केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद बोले- मुझे भी हिंदू कहें, बोले - भारत में जन्मा हर शख्स हिंदू, अंग्रेजों ने हमें धर्म के आधार पर बांटा था

Kerala Governor Arif Mohammed

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ 

तिरुवनंतपुरम । केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का कहना है कि हिंदू एक धार्मिक शब्द नहीं है, यह भौगोलिक शब्द है। जो भी भारत में पैदा हुआ, देश में खाते-पाते, उन्हें हिंदू कहा जाना चाहिए। आरिफ मोहम्मद ने कहा कि आपको मुझे भी हिंदू कहना चाहिए। अंग्रेजों ने लोगों को धर्म के आधार पर बांटा था। वे शनिवार को तिरुवनंतपुरम के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।

भारत में पैदा हुए हर शख्स को हिंदू कहलाने का अधिकार
केरल के राज्यपाल 28 जनवरी को तिरुवनंतपुरम में उत्तरी अमेरिका में बसे मलयाली हिंदुओं की ओर से आयोजित 'हिंदू सम्मेलन' का उद्घाटन करने पहुंचे थे। यहां उन्होंने कहा कि सर सैयद अहमद खान ने एक बार कहा था कि मुझे नहीं लगता कि हिंदू एक धार्मिक शब्द है, यह एक भौगोलिक शब्द है। जो कोई भी भारत में पैदा हुआ है, भारत में पैदा हुआ अनाज खाता है.. यहां की नदियों का पानी पीता है, वह हिंदू कहलाने का हकदार है।

तस्वीर तिरुवनंतपुरम में आयोजित हिंदू सम्मेलन की है। आरिफ मोहम्मद ने दीप जलाकर सम्मेलन की शुरुआत की।

(तस्वीर तिरुवनंतपुरम में आयोजित हिंदू सम्मेलन की है। आरिफ मोहम्मद ने दीप जलाकर सम्मेलन की शुरुआत की।)

आरिफ मोहम्मद ने कहा कि आपको मुझे भी हिंदू कहना चाहिए... अंग्रेजों के समय में हिंदू, मुस्लिम और सिख जैसी शब्दों का इस्तेमाल करना किया जाता था। क्योंकि उन्होंने लोगों को धर्मों के आधार पर बांट दिया था।

आरिफ ने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को साजिश बताया है
इस दौरान केरल गवर्नर ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की जमकर आलोचना की। उन्होंने कहा कि जो लोग भारत को सौ टुकड़ों में देखना चाहते हैं, वे परेशान हैं, इसलिए वे इस तरह के नकारात्मक प्रचार कर रहे हैं। यह उन लोगों की साजिश है जो भारत को अंधकार में देखना चाहते हैं। ये लोग उस समय के हालातों पर डॉक्यूमेंट्री क्यों नहीं बनाते जब अंग्रेज भारत में आए थे।

हिंदू सम्मेलन को संबोधित करते केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान।

(हिंदू सम्मेलन को संबोधित करते केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान।)

भारत की संपत्ति के लालच में आए थे विदेशी
उन्होंने कहा कि भारत गरीब देश नहीं था, इसीलिए बाहर से लोग भारत की संपत्ति के लालच में यहां आए थे। लेकिन 1947 तक हम दक्षिण एशिया में गरीबी के प्रतीक बन गए। अब सब कुछ बदल गया है। आज भारतीय दुनिया की कई दिग्गज मल्टीनेशनल कंपनियों में बड़े पदों पर हैं। इससे दुनिया को भारत की क्षमता का अहसास हो रहा है।

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