मशहूर फिल्ममेकर सावन कुमार टाक का निधन, लिखे कई मशहूर गीत , कभी मीना कुमारी ने इन्हें शादी के लिए किया था प्रपोज

मशहूर फिल्ममेकर सावन कुमार टाक का निधन, लिखे कई मशहूर गीत , कभी मीना कुमारी ने इन्हें शादी के लिए किया था प्रपोज

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ 

मुंबई ।  मशहूर फिल्ममेकर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर और राइटर सावन कुमार टाक का 86 साल की उम्र में निधन हो गया है। सावन की हालत पिछले कई दिनों से नाजुक थी, जिसके चलते उन्हें मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। गुरुवार सुबह हालत बिगड़ने पर उन्हें ICU वॉर्ड में शिफ्ट किया गया था, जहां हार्ट अटैक से उन्होंने दम तोड़ दिया।

सावन कुमार टाक ऐसे फिल्म मेकर थे जिनकी सिनेमाई सोच का लोहा फिल्मी इंडस्ट्री से जुड़ा हर शख्स मानता है। जो एक डायरेक्टर, प्रोड्यूसर और राइटर भी थे। जिनकी लिखी कहानियां 90 के दशक पर फिल्मी परदे पर हिट साबित होती थीं। संजीव कुमार और महमूद जूनियर को सिनेमा जगत में ब्रेक देना का क्रेडिट भी इन्हीं को जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि वो ट्रैजडी क्वीन मीना कुमारी की जिंदगी का आखिरी हिस्सा थे। जब फिल्म 'गोमती के किनारे' बनाने के लिए सावन कुमार के पास पैसे खत्म हुए तो मीना कुमारी ने अपना बंगला तक बेच दिया था। इसी फिल्म के सेट पर मीना कुमारी इन पर फिदा हो गई थीं।

सत्यजीत रे की सिनेमैटोग्राफी से इंस्पायर होकर डायरेक्शन के फील्ड में रखा कदम

सावन कुमार टाक का शुरुआती सफर बिल्कुल आसान नहीं था। 9 अगस्त 1936 को जयपुर में जन्में सावन कुमार हमेशा से ही एक्टर बनना चाहते थे। बचपन से ही वो पृथ्वीराज कपूर के फिल्मों को देखकर बहुत इंस्पायर होते थे। एक्टर बनने की चाह में सावन कुमार मां के 45 रुपए चुरा कर कोलकाता चले गए थे। वहां उनकी मुलाकात सत्यजीत रे से हुई थी। सत्यजीत रे की सिनेमैटोग्राफी से इंस्पायर होकर उन्होंने डायरेक्शन के फील्ड में करियर बनाने का सोचा। इसी सफर को आगे बढ़ाने के लिए वो मुंबई आ गए।

मुंबई आने के बाद सावन कुमार कई साल तक डायरेक्टर, प्रोड्यूसर के आफिस के चक्कर लगाते रहे, पर उन्हें कहीं कोई काम नहीं मिला। समय बीतता गया और संघर्ष जारी रहा। काम और संघर्ष की जद्दोजहद ही उन्हें एक दिन मुंबई के फेमस मोहन स्टूडियो ले आई और यहीं से शुरू हुआ सावन कुमार के डायरेक्शन का सफर।

इन्होंने ही बदला था संजीव कुमार का नाम ,  पहली  फिल्म 'नौनिहाल

सावन ने अपने करियर की शुरुआत 1967 में रिलीज हुई  फिल्म 'नौनिहाल' से की थी। उन्होंने ही इसकी कहानी भी लिखी थी। इस फिल्म में संजीव कुमार लीड रोल में थे जिनका असली नाम हरिभाई जरीवाला था। सावन ने ही उन्हें अपना नाम बदलने की सलाह दी थी। फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कारों में राष्ट्रपति पद का उल्लेख मिला था। सावन के निर्देशन में बनी फिल्मों से ही संजीव कुमार और जूनियर महमूद को देशभर में पहचान मिली थी।

‘गोमती के किनारे’ थी पहली हिट फिल्म

इसके बाद ये सिलसिला रुका नहीं और 1972 में रिलीज हुई फिल्म गोमती के किनारे। इस फिल्म की कहानी सावन कुमार के पर्सनल लाइफ एक्सपीरियंस पर बेस्ड थी। इस फिल्म की 6 रील शूट करने के बाद ही एक्ट्रेस मीना कुमारी की तबीयत खराब हो गई थी पर इस फिल्म को पूरा करने के लिए मीना कुमारी ने वादा किया था कि वो किसी भी हालात में इस फिल्म को जरुर पूरा करेंगी। बहरहाल ये फिल्म किसी तरह बनी पर इस फिल्म को मीना कुमारी देख नहीं पाईं। ये फिल्म बाॅक्स ऑफिस हिट साबित हुई थी।

मॉरिशस में पहली भारतीय फिल्म शूट करने वाले डायरेक्टर बने


1983 में रिलीज हुई राजेश खन्ना स्टारर फिल्म 'सौतन' को साजन कुमार ने ही डायरेक्ट किया था। यह फिल्म मॉरिशस में शूट होने वाली पहली भारतीय फिल्म थी। यह प्लेटिनम जुबली हिट थी।

फिल्मों के गाने भी खुद लिखा करते थे

70 के दशक में रिलीज हुई सावन कुमार की 2 फिल्में ‘हवस’ और ‘अब क्या होगा’ ने उन्हें खास कामयाबी दिलाई। इसके बाद सावन कुमार की फिल्म ‘साजन बिना सुहागन’ रिलीज हुई जो बॉक्स ऑफिस पर हिट रही। उन्होंने मीना कुमारी, राजेन्द्र कुमार, नूतन, राजेश खन्ना, संजीव कुमार, रेखा और सलमान खान के साथ कई फिल्में बनाई और उन फिल्मों के गीत भी लिखे। सावन कुमार के गानों के लिस्ट में शामिल है ‘तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम’ (हवस), ‘जिंदगी प्यार का गीत है, इसे हर दिल को गाना पड़ेगा’, ‘शायद मेरी शादी का ख्याल दिल में आया है’ (सौतन), ‘चांद, सितारे, फूल और खुशबू’ (कहो ना प्यार है)।

मीना कुमारी की जिंदगी का आखिरी हिस्सा थे सावन कुमार

ट्रैजेडी क्वीन मीना कुमारी से भी सावन कुमार का खास रिश्ता रहा है। ऐसा कहा जाता है कि मीना कुमारी के लाइफ में आखिरी शख्स सावन कुमार ही थे। सावन कुमार की मीना कुमारी से मुलाकात फिल्म 'गोमती के किनारे' की स्क्रिप्ट सुनाने के दौरान हुई थी। फिल्म की शूटिंग के दौरान ही मीना कुमारी उन पर पर फिदा हो गई थीं। उस समय मीना कुमारी बहुत बीमार रहती थीं। हालत ये था कि कमजोरी के कारण वो शाॅट देते गिर जाती थीं पर उन्होंने किसी तरह इस फिल्म को पूरा किया। किस्सा ये भी है कि जब फिल्म 'गोमती के किनारे' बनाने के लिए सावन कुमार के पास पैसे खत्म हो गए थे तो मीना कुमारी ने अपना बंगला तक बेच दिया था।

इलाज के दौरान मीना कुमारी ने किया था प्रपोज

1972 में तबीयत खराब होने पर मीना कुमारी को मुंबई के सेंट एलिजाबेथ नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था। इस दौरान सावन कुमार ने ही उनकी देखभाल की थी। जब मीना कुमारी को खून की उल्टी होती तो वह उन्हें अपने हाथ में ले लेते थे। बीमारी के दौरान ही मीना कुमारी ने उन्हें शादी के लिए भी प्रपोज किया था, लेकिन लीवर की गंभीर बीमारी से जूझ रही मीना कुमारी का निधन हो गया था। मीना कुमारी की मौत के बाद सावन कुमार उनके कब्र के पास घंटों रोए थे।


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