अडाणी मामले में कांग्रेस ने मोदी से पूछे तीन सवाल :  'हम अडाणी के हैं कौन' कहकर प्रधानमंत्री सवालों से नहीं बच सकते

कांग्रेस नेता जयराम रमेश

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

 

नई दिल्ली। अडाणी ग्रुप को लेकर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट मामले में रविवार को कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 3 सवाल पूछे हैं। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि अडाणी समूह पर लगे गंभीर आरोपों के बीच मोदी सरकार ने चुप्पी साध रखी है जिससे किसी सांठ-गांठ का साफ इशारा मिल रहा है। प्रधानमंत्री ये कहकर बच नहीं सकते कि 'हम अडाणी के हैं कौन'।आज से इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी PM से हर दिन तीन प्रश्‍न पूछेगी।

तीन सवाल जो कांग्रेस ने प्रधानमंत्री से पूछे
जयराम रमेश ने पहला सवाल गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी, पनामा पेपर्स और पेंडोरा पेपर्स से संबंध में किया। दूसरा सवाल पूछा कि गौतम अडाणी पर ED, सीबीआई और इनकम टैक्स की ओर से क्या कार्रवाई की गई है? तीसरा सवाल पूछा कि भारत के सबसे बड़े बिजनेस घराना में से एक, जैसे हवाई अड्डों और बंदरगाहों में एकाधिकार स्थापित करने की अनुमति दी गई है, यह कैसे संभव है?

अडाणी मामले में कांग्रेस ने मोदी से पूछे तीन सवाल

जयराम रमेश ने ट्विटर पर एक पत्र जारी कर प्रधानमंत्री से सवाल पूछे हैं। पढ़ें पत्र-

प्रिय प्रधानमंत्री मोदी जी,
पनामा पेपर्स के खुलासे के जवाब में, 4 अप्रैल 2016 को वित्त मंत्रालय ने घोषणा की कि आपने व्यक्तिगत रूप से एक बहू-एजेंसी जांच समूह को विदेशी टैक्स हेवन समझे जाने वाले देशों से वित्तीय प्रवाह के निगरानी करने का निर्देश दिया था। इसके बाद 5 सितंबर, 2016 को हांगझोऊ, चीन में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान आपने कहा था: "हमें आर्थिक अपराधियों के लिए सुरक्षित आश्रयों को खत्म करने, धन शोधन करने वालों का पता लगाने और उनका बिना शर्त प्रत्यार्पण करने और जटिल अंतरराष्ट्रीय विनियमों और अत्यधिक बैंकिंग गोपनीयता के उस ताने-बाने को ध्वस्त करने के लिए कार्रवाई करने की आवश्यकता है, जो इन भ्रष्टाचारियों और उनकी गतिविधियों को छिपाती है।"

यह परिस्थितियां हमें ऐसे प्रश्नों की ओर ले जाती है: जहां पर आप ये कहकर बच नहीं सकते कि 'हम अटानी के हैं कौन'।

1. गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी का नाम पनामा पेपर्स और पेंडोरा पेपर्स में बहामास और ब्रिटिश वर्जिन द्वीपसमूहों में ऑफशोर कंपनियों को संचालित करने वाले व्यक्ति के रूप में सामने आया था। उन पर "ऑफशोर सेल कंपनियों के एक विशाल मायाजाल" के माध्यम से "स्टॉक में खुल्लम-खुल्ला हेरफेर करने" और "खातों में धोखाधड़ी" में संलिप्त होने का आरोप लगा है। आप हमेशा भ्रष्टाचार से लड़ने में अपनी निष्ठा और "नीयत" की बातें बढ़-चढ़कर करते हैं; और आपकी इसी प्रवृत्ति के कारण लाई गई नोटबंदी के कारण देश को भारी कीमत चुकानी पड़ी है। आज जबकि यह अकाट्य सत्य हमारे सामने है कि एक ऐसी बिजनेस घराना जिससे आपकी सार्वजनिक नजदीकियां हैं; वह गंभीर आरोपों के घेरे में हैं, तो इस संबंध में आपके द्वारा करवाई जा रही जांच की निष्पक्षता और ईमानदारी पर आप थोड़ा प्रकाश डालिए।

2. वर्षों से आपने प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय जांच ब्यूरो और खुशिया राजस्व निदेशालय जैसी एजेंसियों का दुरूपयोग अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को डराने-धमकाने और उन व्यापारिक घरानों को दंडित करने के लिए किया है जो आपके पूंजीपति मित्रों के वित्तीय हितों के अनुरूप नहीं हैं। अडाणी समूह के खिलाफ वर्षों से लगाए जा रहे गंभीर आरोपों की जांच के लिए आपके द्वारा क्या कार्रवाई की गई है? क्या आप की देखरेख में किसी निष्पक्ष और न्यायोचित जांच की उम्मीद की जा सकती है?

3. यह कैसे संभव है कि भारत के सबसे बड़े बिजनेस घराना में से एक, जैसे हवाई अड्डों और बंदरगाहों में एकाधिकार स्थापित करने की अनुमति दी गई है, लगातार आरोपों के घेरे में होने के बावजूद इतने लंबे समय से गंभीर जांच से बचता चला रहा है? अन्य व्यापारिक समूहों को हल्के आरोपों के लिए एजेंसियों ने परेशान किया है और उन पर छापे मारे गए। क्या अडाणी समूह व्यवस्था के लिए आवश्यक था जिसने इन सभी वर्षों के दौरान "भ्रष्टाचार-विरोधी" बयानबाजी का भरपूर लाभ उठाया है?

कांग्रेस नेता जयराम नरेश ने पत्र जारी कर 3 सवाल पूछे हैं।

कांग्रेस नेता जयराम नरेश ने पत्र जारी कर 3 सवाल पूछे हैं।

संसद में भी हुआ था हंगामा
अडाणी ग्रुप को लेकर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर गुरुवार को संसद में भी हंगामा हो चुका है। अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज डाउ जोंस ने अडाणी एंटरप्राइजेज को सस्टेनबिलिटी इंडेक्स से बाहर कर दिया है। विपक्ष इस मामले की जांच जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) या सुप्रीम कोर्ट के पैनल से कराने की मांग कर रहा है।

संसद परिसर में मल्लिकार्जुन खड़गे के चैंबर में 13 विपक्षी पार्टियों के नेता मौजूद रहे।

संसद परिसर में मल्लिकार्जुन खड़गे के चैंबर में 13 विपक्षी पार्टियों के नेता मौजूद रहे।

 

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