Exit Poll 2023: मतगणना से पहले कैसे पता चलता है कि सरकार किसकी बनेगी? जानें एग्जिट पोल के बारे में सबकुछ

एग्जिट पोल
एग्जिट पोल एक तरह का चुनावी सर्वे होता है। मतदान वाले दिन जब मतदाता वोट देकर पोलिंग बूथ से बाहर निकलता है तो वहां अलग-अलग सर्वे एजेंसी और न्यूज चैनल के लोग मौजूद होते हैं। वह मतदाता से वोटिंग को लेकर सवाल पूछते हैं। इसमें उनसे पूछा जाता है कि उन्होंने किसको वोट दिया है? इस तरह से हर विधानसभा के अलग-अलग पोलिंग बूथ से वोटर्स से सवाल पूछा जाता है।

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

नई दिल्ली।  कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों पर आज 65.58 प्रतिशत लोगों ने वोट डाला है। मतदान खत्म होते ही तमाम एजेंसियों की तरफ से एग्जिट पोल जारी किए गए। इनमें से पांच एग्जिट पोल में दावा किया गया है कि इस बार सूबे में कांग्रेस की सरकार बन सकती है। दो पोल्स में भाजपा को फिर से सत्ता मिलने की संभावना जताई गई है। तीन एग्जिट पोल ने हंग विधानसभा होने का दावा किया है। ये एग्जिट पोल कितने सही होंगे या कितने गलत इसका पता 13 मई को चलेगा, जब नतीजे घोषित होंगे।  

अब आप सोच रहे होंगे कि ये एग्जिट पोल है क्या? कैसे मतगणना से पहले ही ये सरकार बनने और बिगड़ने का दावा कर देते हैं? इसका इतिहास क्या है? एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल में क्या अंतर होता है? इन सभी सवालों का हम आपको जवाब बताएंगे। पढ़िए ये रिपोर्ट...
 

पहले जान लीजिए ये एग्जिट पोल है क्या?
दरअसल एग्जिट पोल एक तरह का चुनावी सर्वे होता है। मतदान वाले दिन जब मतदाता वोट देकर पोलिंग बूथ से बाहर निकलता है तो वहां अलग-अलग सर्वे एजेंसी और न्यूज चैनल के लोग मौजूद होते हैं। वह मतदाता से वोटिंग को लेकर सवाल पूछते हैं। इसमें उनसे पूछा जाता है कि उन्होंने किसको वोट दिया है? इस तरह से हर विधानसभा के अलग-अलग पोलिंग बूथ से वोटर्स से सवाल पूछा जाता है।

मतदान खत्म होने तक ऐसे सवालों के बड़ी संख्या में जवाब एकत्र हो जाते हैं। इन आंकड़ों को जुटाकर और उनके उत्तर के हिसाब से अंदाजा लगाया जाता है कि पब्लिक का मूड किस ओर है? मैथमेटिकल मॉडल के आधार पर ये निकाला जाता है कि कौन सी पार्टी को कितनी सीटें मिल सकती हैं? इसका प्रसारण मतदान खत्म होने के बाद ही किया जाता है। 

 

कितने लोगों से सवाल पूछा जाता है? 
एग्जिट पोल कराने के लिए सर्वे एजेंसी या न्यूज चैनल का रिपोर्टर अचानक से किसी बूथ पर जाकर वहां लोगों से बात करता है। इसमें पहले से तय नहीं होता है कि वह किससे सवाल करेगा? आमतौर पर मजबूत एग्जिट पोल के लिए 30-35 हजार से लेकर एक लाख वोटर्स तक से बातचीत होती है। इसमें क्षेत्रवार हर वर्ग के लोगों को शामिल किया जाता है। 

 

ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल में क्या होता है अंतर? 

ओपिनियन पोल: ओपिनियन पोल चुनाव से पहले कराए जाते हैं। ओपिनियन पोल में सभी लोगों को शामिल किया जाता है। भले ही वो वोटर हों या नहीं हों। ओपिनियन पोल के रिजल्ट के लिए चुनावी दृष्टि से क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों पर जनता की नब्ज को टटोलने का प्रयास किया जाता है। इसके तहत क्षेत्रवार यह जानने की कोशिश की जाती है कि जनता किस बात से नाराज और किस बात से संतुष्ट है। 

एग्जिट पोल: एग्जिट पोल मतदान के तुरंत बाद किया जाता है।  एग्जिट पोल में केवल वोटर्स को ही शामिल किया जाता है। मतलब इसमें वही लोग शामिल होते हैं, जो वोट डालकर बाहर निकलते हैं। एग्जिट पोल निर्णायक दौर में होता है। मतलब इससे पता चलता है कि लोगों ने किस पार्टी पर भरोसा जताया है। एग्जिट पोल का प्रसारण मतदान के पूरी तरह से खत्म होने के बाद ही किया जाता है। 

 

ओपिनियन पोल के बारे में रोचक जानकारी
दुनिया में चुनावी सर्वे की शुरुआत सबसे पहले अमेरिका में हुई। जॉर्ज गैलप और क्लॉड रोबिंसन ने अमेरिकी सरकार के कामकाज पर लोगों की राय जानने के लिए ये सर्वे किया था। इसकी सटीक तारीख तो नहीं मालूम लेकिन इसी के बाद ब्रिटेन ने 1937 और फ्रांस ने 1938 में अपने यहां बड़े पैमाने पर पोल सर्वे कराए। इसके बाद जर्मनी, डेनमार्क, बेल्जियम तथा आयरलैंड में चुनाव पूर्व सर्वे कराए गए।

 

एग्जिट पोल के बारे में रोचक जानकारी
एग्जिट पोल की शुरुआत नीदरलैंड के समाजशास्त्री और पूर्व राजनेता मार्सेल वॉन डैम ने की थी। वॉन डैम ने पहली बार 15 फरवरी 1967 को इसका इस्तेमाल किया था। उस समय नीदरलैंड में हुए चुनाव में उनका आकलन बिल्कुल सटीक रहा था। भारत में एग्जिट पोल की शुरुआत इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन (आईआईपीयू) के प्रमुख एरिक डी कोस्टा ने की थी। 1996 में एग्जिट पोल सबसे अधिक चर्चा आए। उस समय दूरदर्शन ने सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज (सीएसडीएस) को देशभर में एग्जिट पोल कराने के लिए अनुमति दी थी। 1998 में पहली बार टीवी पर एग्जिट पोल का प्रसारण किया गया था।

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