केदारनाथ यात्रा के लिए 1 अप्रैल से हेलिकॉप्टर बुकिंग 25 अप्रैल से शुरू होगी यात्रा, रजिस्ट्रेशन जारी, जानिए सारी डिटेल
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हरिद्वार । केदारनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन चल रहे हैं। 25 अप्रैल से यात्रा शुरू हो जाएगी। इस बीच इन्फ्लुएंजा-ए के सब वैरिएंट H3N2 और कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने तीर्थ यात्रा का प्लान करने वाले यात्रियों को अलर्ट किया है। मास्क लगाने, सैनेटाइजर की सलाह भी दी है, ताकि यात्रा में कोई रुकावट न आए।
आज जरूरत की खबर में केदारनाथ यात्रा से जुड़ी सारी जानकारी देंगे, अगर आप भी इस यात्रा पर पहली बार जाना चाहते हैं तो ये खबर आपके काम की हो सकती है।
सवाल: केदारनाथ जाने के लिए क्या करना होगा?
जवाब: सबसे पहले रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। 21 फरवरी 2023 से रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुके हैं।
यह चार धाम यात्रा का रजिस्ट्रेशन सिर्फ उन लोगों का होता है जो उत्तराखंड के निवासी नहीं होते।
सवाल: रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन होगा या फिर ऑफलाइन?
जवाब: केदारनाथ के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
सवाल: ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के अलावा रजिस्ट्रेशन के लिए क्या ऑप्शन है?
जवाब: आपके पास ये चार ऑप्शन हैं…
- टेक्स्ट मैसेज या वॉट्सऐप: मोबाइल नंबर +918394833833 पर Yatra टाइप करके सेंड करना होगा।
- टोल फ्री नंबर: 01351364 के जरिए भी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
- ऐप: Tourist Care Uttarakhand नाम के ऐप को गूगल प्ले स्टोर से इंस्टॉल कर सकते है। इससे भी यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।
- ऑफलाइन: सोनभद्र पहुंचकर ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होता है। फिर स्लॉट के आधार पर आपको दर्शन करने की तारीख मिलती है।
सवाल: केदारनाथ जाने के लिए क्या-क्या डॉक्यूमेंट चाहिए?
जवाब: आधार कार्ड, फोटो और हेल्थ सर्टिफिकेट
सवाल: केदारनाथ यात्रा का रजिस्ट्रेशन करवाने में कितने पैसे लगेंगे?
जवाब: आपको कोई पैसे इसके लिए नहीं देने होंगे।
सवाल: क्या कोई भी यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करवा सकता है?
जवाब: नहीं, तीर्थयात्री की सेहत और उम्र को ध्यान में रखकर कुछ क्राइटेरिया तय होते हैं, जिनके आधार पर ही वह रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।
सवाल: केदारनाथ यात्रा के लिए कौन लोग अप्लाई नहीं कर सकते हैं?
जवाब:
- 6 हफ्ते से ज्यादा की प्रेग्नेंट महिलाएं।
- 13 साल से कम उम्र के बच्चे।
- 75 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग।
सवाल: अब केदारनाथ जाने के लिए हमने रजिस्ट्रेशन तो करा लिया, लेकिन जाएं कैसे?
जवाब: केदारनाथ की यात्रा आप हरिद्वार से शुरू कर सकते हैं। हरिद्वार देश के कई छोटे-बड़े शहरों से रेलमार्ग से जुड़ा हुआ है।
हरिद्वार से सोनप्रयाग 235 किलोमीटर और सोनप्रयाग से गौरीकुंड 5 किलोमीटर की दूरी पर है। हरिद्वार पहुंचने के बाद आप आगे की यात्रा के लिए बस या टैक्सी बुक कर सकते हैं।
गौरीकुंड पहुंचने के बाद 16 किलोमीटर का रास्ता आपको पैदल ही चलना होगा। इसके लिए आप पालकी या घोड़े की मदद ले सकते हैं।
यहां तक पहुंचने में 2 दिन का समय लग सकता है। बीच में रुकने की भी व्यवस्था है। रूद्र-प्रयाग में स्टे कर सकते हैं।
हरिद्वार की जगह आप ऋषिकेश से भी अपनी यात्रा की शुरुआत कर सकते हैं।
सवाल: H3N2 को लेकर सरकार की गाइडलाइन क्या है?
जवाब: अगर आप बिना किसी रुकावट के तीर्थयात्रा करना चाहते हैं तो-
- मास्क पहनें और भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।
- खांसते और छींकते समय नाक और मुंह को ढकें।
- आंखों और नाक को बार बार न छुएं।
- बुखार और बदन दर्द होने पर पैरासिटामोल लें।
- हेल्दी खाएं और एक्सरसाइज करें।
सवाल: हेली सेवा के लिए नियम में क्या बदलाव किया गया है?
जवाब: हेलीकॉप्टर सेवा के लिए बुकिंग 1 अप्रैल से शुरू होगी। अब तक पवन हंस के जरिए केदारनाथ धाम के लिए हेलीकॉप्टर की बुकिंग होती थी।
इस बार तीर्थयात्री केदारनाथ यात्रा के लिए IRCTC के ऑफिशियल पोर्टल के जरिए हेलीकॉप्टर सेवा की बुकिंग करा सकेंगे।
सवाल: हेलीकॉप्टर बुकिंग के भी क्या कुछ नियम हैं?
जवाब: हां, इसमें एक बार में एक व्यक्ति अपनी ID से ज्यादा से ज्यादा 6 सीटों की ही बुकिंग कर सकता है, जबकि ग्रुप में यात्रा करने वाले यात्री एक बार में 12 सीट बुक कर सकते हैं।
सवाल: केदारनाथ यात्रा के दौरान किन जगहों पर तीर्थयात्री करते हैं दर्शन?
जवाब: गांधी सरोवर, चंद्रशिला, वासुकी ताल, गौरी कुंड, शंकराचार्य समाधि, सोन प्रयाग, चोपता, ऊखीमठ, पंच केदार, तुंगनाथ, रुद्र नाथ, देवरियाताल जा सकते हैं।
केदारनाथ में कई कुंड हैं- शिवकुंड, रेतकुंड, हंसकुंड, उदककुंड, रुधिरकुंड सबसे महत्वपूर्ण है।
चलते-चलते जानते हैं एक और सवाल का जवाब
सवाल: पिछले साल जिन लोगों की मौत केदारनाथ यात्रा के दौरान हुई थी उनमें 66% डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के मरीज थे, ऐसे लोगों को इस यात्रा से क्यों रहता है खतरा?
जवाब: चारों धाम हिमालय की ऊंची पहाड़ी पर मौजूद हैं। जब तीर्थयात्री यहां पहुंचते हैं तो अचानक उन्हें कम तापमान, ज्यादा अल्ट्रावॉयलेट रेज, लो एयर और कम ऑक्सीजन की मुश्किल झेलनी पड़ती है।
वहीं जमीन पर ऑक्सीजन और नाइट्रोजन का लेवल बैलेंस रहता है। जैसे-जैसे तीर्थयात्री पहाड़ों पर चढ़ते जाते हैं, वैसे-वैसे ऑक्सीजन का लेवल कम होता जाता है।
कम ऑक्सीजन का शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और आर्द्रता (ह्यूमिडिटी) की वजह से बॉडी डिहाइड्रेट होने लगती है।
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीजों के शरीर का तापमान अचानक बदलता है। इससे दिल की नसें सिकुड़ने लगती हैं, ब्लड सर्कुलेशन में भी दिक्कत आती है।
ऐसी सिचुएशन में भी लोग पहाड़ों पर चढ़ाई जारी रखते हैं। इससे फिजिकल एक्टिविटी होती रहती है और डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीजों के शरीर पर उल्टा प्रभाव पड़ता है। ये सारी दिक्कतें ही मौत का कारण बन जाती हैं।