Neuralink: सिर्फ सोचकर ही चला सकेंगे मोबइल या कंप्यूटर, 6 महीने बाद इंसानी दिमाग में चिप फिट करेंगे Elon Musk

Neuralink: सिर्फ सोचकर ही चला सकेंगे मोबइल या कंप्यूटर, 6 महीने बाद इंसानी दिमाग में चिप फिट करेंगे Elon Musk

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

मुंबई। हाल ही में Neuralink टेक्नोलॉजी से जुड़ा एक वीडियो सामने आया था, जिसमें एक बंदर अपने दिमाग की मदद से टाइपिंग करता नजर आ रहा है। यह वही टेक्नोलॉजी है जिसमें Tesla, SpaceX और हाल ही में Twitter के मालिक बने एलन मस्क का बहुत इंटरेस्ट रहता है। उनकी एक अन्य कंपनी न्यूरालिंक लंबे वक्त से इस टेक्नोलॉजी पर भी काम कर रही है। आइए जानते हैं इस टेक्नोलॉजी से जुड़ी खास डिटेल्स...

क्या काम कर रही है न्यूरालिंक?

सबसे पहले तो आपको बता दें कि इंटरफेस टेक्नोलॉजी वाली यह ये कंपनी पिछले कुछ दिनों से चर्चा में है। इसकी वजह यह है कि कंपनी ने एक नई चिप बनाई है, जिसे इंसानों के दिमाग में फिट किया जा सकेगा।

इसकी मदद से इंसानों के दिमाग को रीड किया जा सकेगा। बता दें कि न्यूरालिंक के फाउंडर एलन मस्क ने यह जानकारी न्यूरालिंक के कैलिफोर्निया हेडक्वार्टर में हाल ही में हुए 'शो एंड टेल' इवेंट में दी। वे 2016 से इस बारे में बात करते आए हैं।

कैसे काम करती है यह चिप?

ये एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पावर्ड माइक्रो चिप है, जो दिमाग की एक्टिविटी को रिकॉर्ड और रीड करती है। न्यूरालिंक ने सिक्के के आकार का एक डिवाइस बनाया है जिसे नाम दिया गया है 'लिंक'।

ये डिवाइस कंप्यूटर, मोबाइल फोन या किसी अन्य उपकरण को ब्रेन एक्टिविटी (न्यूरल इम्पल्स) से सीधे कंट्रोल करने में सक्षम करता है। इस चिप के दिमाग में फिट होने के बाद लोग सिर्फ सोचकर ही कंप्यूटर या मोबाइल चला सकेंगे।

क्या है कंपनी का मकसद?

कंपनी का मुख्य मकसद इस चिप की मदद से लोगों की डिसेबिलिटी को दूर करने में है। खास बात ये है कि मस्क खुद इस चिप को अपने दिमाग में लगवाना चाहते हैं। इस इवेंट में मस्क ने यह भी बताया कि उनके ब्रेन चिप इंटरफेस स्टार्टअप का डेवलप वायरलेस डिवाइस 6 महीने में ह्यूमन ट्रायल के लिए तैयार हो जाएगा।

इस चिप की मदद से क्या क्या होगा संभव?

- इस चिप की मदद से ब्लाइंड इंसान भी देख सकेंगे और एक पैरालाइज शख्स सिर्फ अपने दिमाग का इस्तेमाल करके स्मार्टफोन यूज कर सकेगा। 

- यूजर्स दिमाग की मदद से हाथ से ज्यादा तेज फोन यूज कर सकेंगे।

एक ऐप भी किया है डिजाइन

इसके साथ ही कंपनी ने एक ऐप भी डिजाइन किया गया है ताकि ब्रेन एक्टिविटी से सीधे अपने कीबोर्ड और माउस को बस इसके बारे में सोच कर कंट्रोल कर सकें।

इस डिवाइस को चार्ज करने की भी जरूरत होगी। इसके लिए कॉम्पैक्ट इंडक्टिव चार्जर डिजाइन किया गया है जो बैटरी को बाहर से चार्ज करने के लिए वायरलेस तरीके से इम्प्लांट से जुड़ता है।

Share this story