिला और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
पहले इंटरनेशनल मैच में ही सौरव गांगुली से जुड़ गया था विवाद
1991-92 में गांगुली ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर भारतीय टीम का हिस्सा थे। इसी दौरे में उन्होंने अपना वनडे डेब्यू किया था। इसी दौरे के वक्त गांगुली को मैदान पर मौजूद अपने साथियों के लिए कोल्ड ड्रिंक्स ले जाने को कहा गया। गांगुली ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया, जिसके बाद उन्हें टीम से 4 साल के लिए सस्पेंड कर दिया गया। हालांकि कई सालों बाद एक इंटरव्यू में सौरव गांगुली ने इस बात को अफवाह बताया था, उनके मुताबिक ऐसा कुछ नहीं हुआ था। उन्होंने इतना जरूर कहा था कि उस समय हमारा मैनेजर अच्छा नहीं था। वैसा मैनेजर होना टीम के लिए शर्म की बात थी।
रोचक: टीम जब खराब खेलती थी तो गांगुली सबको बिस्किट खिलाते थे
एक इंटरव्यू में भारतीय टीम के पूर्व विकेट कीपर पार्थिव पटेल ने सौरव गांगुली से जुड़ी एक रोचक बात साझा की। पार्थिव बताते हैं कि सौरव के समय जब भी हमारी टीम खराब प्रदर्शन करती थी या अच्छा महसूस नहीं कर रही होती थी तब सौरव गांगुली सभी खिलाड़ियों को अच्छा महसूस करवाने की कोशिश करते थे। सबको एक साथ मोटिवेट करते थे। दादा हमेशा अपने साथ मैरीगोल्ड बिस्किट रखते थे। जब भी कुछ ऐसा बुरा होता था तो वो बिस्किट खाने के लिए देते थे।
कोलकाता में है सौरव गांगुली का आलीशान ‘महल’
( अपने घर में आमिर खान से गले मिलते सौरव गांगुली )
सौरव गांगुली का कोलकाता में एक महलनुमा बंगला है। जो करीब 65 साल पुराना है। गांगुली कोलकाता के बेहला स्थित इस बंगले में बीते 50 सालों से रह रहे हैं। उनके इस पैतृक निवास में इंटीरियर का पूरा काम बंगाली संस्कृति से भरा हुआ है। उनके इस घर में क्रिकेट पिच के साथ एक बड़ा सा जिम भी बना हुआ है। वहीं घर के एक कमरे में उनके क्रिकेट करियर के दौरान मिली तमाम ट्रॉफियों को रखा गया है। गांगुली इस आशियाने में अपने परिवार के साथ रहते हैं। उनके इस 4 मंजिला बंगले में 48 कमरे हैं। इसके अलावा पिछले साल दादा ने कोलकाता में ही एक नया घर खरीदा है। इसे गांगुली ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के चीफ बनने के बाद 40 करोड़ रुपए में खरीदा है।
प्रिंस ऑफ कोलकाता को लग्जरी गाड़ियों का भी शौक
महलनुमा बंगले में रहने वाले दादा को लग्जरी गाड़ियों का भी शौक है। सौरव गांगुली के कार कलेक्शन में शामिल हैं, 2 करोड़ की BMW 7 Series, 84 लाख की Mercedes-Benz CLK 230 और 70 लाख की Audi Q5। इन सब के अलावा मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो प्रिंस ऑफ कोलकाता के पास कुल 20 से ज्यादा मर्सिडीज कारें हैं।
(सौरव गांगुली की सबसे यादगार तस्वीर)
एक एंडोर्समेंट के लिए दादा लेते हैं 1 करोड़ रुपए
1999 से 2005 तक भारतीय टीम की कप्तानी करने के बाद गांगुली 2008 में क्रिकेट से रिटायर हुए थे। मौजूदा समय में उनकी नेटवर्थ 600 करोड़ से भी ज्यादा है। फिलहाल गांगुली दिल्ली कैप्टिल्स के साथ डायरेक्टर ऑफ क्रिकेट के रूप में जुड़े हुए हैं। इसके अलावा दादा कई ब्रांड्स का पसंदीदा चेहरा भी हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार एक ब्रांड को एंडोर्स करने के लिए दादा 1 करोड़ रुपए चार्ज करते हैं।