मोरबी हादसा : एक्शन में गुजरात पुलिस, फिटनेश सर्टिफिकेट के बिना पुल खुलने का दिया था बयान
Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ
अहमदाबाद । मोरबी में झूलते पुल के टूटने की घटना में अब तक पल्ला झाड़ रहे मोरबी नगर पालिका के चीफ ऑफिसर संदीप सिंह झाला से पुलिस ने पूछताछ की है। चीफ ऑफिसर से मामले में पूछताछ से कई रहस्यों पर से पर्दा उठने की संभावना जताई जा रही है। झाला ने ही सबसे पहले मीडिया के समक्ष दावा किया था कि पुल खुलने से पहले नगर पालिका को इस संबंध में जानकारी नहीं दी गई। नगर पालिका को बगैर फिटनेश सर्टिफिकेट दिए ही पुल को खोल दिया गया था। चीफ ऑफिसर के इस बयान के बाद कई तरह के सवाल खड़े हो गए थे।
पुलिस के साथ ही जिला प्रशासन भी कटघरे में खड़ा
इसमें पुलिस के साथ ही जिला प्रशासन भी कटघरे में खड़ा हो गया था। चीफ ऑफिसर झाला ने यह भी सार्वजनिक तौर पर कहा था कि ब्रिज की करीब 6-7 महीने तक मरम्मत होने के बाद कब लोकार्पण किया गया, यह भी उन्हें नहीं पता है। जबकि ओरेवा कंपनी के एमडी जयसुख पटेल का ब्रिज का लोकार्पण कर उस पर चहलकदमी करता हुआ वीडियो भी खूब वायरल हुआ था। इसके बाद 26 से 30 अक्टूबर तक ब्रिज पर सैकड़ों लोग टिकट लेकर घूमते रहे। इसके बावजूद नगर पालिका और जिला प्रशासन ब्रिज के खुलने से अनभिज्ञ बना रहा।
पुलिस सूत्रों के अनुसार चीफ ऑफिसर संदीप सिंह झाला से जांच अधिकारी पुलिस उपाधीक्षक के कार्यालय में पूछताछ की गई। दूसरी ओर मोरबी पुल हादसे के बाद ओरेवा कंपनी का एक पत्र भी सामने आया है। इसमें ओरेवा कंपनी ने वर्ष 2020 में मोरबी पालिका को पत्र लिखा था। इस पत्र के जरिए कंपनी ने पुल मरम्मत कर शुरू करने की मांग की थी। पत्र में अस्थाई तौर पर पुल की मरम्मत कर इसे शुरू करने की बात लिखी गई थी। ओरेवा कंपनी ने जनवरी, 2020 से अगस्त 2020 तक नगर पालिका को 6 बार पत्र लिखा था। वर्ष 2017 में पालिका ने ओरेवा कंपनी के साथ करार किया। इसके बाद वर्ष 2022 में करार को रिन्यूअल किया गया।
2 अनक्वालिफाइड लोगों को सौंपा था ब्रिज का फैब्रिकेशन का काम
दूसरी ओर मोरबी ब्रिज हादसे में गिरफ्तार 9 लोगों में से 4 को 4 दिनों की रिमांड पर भेजा गया है। इन आरोपितों को पुलिस ने 8 मुद्दों पर रिमांड मांगी थी। इनमें 2-3 मुद्दे हादसे से अधिक महत्व रखते थे। सरकारी वकील हरसेन्दु पंचाल ने बताया कि दो ऐसे लोगों को ब्रिज का फैब्रिकेशन का काम सौंपा गया था, जो अनक्वालिफाइड थे। ब्रिज के केबल की एफएसएल रिपोर्ट को भी कोर्ट में बंद लिफाफे में पेश किया गया। ब्रिज के केबलों की मरम्मत या बदलने के बजाए सिर्फ प्लोरिंग एल्यूमीनियम बनाई गई। इससे ब्रिज का वजन बढ़ गया। बताया गया कि ब्रिज का वजन बढ़ने के कारण यह धराशायी हो गया।
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