केंद्र सरकार ने Same Sex Marriage का किया विरोध, कहा- यह शहरी अभिजात्य विचार, कानूनी मान्यता मिली तो हर नागरिक पर होगा असर

केंद्र सरकार ने Same Sex Marriage का किया विरोध, कहा- यह शहरी अभिजात्य विचार, कानूनी मान्यता मिली तो हर नागरिक पर होगा असर
केंद्र सरकार ने कहा कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देना शहरी अभिजात्य विचार है। इसपर कोई फैसला लेने से पहले संसद को सभी ग्रामीण और शहरी आबादी के व्यापक विचारों को ध्यान में रखना होगा। यह भी देखना होगा कि व्यक्तिगत कानूनों को लेकर धार्मिक संप्रदायों के विचारों और रीति-रिवाज क्या हैं। इसपर लिए गए फैसले का असर विवाह के क्षेत्र के साथ-साथ कई अन्य कानूनों पर होगा।

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ 

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को कानूनी मान्यता देने का विरोध किया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। सरकार ने हलफनामा दायर कर कोर्ट से कहा है कि विवाह बेहद खास संस्था है। यह सिर्फ महिला और पुरुष के बीच हो सकता है। समलैंगिक विवाह को महिला और पुरुष के विवाह की तरह कानूनी मान्यता दिए जाने से हर नागरिक का हित गंभीर रूप से प्रभावित होगा।

केंद्र सरकार ने कहा कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देना शहरी अभिजात्य विचार है। इसपर कोई फैसला लेने से पहले संसद को सभी ग्रामीण और शहरी आबादी के व्यापक विचारों को ध्यान में रखना होगा। यह भी देखना होगा कि व्यक्तिगत कानूनों को लेकर धार्मिक संप्रदायों के विचारों और रीति-रिवाज क्या हैं। इसपर लिए गए फैसले का असर विवाह के क्षेत्र के साथ-साथ कई अन्य कानूनों पर होगा।

विधायी कार्य है विवाह को मान्यता देना
केंद्र ने कहा कि विवाह को मान्यता अनिवार्य रूप से विधायी कार्य है। इसपर फैसला लेने से अदालतों को बचना चाहिए। विवाह सामाजिक-कानूनी संस्था है। इसपर भारत के संविधान के अनुच्छेद 246 के तहत अधिनियम के माध्यम से केवल विधायिका द्वारा फैसला लिया जा सकता है।

मंगलवार को होगी सुनवाई
बता दें कि समलैंगिक विवाह को मान्यता दिए जाने के संबंध में दायर याचिकाओं पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, रवींद्र भट, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की पांच जजों की संविधान पीठ इस मामले में सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को लेकर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। 13 मार्च को इस मामले को सीजेआई के नेतृत्व वाली बड़ी पीठ को भेजा गया था।

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