चीता: कुछ दिलचस्प तथ्य , भारत में चीता आखिरी बार 1947 में देखा गया था और 1952 में चीते को भारत में लुप्त घोषित कर दिया गया था

Cheetah: Some Interesting Facts, Cheetah was last seen in India in 1947 and in 1952 Cheetah was declared extinct in India
अपनी तेज रफ्तार के लिए दुनिया में विख्यात बिल्ली की प्रजाति का जानवर चीता 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जमीन पर सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर है और हर सेकेंड में चार छलांग लगाता है। गति पकड़ने के मामले में चीता स्पोर्ट्स कार से भी तेज होता है, जो मात्र तीन सेकेंड में ही शून्य से 97 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज रफ्तार पकड़ लेता है। पूरी ताकत से दौड़ने पर यह 7 मीटर यानी 23 फुट लंबी छलांग लगा सकता है। 

Newspoint24/योगेश कुमार गोयल

  

भारत में चीता आखिरी बार 1947 में देखा गया था और 1952 में चीते को भारत में लुप्त घोषित कर दिया गया था। अब चीतों को दोबारा भारत में बसाने की कोशिश हो रही है, जिसकी शुरुआत नामीबिया से भारत में लाए गए 8 चीतों से हो गई है, जिन्हें मध्य प्रदेश के कूना नेशनल पार्क में रखा गया है। 75 वर्ष की बेहद लंबी अवधि के बाद भारत की धरती पर चीतों ने कदम रखा है और ऐसे में चीते की कुछ प्रमुख विशेषताओं को जानना भी दिलचस्प है।

120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जमीन पर सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर

अपनी तेज रफ्तार के लिए दुनिया में विख्यात बिल्ली की प्रजाति का जानवर चीता 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जमीन पर सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर है और हर सेकेंड में चार छलांग लगाता है। गति पकड़ने के मामले में चीता स्पोर्ट्स कार से भी तेज होता है, जो मात्र तीन सेकेंड में ही शून्य से 97 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज रफ्तार पकड़ लेता है। पूरी ताकत से दौड़ने पर यह 7 मीटर यानी 23 फुट लंबी छलांग लगा सकता है। हालांकि यह बिल्ली प्रजाति के अन्य जीवों की ही भांति काफी समय सुस्ताते हुए बिताता है।

चीते के बारे में यह तो हर कोई जानता है कि यह दुनिया का सबसे तेज रफ्तार से दौड़ने वाला जानवर है लेकिन यह प्रायः कम लोग ही जानते हैं कि चीते ज्यादा लंबा नहीं दौड़ सकते। चीता बहुत लंबी दूरी तक तेज गति से नहीं दौड़ सकता और यह दूरी प्रायः 450 मीटर से ज्यादा नहीं होती।

चीते आमतौर पर दिन के दौरान शिकार करते हैं , शिकार को छोड़कर नहीं जाता

चीते आमतौर पर दिन के दौरान शिकार करते हैं, जब शेर बहुत सक्रिय नहीं होते हैं। चीता खुले मैदानों में शिकार करने का आदी होता है तथा प्रायः सप्ताह में एक बार ही शिकार करता है और वर्षभर में 50 जानवरों से उसका काम चल जाता है। माना जाता है कि चीता अपने शिकार को छोड़कर नहीं जाता और उसके शिकार में किसी की हिस्सेदारी नहीं होती।

शेर और बाघ के मुकाबले चीते बहुत पतले होते हैं। इनके सिर भी काफी छोटे होते हैं, इसके अलावा इनकी कमर पतली होती है। इनके शरीर पर काले धब्बे होते हैं। चीतों के चेहरे पर काली धारियां होती हैं, जो इनकी आंखों के भीतरी कोनों से नीचे मुंह के कोनों तक जाती हैं।

जंगली चीतों में नर की उम्र 10-12 वर्ष जबकि मादा की उम्र 14-15 साल तक होती है। मादा चीता की गर्भ अवधि करीब तीन महीने की होती है और वह एक बार में 2-5 चीते को जन्म दे सकती है। चीता बिग कैट फैमिली का अकेला ऐसा सदस्य है, जो दहाड़ नहीं सकता। दरअसल चीते के गले में वह हड्डी नहीं होती, जिससे वह बाघ, शेर या तेंदुए जैसी आवाज निकाल सके।

चीते की शारीरिक बनावट बहुत खास होती है

चीते की शारीरिक बनावट बहुत खास होती है। बाघ, शेर, तेंदुए तथा जगुआर की तुलना में इसका सिर काफी छोटा होता है, जिससे तेज रफ्तार के दौरान उसके सिर से टकराने वाली हवा का प्रतिरोध काफी कम हो जाता है। तेज रफ्तार से दौड़ने के लिए चीते की मांसपेशियों को बहुत ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत होती है और इस ऑक्सीजन की सप्लाई को बरकरार रखने के लिए चीते के नथुनों के साथ श्वास नली भी मोटी होती है ताकि वह कम बार सांस लेकर भी ज्यादा ऑक्सीजन शरीर में पहुंचा सके। शेर के मुकाबले चीते का दिल साढ़े तीन गुना बड़ा होता है, जो रक्त को तेजी से पूरे शरीर में पंप करता है तथा इसकी मांसपेशियों तक ऑक्सीजन पहुंचाता है। इसी कारण दौड़ते समय इसे भरपूर ऑक्सीजन मिलती है।

इसकी आंखों में इमेज स्टेबिलाइजेशन सिस्टम होता है

चीते की आंखों के नीचे आंसुओं जैसी काली धारियां होती हैं, जो वास्तव में सूर्य की तेज रोशनी को रिफ्लेक्ट करती हैं, जिससे चीता तेज धूप में भी साफ देख सकता है। इसकी आंखों में इमेज स्टेबिलाइजेशन सिस्टम होता है, जिसके चलते यह तेज रफ्तार में दौड़ते समय भी अपने शिकार पर फोकस बनाए रखता है। इसकी आंख सीधी दिशा में होती हैं, जिस कारण यह कई मील दूर तक भी आसानी से देख सकता है और इसे अंदाजा हो जाता है कि उसका शिकार उससे कितनी दूरी पर है। चीते की 31 इंच यानी 80 सेंटीमीटर तक लंबी पूंछ चीते के लिए रडार का काम करती है, जो अचानक मुड़ने पर बैलेंस बनाने के काम भी आती है।

चीता दौड़ते समय जमीन पर ग्रिप बनाता है और आगे की ओर आसानी से जंप कर पाता है

अपने मजबूत पंजों की मदद से चीता दौड़ते समय जमीन पर ग्रिप बनाता है और आगे की ओर आसानी से जंप कर पाता है। दरअसल चीते के पंजे घुमावदार और ग्रिप वाले होते हैं। इतना ही नहीं, अपने पंजे की वजह से ही वह अपने शिकार को कसकर जकड़े रख पाता है। चीते की खोपड़ी पतली हड्डियों से बनी होती है, जिससे इसके सिर का वजन भी कम हो जाता है और हवा के प्रतिरोध को कम करने के लिए चीते के कान बहुत छोटे होते हैं।

चीता रात में शिकार नहीं करता है

चीता रात में शिकार नहीं करता है और इस मामले में यह कैट प्रजाति के अन्य जीवों से अलग है। अपने शिकार का पीछा चीता प्रायः 60-70 मीटर के दायरे में ही करता है और अपने शिकार का पीछा वह करीब एक मिनट तक ही करता है। यदि इस दौरान वह अपने शिकार को नहीं पकड़ पाता तो उसका पीछा करना छोड़ देता है। दरअसल यह बहुत तेज रफ्तार से बहुत ज्यादा दूरी तक नहीं दौड़ पाता। चीता अपने पंजे का इस्तेमाल कर शिकार की पूंछ पकड़कर लटक जाता है और उसके बाद वह अपने पंजे के जरिये शिकार की हड्डियां तोड़ देता है। शिकार को पकड़ने के बाद चीता करीब पांच मिनट तक उसकी गर्दन को काटता है ताकि वह मर जाए। हालांकि छोटे शिकार पहली बार में ही मर जाते हैं।

हावर्ड में हुई एक रिसर्च के मुताबिक आमतौर पर चीते के शरीर का तापमान 38 डिग्री सेल्सियस होता है लेकिन रफ्तार पकड़ते ही उसके शरीर का तापमान 40.5 डिग्री सेल्सियस हो जाता है। चीते का दिमाग इस गर्मी को नहीं झेल पाता और इसीलिए चीता अचानक से दौड़ना बंद कर देता है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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