चारधाम यात्रा कल से शुरू : 25 को केदारनाथ और 27 को बद्री विशाल के दर्शन शुरू होंगे

चारधाम यात्रा कल से शुरू : 25 को केदारनाथ और 27 को बद्री विशाल के दर्शन शुरू होंगे
पहले जहां ऋषिकेश से सड़क मार्ग से चारधाम यात्रा पूरी करने में कम से कम 7 दिन (रोज 7-8 घंटे का सफर) लगते थे, इस बार 6 दिन (रोज 7 घंटे यात्रा) में यात्रा पूरी हो सकती है, क्योंकि 85% रास्ता सुगम हो चुका है। हालांकि, रुकते-रुकाते यात्रा का इरादा है तो 9 से 10 दिन लगेंगे। ज्यादातर श्रद्धालु ऋषिकेश के भद्रकाली तिराहे से चारधाम यात्रा शुरू करते हैं। 

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ 

देहरादून। चारधाम यात्रा शनिवार से शुरू होगी। 22 अप्रैल को यमुनोत्री व गंगोत्री के कपाट खुलेंगे। 25 को केदारनाथ और 27 को बद्री विशाल के दर्शन शुरू होंगे। newspoint24के रिपोर्टर ने यात्रा से ठीक पहले चारों धामों के बीच 1,550 किमी से ज्यादा दूरी तय कर तैयारियों का जायजा लिया।

पहले जहां ऋषिकेश से सड़क मार्ग से चारधाम यात्रा पूरी करने में कम से कम 7 दिन (रोज 7-8 घंटे का सफर) लगते थे, इस बार 6 दिन (रोज 7 घंटे यात्रा) में यात्रा पूरी हो सकती है, क्योंकि 85% रास्ता सुगम हो चुका है। हालांकि, रुकते-रुकाते यात्रा का इरादा है तो 9 से 10 दिन लगेंगे। ज्यादातर श्रद्धालु ऋषिकेश के भद्रकाली तिराहे से चारधाम यात्रा शुरू करते हैं। यहां चेकपोस्ट पर रजिस्ट्रेशन ID और गाड़ी का ग्रीन कार्ड आदि चेक कराना होगा। दूसरा चेकपोस्ट ऋषिकेश-बद्रीनाथ हाइवे पर ब्रह्मपुरी में है। प्रशासन की हरी झंडी के बाद सफर शुरू कर सकते हैं।

गंगोत्री।

(गंगोत्री।)

गंगोत्री
दोपहर के 12 बज रहे हैं। हम भद्रकाली तिराहे से गंगोत्री की 264 किमी लंबी यात्रा शुरू करते हैं। 2 बजे चंबा में एक छोटी सी टनल हिमालय रेंज से मुलाकात कराती है। तलहटी में टिहरी झील मनमोहक है। साइड में रुककर नजारा देख सकते हैं। उत्तरकाशी तक ऑल वेदर रोड की डबल लेन है। गंगोत्री की 100 किमी की दूरी साढ़े तीन से चार घंटे में कर सकते हैं। गंगोत्री से 25 किमी पहले गांव हर्षिल में रुक सकते हैं।

यमुनोत्री मार्ग।

(यमुनोत्री मार्ग।)

यमुनोत्री
गंगोत्री से यमुनोत्री के लिए 150 किमी दूर उत्तरकाशी के धरासूबैंड आना होगा। यहां से 102 किमी लंबे जानकीचट्‌टी मार्ग को पकड़ना होगा। जानकीचट्टी से यमुनोत्री के लिए 6 किमी का जोखिम भरा ट्रैक है। कई जगह खड़ी चढ़ाई है। खच्चर और पालकी की सुविधा है।

बद्रीनाथ।

(बद्रीनाथ।)

बद्रीनाथ
यमुनोत्री से बद्रीनाथ के लिए वापस धरासूबैंड आएंगे। 150 किमी दूर रुद्रप्रयाग जाएंगे। फिर जोशीमठ और वहां से बद्रीनाथ जाएंगे। असली परीक्षा जोशीमठ से 20 किमी दूर पांडुकेश्वर के बाद होगी। यहां पुल का काम बाकी है। जगह-जगह चौड़ीकरण जारी है। कई जगह रास्ता संकरा है। जाम लग सकते हैं। पांडुकेश्वर या बद्रीनाथ परिसर के अंदर रुक सकते हैं। बद्रीनाथ में 25 हजार लोग रुक सकते हैं। एक दिन में 15 हजार लोग ही दर्शन के लिए आ सकेंगे। गाड़ियां नहीं आएंगी।

केदारनाथ। 

(केदारनाथ।)

केदारनाथ
बद्रीनाथ से रुद्रप्रयाग आएं। यहां से केदारनाथ 90 किमी है। कई जगह चौड़ीकरण जारी है। गुप्तकाशी से पहले 10 किमी लंबा कच्चा मार्ग है। 40% से अधिक हिस्सा सिंगल लेन है। कुछ पुराना है। कई जगह पत्थर गिरने का खतरा है। जाम से बचना बड़ी चुनौती है। वाहन या बस से सोनप्रयाग तक पहुंच सकते हैं। यहां से गौरीकुंड के लिए स्थानीय टैक्सी लेनी होगी। गौरीकुंड से 17 किमी लंबे दुर्गम ट्रैक पर 8 फीट ऊंचा बर्फ का गलियारा है।

हेलीकॉप्टर से 1.8 लाख रुपए में 4 दिन और 5 रातों में यात्रा
चारधाम यात्रा के लिए हेलीकॉप्टर सेवा बढ़ रही है। 5-6 कंपनियां 18-20 हेलीकॉप्टर चला रही हैं। हरिद्वार से यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ होते हुए बद्रीनाथ की यात्रा 4 दिन और 5 रातों में पूरी होती है। एक हेलीकॉप्टर में 6 लोग जाते हैं। आपका वजन 75 किलो से ज्यादा है तो प्रति किलो 1000 रु. अतिरिक्त लगेंगे। दो साल से छोटे बच्चों का कोई चार्ज नहीं। कंपनी देहरादून स्टेशन या एयरपोर्ट से पिक करेगी।

दो साल से छोटे बच्चों का हेलीकॉप्टर में कोई चार्ज नहीं है।

(दो साल से छोटे बच्चों का हेलीकॉप्टर में कोई चार्ज नहीं है।)

कीमत:
चार धाम यात्रा के लिए प्रति व्यक्ति 1.8 लाख रु.। दो दिन में दो धाम (केदारनाथ, बद्रीनाथ) के लिए 1.20 लाख रुपए देने होंगे।

सुविधाएं:
रुकने से टैक्सी तक का खर्च कंपनी उठाएगी। देहरादून में हयात रिजेंसी, खरसाली (यमुनोत्री) में यमुनोत्री कॉटेज, हर्षिल (गंगोत्री) में हिमालयन नेचर रिसॉर्ट, सिरसी (केदारनाथ) में तेल विंड्स रिसॉर्ट और बद्रीनाथ में सरोवर पोर्टिको जैसे लग्जरी रिजॉर्ट में ठहराते हैं।

बद्रीनाथ धाम को दिया जा रहा भव्य-दिव्य रूप

बद्रीनाथ में 6 रिवर फ्रंट और दो लेक फ्रंट बन रहे हैं।

(बद्रीनाथ में 6 रिवर फ्रंट और दो लेक फ्रंट बन रहे हैं।)

बद्री विशाल के कपाट 27 अप्रैल को खुलेंगे। जब श्रद्धालु यहां पहुंचेंगे, तो उन्हें बिल्कुल अलग नजारा दिखाई देगा। यहां हर तरफ पहाड़ काटती पोकलैंड मशीन, क्रेन, डंपर आदि का शोरगुल सुनाई देगा। ऐसा लगेगा कि किसी कंस्ट्रक्शन साइट पर आ गए हैं। दरअसल, यह पूरी कवायद मास्टर प्लान के तहत बद्रीनाथ धाम के सौंदर्यीकरण को लेकर चल रही है। यह प्रोजेक्ट करीब 450 करोड़ रुपए का है।

मंदिर के सामने बह रही अलकनंदा नदी में भव्य रिवरफ्रंट का निर्माण काम तेजी से चल रहा है। यह काम 3 फेज में होगा। पहले में लेक फ्रंट, रिवर फ्रंट, अराइवल प्लाजा, सिविक एमेनिटीज सेंटर, लूप रोड हॉस्पिटल और बीआरओ रोड बनाई जाएगी। इस प्रोजेक्ट के असिस्टेंट इंजीनियर विनय ने बताया कि पहले फेज के तहत कुल मिलाकर 14 काम हो रहे हैं। इसमें छह रिवर फ्रंट, 2 रोड कार्य, दो लेक फ्रंट और बाकी बिल्डिंग का काम पूरी गति से चल रहा है। 1.6 किमी का बाईपास बनकर तैयार है। यह रणनीतिक रूप से अहम है। इससे सेना की आवाजाही निर्बाध रूप से चीन बॉर्डर तक हो सकेगी। यात्रियों की सुगम आवाजाही के लिए मंदिर परिसर के 70 मीटर के रेडियस को क्लियर किया जा रहा है। सिर्फ पौराणिक मंदिर और तप कुंड ही रहेंगे। बाकी धर्मशाला, दुकानें, होटल हटाए जा रहे हैं। कुल 198 इमारतों को हटाने का काम चल रहा है।

सौंदर्यीकरण का काम एक साल में पूरा करने की तैयारी है।

(सौंदर्यीकरण का काम एक साल में पूरा करने की तैयारी है।)

बद्रीश और शेष नेत्र लेक को आपस में जोड़ा जाएगा
रिवर फ्रंट और लेक फ्रंट का काम काफी चुनौतीपूर्ण है। ग्लेशियल पिघलते हैं तो अलकनंदा नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ता है। ऐसे में पानी की साढ़े तीन मीटर गहराई में उतरकर काम करना काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। बर्फबारी की वजह से काम करने के लिए 6-7 महीने ही मिल रहे हैं। इनमें भी बर्फबारी और बारिश से दिक्कतें आती हैं । बद्रीश और शेष नेत्र लेक को आपस में जोड़ा जाना भी चुनौती से कम नहीं है। इन्हें जोड़कर एक बड़ी झील विकसित की जाएगी और चारों तरफ बाउंड्री बनाई जाएगी। पास में ही एक गार्डन बनेगा, जो अक्टूबर और नवंबर के बीच तैयार हो जाएगा। इसके अलावा यात्रियों की सुविधा के लिए अराइवल प्लाजा, सिविक एमेनिटीज सेंटर का काम तेजी से बन रहा है। यह बिल्डिंग इंजीनियरिंग का बेमिसाल उदाहरण होंगी। ये 100 मीटर ऊंची बिल्डिंग आर शेप्ड में होंगी।

बद्रीनाथ में निर्माण कार्य तेजी से चल रहे हैं। फाउंडेशन का काम करीब पूरा हो गया है।

(बद्रीनाथ में निर्माण कार्य तेजी से चल रहे हैं। फाउंडेशन का काम करीब पूरा हो गया है।)

800 मजदूर दिन-रात जुटे, PMO ले रहा है अपडेट
अभी 800 वर्कर्स काम कर रहे हैं। 15-20% काम पूरा हो चुका है। आगे काम तेज रफ्तार पकड़ेगा। प्रधानमंत्री कार्यालय भी इस प्रोजेक्ट का हर अपडेट लगातार ले रहा है। पहले फेज को पूरा करने के लिए अक्टूबर 2023 का समय दिया है। दूसरे फेज का काम जल्द शुरू होगा। इसके लिए टेंडर का काम पूरा हो चुका है। बद्रीनाथ मुख्य मंदिर के पास साइड डेवलपमेंट का काम होना है। तीसरे चरण मे झील से मंदिर तक आस्था पथ एवं अन्य काम होंगे। मंदिर के आसपास से विस्थापित पुरोहित-पंडितों के लिए पुरोहित तीर्थ बनाया जाएगा।

यह यात्रा आने वाले वर्षों में और सुगम बनाने की तैयारी
चारों ही मार्गों पर ऑल वेदर रोड का काम थोड़ा-बहुत बाकी है। इसमें चौड़ीकरण, पुल निर्माण, डामर बिछाना शेष है। यात्रा मार्ग पर ऑल वेदर रोड का 80% काम पूरा है। बाकी होने में एक साल और लग सकता है। यमुनोत्री और केदारनाथ के दुर्गम पैदलमार्ग पर रोपवे योजना की मंजूरी मिलने के साथ कॉन्ट्रैक्ट हो चुका है। जल्द काम शुरू होगा और 3 साल में दोनों रोपवे बनेंगे। खरसाली से 1.5 किमी लंबा रोपवे सीधे यमुनोत्री धाम से जोड़ेगा। अभी छह किमी के दुर्गम ट्रैक को पूरा करने में 3 घंटे लगते हैं। इससे 15 मिनट ही लगेंगे। केदारनाथ रोपवे से सोनप्रयाग से केदारनाथ की दूरी 13 किमी होगी। समय बचेगा।

जोशीमठ में वाहन चालकों को करना पड़ेगा इंतजार
जोशीमठ में भू-धंसाव की घटना के चलते एहितयात बरती जा रही है। इस बार जोशीमठ में बद्रीनाथ हाईवे से वाहन एक-एककर ही गुजारे जाएंगे। यानी कि इस बार वाहन चालकों को लंबा इंतजार भी करना पड़ सकता है। यह व्यवस्था इसलिए की जा रही है ताकि क्षतिग्रस्त मार्ग पर दबाव न पड़े। इस व्यवस्था के लिए शहर के दोनों ओर चेक पोस्ट और अस्थायी पार्किंग बनाई जाएगी। दबाव बढ़ने पर लोग अपने वाहनों को वहां पार्क भी कर सकेंगे।

जोशीमठ शहर में भू-धंसाव के चलते सड़कों पर दरारें आ गई थीं।

(जोशीमठ शहर में भू-धंसाव के चलते सड़कों पर दरारें आ गई थीं।)

गूगल मैप पर मिलेगी रूट की जानकारी चारधाम यात्रा के दौरान अगर रूट डायवर्ट होगा तो तत्काल इसकी जानकारी गूगल मैप पर मिल जाएगी। गूगल मैप पर देखकर यात्री दूसरे मार्ग से जा सकेंगे। इसके लिए शुक्रवार को यातायात निदेशक मुख्तार मोहसिन ने गूगल मैप के अधिकारियों के साथ बैठक की। तय किया गया कि किस तरह पल-पल की जानकारी गूगल मैप पर साझा की जाएगी।

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