थर्ड अंपायर ही तय करेगा कैच हुआ या नहीं:सॉफ्ट सिग्नल का नियम खत्म; अब 3 कंडीशंस में हेलमेट पहनना भी जरूरी

थर्ड अंपायर ही तय करेगा कैच हुआ या नहीं:सॉफ्ट सिग्नल का नियम खत्म; अब 3 कंडीशंस में हेलमेट पहनना भी जरूरी

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

दुबई । आईसीसी क्रिकेट समिति ने खेल के कई नियमों में बदलाव किए हैं। बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष सौरव गांगुली की अगुआई वाली समिति ने मैदानी अंपायरों द्वारा दिए जाने वाले 'सॉफ्ट सिग्नल' को खत्म कर दिया है। इसके अलावा फ्री हिट पर अगर गेंद स्टंप पर लगती है तो बल्लेबाज को रन लेने की अनुमति होगी। सॉफ्ट सिग्नल की कई बार आलोचना हो चुकी है। इस कारण आईसीसी ने इसे हटा ही दिया है।

इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने सॉफ्ट सिग्नल के नियम को खत्म कर दिया है। यानी अब थर्ड अंपायर ही तय करेगा कि फील्डर ने कैच सही तरह से पकड़ा है या नहीं। साथ ही अब 3 कंडीशंस में फील्डर्स, विकेटकीपर और बैटर्स का हेलमेट पहनना भी जरूरी होगा।

इन नियमों की शुरुआत इंग्लैंड और आयरलैंड के बीच 1 जून से इंग्लैंड के लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड पर होने वाले टेस्ट मैच से होगी। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 7 जून को होने वाले WTC फाइनल में भी नए नियमों का इस्तेमाल होगा।

सॉफ्ट सिग्नल से जुड़ी इस खबर को सवाल-जवाब से समझिए...

सॉफ्ट सिग्नल क्या है?
मैच के दौरान ग्राउंड अंपायर अगर कोई कैच थर्ड अंपायर के पास रेफर करता था तो उसे सॉफ्ट सिग्नल के जरिए यह बताना होता था कि उसकी अपनी राय क्या है। यानी ग्राउंड अंपायर भले ही कैच को लेकर कन्फ्यूज रहता हो, लेकिन उसे थर्ड अंपायर को यह बताना होता था कि उसकी नजर में डिसीजन आउट है या नॉटआउट।

ग्राउंड अंपायर ने सॉफ्ट सिग्नल में जो कहा है, उसे थर्ड अंपायर तब तक नहीं बदल सकता, जब तक उसके पास इसके लिए कन्क्लूसिव एविडेंस यानी निर्णय करने लायक सबूत न हो। यानी अगर थर्ड अंपायर भी श्योर नहीं है कि कैच क्लीन है या नहीं, तो इस स्थिति में ग्राउंड अंपायर के सॉफ्ट सिग्नल को ही फाइनल डिसीजन मान लिया जाता था।

क्या बदलाव किया जाएगा?
सॉफ्ट सिग्नल हमेशा से क्रिकेट विशेषज्ञों के बीच चर्चा का विषय रहा है। सौरव गांगुली की अध्यक्षता वाली ICC क्रिकेट कमेटी ने इसे खत्म करने का सुझाव दिया था। अब ICC ने क्रिकेट कमेटी के सुझाव को अमल में लाते हुए सॉफ्ट सिग्नल को खत्म कर दिया है।

अब फील्ड अंपायर कैच का रिव्यू लेने के लिए अगर थर्ड अंपायर के पास रेफर करता है तो वह अपना सुझाव नहीं देगा। अब थर्ड अंपायर तकनीक के आधार पर रिव्यू कर खुद फैसला सुनाएगा और थर्ड अंपायर के फैसले को ही सही माना जाएगा।

सॉफ्ट सिग्नल को लेकर कब-कब विवाद हुआ?

1. इंग्लैंड-पाकिस्तान टेस्ट: पिछले साल इंग्लैंड के पाकिस्तान दौरे पर खेले गए तीन टेस्ट मैचों की सीरीज के दूसरे मैच में पाकिस्तान के युवा बल्लेबाज सऊद शकील को सॉफ्ट सिग्नल के आधार पर आउट दिया गया था। इस टेस्ट में पाकिस्तान को 26 रन से हार का सामना करना पड़ा।

इस मैच में पाकिस्तान को दूसरी पारी में जीत के लिए 355 रन बनाने थे। सऊद शकील 213 गेंदों में 94 रन चुके थे। इंग्लैड के गेंदबाज मार्क वुड की एक गेंद पर शकील ने शॉट खेला जिसे वो सही से टाइम नहीं कर पाए। गेंद विकेटकीपर ओली पोप के पास गई। पोप ने डाइव मारते हुए गेंद को लपका और कैच की अपील की। फील्ड अंपायर ने इसे थर्ड अंपायर के पास रेफर करने के साथ ही सॉफ्ट सिग्नल में आउट दे दिया था।

जब रिप्ले में इसे स्लो मोशन में देखा गया तो गेंद जमीन को छूते हुए दिखाई दी। ऐसे में यह निर्णय लेना कि पोप की उंगली गेंद के नीचे थी कि नहीं, यह काफी मुश्किल था। थर्ड अंपायर ने कहा कि उसके पास कन्क्लूसिव एविडेंस नहीं है। सॉफ्ट सिग्नल के आधार पर शकील को आउट करार दिया गया। इसके बाद सोशल मीडिया पर सॉफ्ट सिग्नल पर सवाल उठने लगे।

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