मणिपुर बीते एक साल से शांति की राह देख रहा है : डॉ मोहन भागवत
![भागवत बोले- सालभर से शांति के इंतजार में मणिपुर:कहा- चुनाव के आवेश से हटकर देश की समस्याओं पर विचार करें](https://newspoint24.com/static/c1e/client/84309/uploaded/abc277afad037986d7f21a50c87f49b5.png)
Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ
नागपुर । राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) प्रमुख डॉ मोहन भागवत ने मणिपुर में जारी हिंसा पर चिंता जताई। नागपुर में सोमवार (10 जून) को आयोजित कार्यकर्ता विकास वर्ग के समापन समारोह में भागवत ने मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा की।
उन्होंने कहा कि मणिपुर बीते एक साल से शांति की राह देख रहा है। बीते 10 साल से राज्य में शांति थी, लेकिन अचानक से वहां गन कल्चर बढ़ गया। जरूरी है कि यहां की समस्या को प्राथमिकता से सुलझाया जाए।
मोहन भागवत के भाषण की खास बातें
1. चुनाव में गलत बातों का प्रचार ठीक नहीं
चुनाव लोकतंत्र में हर पांच साल में होने वाली घटना है। हम अपना कर्तव्य करते रहते हैं। लोकमत हर चुनाव में करते हैं और इस बार भी किया है। चुनाव सहमति बनाने की प्रक्रिया है। संसद में किसी भी प्रश्न के दोनों पहलू सामने चुनाव ऐसी व्यवस्था हैं।
चुनाव प्रचार में जिस प्रकार एक दूसरे को नीचा दिखाना, तकनीकी का दुरुपयोग, असत्य प्रसारित किया जाता है ये ठीक नहीं है। प्रतिपक्ष को विरोधी नहीं कहना चाहिए। हमें चुनाव की बातों से हटकर देश की समस्याओं पर विचार करना होगा।
2. हमारी संस्क़ति में कोई समस्या नहीं, बस हम ही हैं, इस मानसिकता से हटना होगा
अभी चुनाव संपन्न हुए। उसके परिणाम भी आए। कल सरकार भी बन गई। सब हो गया, लेकिन उसकी चर्चा अभी तक चल रही है। जो हुआ वह क्यों हुआ, कैसे हुआ, क्या हुआ? यह अपने देश के प्रजातांत्रिक तंत्र में प्रति 5 साल में होने वाली घटना है। चुनाव के अपने नियम हैं। समाज ने अपना मत दे दिया, उसके अनुसार सब होगा। क्यों, कैसे, क्या हुआ इस चर्चा में नहीं पड़ते हैं।
बाहरी विचारधाराओं के साथ समस्या यह है कि वे खुद को सही होने का एकमात्र संरक्षक मानते हैं। भारत में जो धर्म और विचार आए, उनके भी कुछ लोग अलग-अलग कारणों से अनुयायी बन गए, लेकिन हमारी संस्कृति में इससे कोई समस्या नहीं है। हमें बस इस मानसिकता से छुटकारा पाना चाहिए कि सिर्फ हम ही सही हैं। बाकी लोग सही नहीं हो सकते।