चीन सीमा पर तैनात हुए IAF के गरुड़ कमांडो
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Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ
नई दिल्ली। कश्मीर घाटी में काउंटर टेररिज्म ऑपरेशन और एयरबेस सिक्योरिटी में अपनी ताकत साबित कर चुके गरुड़ कमांडो LAC पर तैनात हैं। भारतीय वायु सेना की गरुड़ स्पेशल फोर्स को मई 2020 से स्पेशल ऑपरेशन के लिए चीन बॉर्डर पर ऊंचाई वाले स्थानों पर तैनात किया गया है।
अमेरिकी सिग सॉयर से लैस है गरुड़ फोर्स
भारतीय वायु सेना ने अपनी स्पेशल फोर्स को अमेरिकी सिग सॉयर असॉल्ट राइफल जैसे हथियारों से भी लैस किया है। इनके पास गैलिल स्नाइपर राइफल्स, इजराइली टेवर राइफल और उनके कई वैरिएंट्स के साथ-साथ नेगेव लाइट मशीन गन भी हैं जो 800 से 1000 मीटर की रेंज से दुश्मन सैनिकों को मार गिरा सकती हैं।
इसके अलावा AK-103 भी गरुड़ कमांडो को दी गई है, जिसका लेटेस्ट वर्जन AK-203 मेक इन इंडिया स्कीम के तहत भारत में ही बनाया जाएगा।
गरुड़ कमांडो आतंकी हमले में इमरजेंसी रिस्पॉन्स फोर्स, एंटी हाईजैकिंग, होस्टेज रेस्क्यू, प्राकृतिक आपदाओं में सिविल ऐड, कॉम्बैट सर्च, टोही दल और एयर असॉल्ट के दौरान खास भूमिका निभाते हैं।
रक्त हाजिन का ऑपरेशन है फेमस
गरुड़ कमांडोज ने जम्मू-कश्मीर में रक्त हाजिन ऑपरेशन को अंजाम दिया था। इसके लिए फोर्स ने नेगेव एलएमजी का इस्तेमाल किया था। इस दौरान गरुड़ टीम ने पांच आतंकवादियों को मार गिराया था। इसी ऑपरेशन के लिए कॉर्पोरल ज्योति प्रकाश निराला को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया है।
महिलाएं भी बनेंगी गरुड़ कमांडो
IAF की गरुड़ फोर्स में अब महिलाएं भी शामिल हो सकती हैं। हालांकि इस पर आधिकारिक फैसला नहीं आया है। सेना के एक अधिकारी ने बताया कि जेंडर इक्वैलिटी को बढ़ावा देने के लिए पिछले साल यह फैसला लिया गया था, बशर्ते महिलाएं ट्रेनिंग के सभी मानदंडों को पूरा कर सकें। अभी तक इस फोर्स में सिर्फ पुरुष कमांडो ही होते हैं।
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अरुणाचल में फ्रंटियर हाईवे बनेगा
अरुणाचल प्रदेश में केंद्र सरकार फ्रंटियर हाईवे बनाएगी। ये अगले पांच साल में तैयार होगा। तिब्बत-चीन-म्यांमार से सटी भारतीय सीमा के काफी करीब इस हाईवे के निर्माण से सेना के मूवमेंट में आसानी होगी। NH-913 के बनने से बार-बार सीमा पर चीनी दखल को देख रही सेना के लिए उपकरण और बाकी चीजों का ट्रांसपोर्टेशन भी आसान हो जाएगा।
दलाई लामा बोले- चीन लौटने का सवाल ही नहीं
तवांग झड़प के बाद तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा और तवांग मठ के संतों की प्रतिक्रिया सामने आई है। दलाई लामा कहना है कि चीन लौटने का तो कोई मतलब ही नहीं है। उन्हें भारत पसंद है। वहीं, तवांग मठ के संतों ने चेतवानी देते हुए कहा कि चीन ध्यान रखे, ये 1962 नहीं, 2022 है।