INS विक्रांत को फिर मिली पारंपरिक घंटी:1961 से 36 वर्षों तक भारतीय नौसेना का हिस्सा रही, फिर रख दी गई थी

INS विक्रांत को फिर मिली पारंपरिक घंटी:1961 से 36 वर्षों तक भारतीय नौसेना का हिस्सा रही, फिर रख दी गई थी

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

नई दिल्ली । इंडियन नेवी के पहले युद्धपोत INS विक्रांत पर लगी घंटी उसे वापस मिल गई है। यह घंटी 1961 से 36 वर्षों तक भारतीय नौसेना का हिस्सा थी। अब उसे मेड-इन इंडिया एयरक्राफ्ट कैरियर को वापस कर दिया गया है। घंटी 1961 में पहले INS विक्रांत पर लगी थी, जब भारत ने ब्रिटिश मूल के विमान वाहक HMS हरक्यूलिस खरीदा और इसे भारतीय नाम दिया।

नेवी अफसरों के अनुसार घंटी पहले INS विक्रांत पर थी, जो 1997 तक काम करती रही। बाद में घंटी को वहां से हटा दिया गया और नेवी के वाइस चीफ के घर पर इसे रखा गया था।

रिटायर वाइस एडमिरल ने लौटाई
नेवी अफसरों ने बताया कि परंपरागत रूप से घंटियों ने युद्धपोत पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे नाविकों और विभिन्न कर्तव्यों का पालन करने वाले अधिकारियों और आपात स्थिति के दौरान भी समय का संकेत देने में मदद करती हैं। पिछले महीने 22 मार्च को नेवी के रिटायर वाइस एडमिरल एसएन घोरमाडे ने घंटी को INS विक्रांत को लौटा दिया। उन्होंने घंटी लौटाने का फैसला इसलिए किया क्योंकि नेवी को अपना पहला ‘मेड-इन-इंडिया' स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर मिल गया है।

इससे युवाओं को अपने जहाज और इंडियन नेवी की रिच हिस्ट्री के बारे में प्रेरित करने का एक बेहतर उद्देश्य पूरा होगा।

युद्ध के दौरान महत्वपबर्ण एयरक्राफ्ट कैरियर पर लगी रही
यह घंटी एक गौरवशाली इतिहास का हिस्सा रही है क्योंकि यह उस युद्धपोत पर थी जब जिसने 1971 में पाकिस्तान पर बमबारी करने और कराची बंदरगाह को जाम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पाकिस्तान के खिलाफ लड़े गए युद्धों के दौरान यह एयरक्राफ्ट कैरियर बहुत सक्रिय था और राष्ट्र की सुरक्षा को आगे बढ़ाने के लिए प्रमुख स्थानों पर तैनात किया गया था।

नए युद्धपोत INS विक्रांत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 2 सितंबर को कोच्चि में देश को समर्पित किया। यह देश का पहला स्वदेश निर्मित एयरक्राफ्ट कैरियर है।

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