कर्नाटक के 400 साल पुराने मठ में पुजारी का शव लटका मिला, सुसाइड नोट मिला, इसमें ब्लैकमेल करने वालों के नाम बताया 

कर्नाटक के 400 साल पुराने मठ में पुजारी का शव लटका मिला, सुसाइड नोट मिला, इसमें ब्लैकमेल करने वालों के नाम बताया

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

रामनगर । कर्नाटक के रामनगर जिले के श्री कंचुगल मठ के संत बसवलिंगेश्वर का शव दीपावली के दिन पूजा के कमरे में लटका हुआ मिला। कुडूर पुलिस को इस कमरे से 2 पेज का एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें स्वामी बसवलिंगेश्वर ने उन्हें ब्लैकमेल करने वालों के नाम लिखे हैं। पुलिस का कहना है कि इन्हीं से परेशान होकर स्वामी ने आत्महत्या की है।

सुबह 6 बजे दरवाजा बंद रहा तब शक हुआ
स्वामी रोज पूजा के लिए सुबह 4 बजे जाग जाते थे। 24 अक्टूबर को जब सुबह 6 बजे तक कमरे का दरवाजा नहीं खुला तो कर्मचारियों को शक हुआ। उन्होंने कई बार स्वामी को फोन लगाया और दरवाजे पर दस्तक भी दी। इसके बाद कुछ लोग कमरे के पीछे बनी खिड़की में पहुुंचे, जहां से उन्हें बसवलिंगेश्वर खिड़की की ग्रिल से लटके मिले। इसके बाद पुलिस को इसकी सूचना दी गई।

मठ के मुख्य पुजारी स्वामी बसवलिंगेश्वर की उम्र 44 साल थी।

मठ के मुख्य पुजारी स्वामी बसवलिंगेश्वर की उम्र 44 साल थी।

पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस सुसाइड नोट में लिखे गए नाम के आधार पर आरोपियों से पूछताछ करेगी। अधिकारियों का कहना है कि ये लोग मठ के पुजारी से फोन पर लगातार संपर्क में थे।

स्वामी की आत्महत्या की खबर के बाद से मठ को बाहरी लोगों के लिए बंद कर दिया गया है।

स्वामी की आत्महत्या की खबर के बाद से मठ को बाहरी लोगों के लिए बंद कर दिया गया है।

400 साल पुराने मठ में 1997 से मुख्य पुजारी थे
बसवलिंगेश्वर ने 1997 में मठ की बागडोर संभाली थी। कुछ महीने पहले ही उनके अनुयायियों ने रजत जयंती समारोह भी मनाया था। मगदी तालुक के केम्पुपुरा में बना यह मठ करीब 400 साल पुराना है। पुलिस जांच के बाद स्वामी बसवलिंगेश्वर का अंतिम संस्कार सोमवार की शाम को ही कर दिया गया था।

पहले भी एक संत ने की थी आत्महत्या
करीब दो महीने पहले कर्नाटक के बेलगाम के श्री गुरु मादिवलेश्वर मठ में बसव सिद्धलिंग स्वामी का शव मिला था। शिष्यों ने जब मठ का कमरा खोला तो सिद्धलिंग का शव फंदे से लटका था। कयास लगाए गए थे कि वे लिंगायत मठ में यौन शोषण से जुड़े एक ऑडियो में अपना नाम आने से परेशान थे।

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