ये मंदिर महज देव मंदिर नहीं, भारत की दृष्टि-दर्शन का मंदिर है, राम भारत का विचार-विधान है , राम भारत का चिंतन, चेतना, प्रवाह, प्रभाव, नेति, निरंतरता है

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प्रधानमंत्री ने कहा- आज रामलला की प्रतिष्ठा, वसुधैव कुटुंबकम् की भी प्रतिष्ठा है। ये राम के रूप में साक्षात भारतीय संस्कृति की प्राण प्रतिष्ठा है। साथ ही मानवीय मूल्यों की प्राण प्रतिष्ठा है। इसकी आवश्यकता संपूर्ण विश्व को है। हम ये संकल्प सदियों से दोहराते आए हैं। ये मंदिर महज देव मंदिर नहीं, भारत की दृष्टि-दर्शन का मंदिर है। राम भारत का विचार-विधान है।

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

 

अयोध्या । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- विश्व के कोने-कोने से जुड़े सभी राम भक्त आप सभी को प्रणाम। आप सभी को राम-रामआज हमारे राम आ गए हैं। सदियों की प्रतीक्षा के बाद हमारे राम आ गए हैं। सदियों को अभूतपूर्व धैर्य, अनगिनत बलिदान, तपस्या के बाद हमारे राम आ गए हैं। इस शुभ घड़ी में समस्त देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई।

मैं अभी गर्भगृह में ईश्वरीय चेतना का साक्षी बनकर आपके सामने उपस्थित हूं। कितना कुछ कहने को है। मेरा शरीर अभी भी स्पंदित है। चित्त अभी भी उस पल में लीन है।हमारे रामलला अब टेंट में नहीं रहेंगे। हमारे रामलला अब दिव्य मंदिर में रहेंगे। मेरा पक्का विश्वास, अपार श्रद्धा है कि जो घटित हुआ है, उसकी अनुभूति दुनिया में हर रामभक्त को रही होगी।

ये माहौल, ये वातावरण, ये ऊर्जा, ये घड़ी, हम सब पर प्रभु श्रीराम का आशीर्वाद है। 22 जनवरी 2024 का सूरज एक अद्भुत ऊर्जा लेकर आया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- राम मंदिर के निर्माण के बाद से देशवासियों में नया उत्साह पैदा हो रहा था। आज हमें सदियों की धरोहर मिली है, श्रीराम का मंदिर मिला है। गुलामी की मानसिकता को तोड़कर उठ खड़ा होता राष्ट्र ऐसे ही नवइतिहास का सृजन करता है। आज से हजार साल बाद भी लोग आज के इस पल, तारीख की चर्चा करेंगे। राम की कितनी बड़ी कृपा है कि हम सब इस पल को घटित होते देख रहे हैं।

मैं पावन अयोध्यापुरी और सरयू को भी प्रणाम करता हूं। मैं इस समय दैवीय अनुभूति कर रहा हूं। वे दैवीय अनुभूतियां भी हमारे आसपास उपस्थित हैं, उन्हें कृतज्ञतापूर्वक नमन करता हूं। प्रभु राम से क्षमायाचना भी करता हूं। हमारे त्याग, तपस्या, पूजा में कोई तो कमी रह गई होगी कि इतने साल ये काम नहीं कर पाए। आज ये कमी पूरी हुई। मुझे विश्वास है कि प्रभु राम हमें अवश्य क्षमा करेंगे।

त्रेता में राम आगमन पर तुलसी ने लिखा- प्रभु के अयोध्या आगमन से सभी देशवासी हर्ष से भर गए। जो विपत्ति आई थी, वो खत्म हो गई। वो 14 वर्षों का था। अब तो हमने सैकड़ों वर्षों का वियोग सहा है। भारत के संविधान की पहली प्रति में भगवान राम विराजमान हैं। दशकों तक प्रभु राम के अस्तित्व पर कानूनी लड़ाई चली। मैं न्यायपालिका का शुक्रगुजार हूं कि उसने लाज रख ली।

आज गांव-गांव में कीर्तन-संकीर्तन हो रहे हैं। स्वच्छता अभियान चल रहा है। देश दीपावली बना रहा है। आज शाम घर-घर राम ज्योत जलेगी। कल मैं धनुषकोडि में था। जिस घड़ी राम समुद्र पार करने निकले थे, उसे कालचक्र बदला था। अब कालचक्र फिर बदलेगा।

मैं सौभाग्यशाली हूं कि अनुष्ठान के दौरान सागर से सरयू तक की यात्रा का मौका मिला। राम भारतवासियों के मन में विराजे हुए हैं। किसी के भी मन को छुएंगे तो एकत्व की अनुभूति होगी। मुझे देश के कोने-कोने में रामायण सुनने का अवसर मिला।

पिछले 11 दिनों में रामायण अलग-अलग राज्यों में, अलग-अलग भाषाओं में सुनने का मौका मिला। ऋषियों ने कहा है कि जिसमें रम जाएं, उसी में राम है। हर युग में लोगों ने राम को जिया है। हर युग में लोगों ने अपने-अपने शब्दों, अपनी-अपनी तरह राम को व्यक्त किया है। ये राम रस निरंतर बहता रहता है।

आज के इस ऐतिहासिक समय में देश उन व्यक्तित्वों को भी याद कर रहा है, जिनकी वजह से शुभ दिन देख रहे हैं। उन अनगिनत कारसेवकों, संत-महात्माओं के हम ऋणी हैं। आज उत्सव का क्षण तो है ही, साथ ही ये क्षण भारतीय समाज की परिपक्वता का भी है। ये क्षण विजय ही नहीं, विनय का भी है। कई राष्ट्र अपने ही इतिहास में उलझ जाते हैं।

जब भी उन्होंने इतिहास की गांठें सुलझाने का प्रयास किया तो मुश्किल परिस्थितियां बन गईं। हम जिस गांठ को भावुकता और समझदारी के साथ खोला है, वो बताता है कि भविष्य बहुत सुंदर होने जा रहा है। कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी। राम मंदिर किसी आग को नहीं, ऊर्जा को जन्म दे रहा है। ये समन्वय, उज्ज्वल भविष्य के पथ पर बढ़ने की प्रेरणा लेकर आया है।

राम आग नहीं, ऊर्जा हैं। राम विवाद नहीं, राम समाधान हैं। राम सिर्फ हमारे नहीं, सबके हैं। राम वर्तमान नहीं, अनंत काल हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा- आज रामलला की प्रतिष्ठा, वसुधैव कुटुंबकम् की भी प्रतिष्ठा है। ये राम के रूप में साक्षात भारतीय संस्कृति की प्राण प्रतिष्ठा है। साथ ही मानवीय मूल्यों की प्राण प्रतिष्ठा है। इसकी आवश्यकता संपूर्ण विश्व को है। हम ये संकल्प सदियों से दोहराते आए हैं। ये मंदिर महज देव मंदिर नहीं, भारत की दृष्टि-दर्शन का मंदिर है। राम भारत का विचार-विधान है।

राम भारत का चिंतन, चेतना, प्रवाह, प्रभाव, नेति, निरंतरता है। राम विश्व है, विश्वात्मा हैं। इसलिए जब राम की स्थापना होती है तो उसका प्रभाव हजारों वर्षों के लिए होता है।

आज के युग की मांग है कि हमें अंत:करण को विस्तार देना होगा। हनुमान जी की भक्ति, उनका समर्पण ऐसे गुण हैं, जिन्हें बाहर नहीं खोजना पड़ता। यही तो देव से देश और राम से राष्ट्र की चेतना का विस्तार है। दूर कुटिया में जीवन गुजारने वाली मां शबरी का ध्यान आता है। वो हमेशा कहती थीं- राम आएंगे। ये सच हुआ है।

निषादराज की मित्रता सब बंधनों से परे हैं। सब समान हैं। मैं तो बहुत सामान्य हूं, मैं तो बहुत छोटा हूं, कोई ये सोचता है तो उसे राम की मदद करने वाली गिलहरी का ध्यान करना चाहिए। सबका अपना योगदान होता है। यही दिव्य और समर्थ भारत बनने का कारण बनेगा।

आइए, संकल्प लें कि हम राष्ट्र के लिए हम जीवन का पल-पल लगा देंगे। शरीर का कण-कण राष्ट्र के लिए समर्पित कर देंगे। पूजा अहं से उठकर वयं के लिए होनी चाहिए। हमें नित्य पराक्रम, पुरुषार्थ का प्रसाद प्रभु राम को चढ़ाना होगा। तभी भारत को वैभवशाली बना पाएंगे। आज भारत युवाशक्ति की ऊर्जा से भरा है। हमें अब झुकना नहीं है, अब बैठना नहीं है। मैं युवाओं से कहूंगा कि आपके सामने हजारों सालों की प्रेरणा है। वो चांद पर तिरंगा फहरा रही है तो 15 लाख किमी दूर अंतरिक्ष में यान पहुंचा रही है। आने वाला समय अब सफलता का है। आने वाला समय सिद्धि का है। ये राम मंदिर भारत के उत्कर्ष-उदय का साक्षी बनेगा।

मंदिर सिखाता है कि लक्ष्य प्रमाणित हो तो उसे हासिल किया जा सकता है। शताब्दियों की प्रतीक्षा के बाद हम यहां पहुंचे हैं। अब हम रुकेंगे नहीं। रामलला के चरणों में मेरा प्रणाम।

प्रधानमंत्री 12 जनवरी से 11 दिन के उपवास पर थे। श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव ने उनका व्रत खुलवाया।

प्रधानमंत्री 12 जनवरी से 11 दिन के उपवास पर थे। श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव ने उनका व्रत खुलवाया।

अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा सोमवार को पूरे विधि विधान के साथ पूरी हुई। 84 सेकेंड के मुहूर्त में श्रीरामलला की स्थापना की गई। गर्भगृह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा RSS प्रमुख मोहन भागवत, UP की गवर्नर आनंदी बेन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे।

मोदी बतौर मुख्य यजमान हल्के पीले रंग की धोती और कुर्ता पहनकर 12 बजे मंदिर परिसर में पहुंचे। उनके हाथ में एक थाल थी, जिसमें श्रीरामलला का चांदी का छत्र था। संकल्प के साथ प्राण प्रतिष्ठा की विधि 12 बजकर 5 मिनट पर शुरू हुई, जो 1 घंटे से ज्यादा समय तक चली।

प्रधानमंत्री ने भगवान की आरती कर चंवर डुलाया। मुख्य पुजारी सत्येन्द्र दास से कलावा बंधवाया और उनके पैर छुए। इसके बाद उन्होंने श्रीरामलला की परिक्रमा की और साष्टांग प्रणाम किया। उन्होंने राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के भी पैर छुए।

प्रधानमंत्री इसके बाद सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल हुए। यहां श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव ने भगवान राम का चरणामृत पीलाकर उनका व्रत खुलवाया। प्रधानमंत्री 12 जनवरी से 11 दिन के उपवास पर थे।

प्रधानमंत्री ने श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले 11 दिन के अनुष्ठान के दौरान उपवास, जप और गाय की पूजा की। वे 11 दिन तक फर्श पर सोए और सिर्फ नारियल पानी पीकर, फल खाकर रहे। मोदी इस दौरान रामायण से जुड़े 4 राज्यों के 7 मंदिरों में दर्शन-पूजन भी किए।

प्राण-प्रतिष्ठा की तस्वीरें...

श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद की पहली तस्वीर। उन्हें सोने के आभूषण से सजाया गया है।

श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद की पहली तस्वीर। उन्हें सोने के आभूषण से सजाया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीरामलला की परिक्रमा की और साष्टांग प्रणाम किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीरामलला की परिक्रमा की और साष्टांग प्रणाम किया।

प्राण प्रतिष्ठा के पूजन के दौरान पुजारी ने पीएम मोदी को तिलक लगाया।

प्राण प्रतिष्ठा के पूजन के दौरान पुजारी ने पीएम मोदी को तिलक लगाया।

प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीरामलला के चरणों में कमल का फूल चढ़ाया और साष्टांग प्रणाम किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीरामलला के चरणों में कमल का फूल चढ़ाया और साष्टांग प्रणाम किया।

गर्भगृह में श्रीरामलला के पूजन के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत कई लोग मौजूद थे।

गर्भगृह में श्रीरामलला के पूजन के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत कई लोग मौजूद थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलला के पैर छुए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलला के पैर छुए।

प्रधानमंत्री के साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत भी गर्भगृह में मौजूद थे।

प्रधानमंत्री के साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत भी गर्भगृह में मौजूद थे।

प्राण प्रतिष्ठा पूजन पूरा होने के बाद पीएम मोदी ने रामलला की आरती की।

प्राण प्रतिष्ठा पूजन पूरा होने के बाद पीएम मोदी ने रामलला की आरती की।

प्रधानमंत्री को मंदिर के अंदर संतों ने सोने की अंगूठी उपहार स्वरूप भेंट की।

प्रधानमंत्री को मंदिर के अंदर संतों ने सोने की अंगूठी उपहार स्वरूप भेंट की।

 

प्रधानमंत्री हाथ में चांदी का छत्र लेकर मंदिर पहुंचे।

श्रीरामलला का भव्य मंदिर और प्राण प्रतिष्ठा में शामिल लोग।

श्रीरामलला का भव्य मंदिर और प्राण प्रतिष्ठा में शामिल लोग।

प्रधानमंत्री ने हेलिकॉप्टर से अयोध्या धाम का वीडियो बनाया।

प्रधानमंत्री ने हेलिकॉप्टर से अयोध्या धाम का वीडियो बनाया।

 

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