साइंस कांग्रेस में बोले मोदी-साइंस में पैशन के साथ जब देश सेवा का संकल्प जुड़ता है, नतीजे भी अभूतपूर्व आते हैं

m,

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ  

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज(3 जनवरी) वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से 108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस (108th Indian Science Congress) को संबोधित किया। इस वर्ष के ISC का मुख्य विषय 'महिला सशक्तिकरण के साथ सतत विकास के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी-Science and Technology for Sustainable Development with Women Empowerment' है।

साइंस में पैशन के साथ जब देश की सेवा...

मोदी ने कहा-अगले 25 वर्षों में भारत जिस ऊंचाई पर होगा, उसमें भारत की वैज्ञानिक शक्ति की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी। साइंस में पैशन के साथ जब देश की सेवा का संकल्प जुड़ जाता है तो नतीजे भी अभूतपूर्व आते हैं। 21वीं सदी के भारत में हमारे पास दो चीजें बहुतायत में हैं- जानकारी और तकनीकी।

ये भारत के विज्ञान को नई ऊंचाईयों तक ले जा सकते हैं। डेटा विश्लेषण तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह जानकारी को अंतर्दृष्टि और विश्लेषण को क्रियाशील ज्ञान में बदलने में मदद करता है। आज का भारत जिस साइंटिफिक अप्रोच के साथ आगे बढ़ रहा है, हम उसके नतीजे भी देख रहे हैं।

साइंस के क्षेत्र में भारत तेजी से विश्व के टॉप देशों में शामिल हो रहा है। विज्ञान के क्षेत्र में भारत ने विश्व के शीर्ष 10 देशों में अपना स्थान बना लिया है। 2015 तक 130 देशों में भारत ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 81वें स्थान पर था। 2022 में, हम 40वें स्थान पर पहुंच गए हैं। पीएचडी और स्टार्टअप इकोसिस्टम में भारत शीर्ष तीन देशों में शामिल है।

कांग्रेस की थीम की दुनिया में चर्चा

मोदी ने कहा-इस बार भारतीय विज्ञान कांग्रेस की थीम भी एक ऐसा विषय है, जिसकी दुनिया में सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। विश्व का भविष्य सस्टेनेबल डेवलमेंट के साथ ही सुरक्षित है। आपने सस्टेनेबल डेवलमेंट के विषय को वुमन इम्पावरमेंट के साथ जोड़ा है। महिलाओं की बढ़ती भागीदारी समाज और विज्ञान की प्रगति का प्रतिबिंब है।

आज देश की सोच केवल यह नहीं है कि साइंस के ज़रिए वुमन इम्पावरमेंट करें, बल्कि वुमन की भागीदारी से साइंस का भी इम्पावरमेंट करें। साइंस और रिसर्च को नई गति दें, यह हमारा लक्ष्य है।

उपलब्धियां प्रयोगशाला से जमीन तक पहुंचें

मोदी ने कहा-विज्ञान के प्रयास महत्वपूर्ण उपलब्धियों में तभी बदल सकते हैं जब वे 'प्रयोगशाला से जमीन-Lab to Land' तक पहुंचें और जब उनका प्रभाव 'वैश्विक स्तर से जमीनी स्तर-Global levels to Grassroots' तक हो। जब उसका विस्तार जर्नल्स से लेकर जमीन तक हो, जब उससे बदलाव रिसर्च से होते हुए रियल लाइफ में दिखने लगे।

अभी भारत को G-20 अध्यक्षता की जिम्मेदारी मिली है। G-20 के प्रमुख विषयों में भी वुमन लीड डेवलपमेंट एक बड़ी प्राथमिकता का विषय है।  बीते 8 वर्षों में भारत ने गवर्नेंस से लेकर सोसाइटी और इकोनॉमिक तक इस दिशा में कई ऐसे असाधारण काम किए हैं, जिनकी आज चर्चा हो रही है।

पिछले 8 वर्षों में एक्सट्रा मोरल रिसर्च एंड डेवलपमेंट में महिलाओं की भागीदारी दोगुनी हुई है। महिलाओं की ये बढ़ती भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि समाज भी आगे बढ़ रहा है और साइंस भी आगे बढ़ रही है। भारत की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए, भारत में साइंस का विकास, हमारे वैज्ञानिक समुदाय की मूल प्रेरणा होनी चाहिए।

भारत में साइंस, भारत को आत्मनिर्भर बनाने वाली होनी चाहिए। हमें उन विषयों पर काम करने की जरूरत है, जो संपूर्ण मानवता और भारत की बढ़ती जरूरतों के लिए महत्वपूर्ण हैं। यदि वैज्ञानिक समुदाय ऊर्जा आवश्यकताओं के नवाचार की दिशा में काम करता है, तो इससे देश को मदद मिलेगी। भारत के अनुरोध पर, संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को 'अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष' घोषित किया। वाकई यह देश के लिए गर्व की बात है। हम भारतीय बाजरा को बेहतर बनाने की दिशा में काम कर सकते हैं।

 


जानिए कार्यक्रम के बारे में ये बातें

इस आयोजन के दौरान सतत विकास, महिला सशक्तिकरण और इसे हासिल करने में साइंस एंड टेक्नोलॉजी की भूमिका के मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। प्रतिभागी महिलाओं को एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित) शिक्षा, अनुसंधान के अवसरों और आर्थिक भागीदारी तक समान पहुंच प्रदान करने के तरीके खोजने के प्रयासों के साथ-साथ शिक्षण, अनुसंधान और उद्योग के शीर्ष क्षेत्रों में महिलाओं की संख्या बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा और विचार-विमर्श करेंगे।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महिलाओं के योगदान को प्रदर्शित करने के लिए एक विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा, जिसमें प्रसिद्ध महिला वैज्ञानिकों के व्याख्यान भी होंगे।

आईएससी के साथ-साथ कई अन्य कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। बच्चों के बीच वैज्ञानिक रुचि और स्वभाव को प्रोत्साहित करने में मदद करने के लिए बाल विज्ञान कांग्रेस का भी आयोजन किया जाएगा। किसान विज्ञान कांग्रेस जैव-अर्थव्यवस्था में सुधार और युवाओं को कृषि के प्रति आकर्षित करने के लिए एक मंच प्रदान करेगी। 

जनजातीय विज्ञान कांग्रेस भी आयोजित की जाएगी, जो आदिवासी महिलाओं के सशक्तिकरण पर ध्यान देने के साथ-साथ स्वदेशी प्राचीन ज्ञान प्रणाली और परंपरा को वैज्ञानिक तरीके से दर्शाने के लिए एक मंच होगा।

कांग्रेस का पहला अधिवेशन 1914 में आयोजित किया गया था। आईएससी का 108वां वार्षिक सत्र राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय में आयोजित किया जाएगा, जो इस वर्ष अपनी शताब्दी भी मना रहा है।

Share this story