हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत: लीज आवंटन मामले को सुनवाई योग्य नहीं माना

हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत: लीज आवंटन मामले को सुनवाई योग्य नहीं माना

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

 

नई दिल्ली। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से सोमवार को बड़ी राहत मिली है। झारखंड हाईकोर्ट में चल रहे लीज आवंटन मामले को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई योग्य नहीं माना है। इस मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने लीज आवंटित करने और उनके करीबियों द्वारा शेल कंपनी में निवेश से संबंधित याचिका को सुनवाई योग्य माना था, जिसे सरकार और CM ने चुनौती दी थी।

चीफ जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस रवींद्र भट्ट और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा- झारखंड हाईकोर्ट में जो केस दर्ज है, वो चलने लायक ही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने 17 अगस्त को हेमंत सोरेन और राज्य सरकार की अपील याचिका पर सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

 

क्या है मामला?
शिव शंकर शर्मा की ओर से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ गलत तरीके से खनन लीज आवंटित कराने और उनके करीबियों द्वारा शेल कंपनी में निवेश का आरोप लगाते हुए झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई थी। इस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार और हेमंत सोरेन ने कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।

हालांकि कोर्ट ने इसे सुनवाई योग्य माना था। इस मामले में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। मामले में सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस यू यू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने 17 अगस्त को हेमंत सोरेन और राज्य सरकार की अपील याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
 
अब तक क्या हुआ है?

इस मामले में 10 फरवरी को राज्यपाल रमेश बैस से पूर्व सीएम रघुवर दास ने भी शिकायत की गई थी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की थी। राज्यपाल ने चुनाव आयोग से इस पर राय मांगी थी। आयोग ने बंद लिफाफे में अपनी राय दी थी। इस पर राज्यपाल ने अब तक कोई फैसला नहीं लिया। हेमंत को राहत कैसे? हेमंत सरकार ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में चौतरफा घिरी है। चुनाव आयोग से राज्यपाल ने दूसरी बार चिट्ठी भेजकर सलाह मांगी है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इस मामले को सुनवाई के योग्य नहीं मानना सरकार के लिए बड़ी राहत है।

 

बंद लिफाफा का क्या होगा
राज्यपाल ने उस लिफाफे को चुनाव आयोग को भेजकर दोबारा सलाह मांगी है। चुनाव आयोग जब तक राज्यपाल को इस पर सलाह नहीं देती तब तक लिफाफे का राज लिफाफे में ही बंद रहेगा। हेमंत सोरेन के वकील वैभव तोमर ने चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में चुनाव आयोग से मांगी गई दूसरी राय वाले पत्र की कॉपी उपलब्ध कराने की मांग की है।

इस चिट्ठी में राज्यपाल रमेश बैस के बयान का भी जिक्र किया गया है।अधिवक्ता ने चुनाव आयोग को लिखी चिट्ठी में बताया है कि अब तक इस पूरे मामले में चुनाव आयोग की ओर से कोई जानकारी नहीं मिली है। चिट्ठी में चुनाव आयोग से इस संबंध में जानकारी देने का आग्रह किया गया है।


ED के समन पर हेमंत सरकार कानूनी सलाह ले रही है
ईडी ने मुख्यमंत्री को एक बार पूछताछ के लिए बुलाया था। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उपस्थित नहीं हुए और समय मांगा है। ईडी की तरफ से अबतक इस मामले में कोई जानकारी नहीं साझा की गई है कि आगे क्या होगा, कब पूछताछ होगी। हेमंत सरकार इस मामले में कानूनी सलाह ले रही है।


JMM गांव-गांव जाकर बताएगी यह साजिश है
जेएमएम के कार्यकर्ता राज्य के अलग- अलग जिलों में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हेमंत सोरेन ने कार्यकर्ताओं से अपील की थी कि विरोधियों की साजिश की जानकारी सभी को दें और गांव- गांव में जाकर इसकी जानकारी दें। जेएमएम कई जिलों में गांवों में प्रदर्शन कर रही है। झामुमो के प्रवक्ता डॉ तनुज खत्री ने कहा है कि यह सच की जीत है। भाजपा जिस तरह केंद्रीय एजेंसी का इस्तेमाल कर रही है यह अनुचित है और इसके खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा। सच सबके सामने आया है।

इन आरोपों पर हेमंत सोरेन ने कहा था
इस मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि उस खनन लीज के लिए उन्होंने कई साल पहले एप्लिकेशन दी थी। उस दौरान वे किसी लाभ के पद पर नहीं थे। बीजेपी की ओर से मामले को उठाए जाने के बाद उन्होंने खनन लीज को सरेंडर भी कर दिया है। साथ ही उस पर कोई खनन भी नहीं हुआ है। ऐसे में लाभ के पद के दुरुपयोग का मामला ही नहीं बनता है और उन्हें डिस्क्वालिफाई यानी अयोग्य करार नहीं दिया जा सकता।

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