नोटबंदी पर सुप्रीम फरमान : केंद्र और आरबीआई को नोटिस जारी 9 नवंबर तक बताना है किस कानून से 1000-500 के नोट बंद किए

नोटबंदी पर सुप्रीम फरमान : केंद्र और आरबीआई को नोटिसजारी 9 नवंबर तक बताना है किस कानून से 1000-500 के नोट बंद किए

सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने नोटबंदी के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के दौरान बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्हें लक्ष्मण रेखा पता है। शीर्ष अदालत ने साथ ही कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ड्यूटी है कि जो सवाल उन्हें रेफर किए गए हैं उसका वह जवाब दे।

सुप्रीम कोर्ट इस फैसले का परीक्षण करेगा ताकि पता चले कि यह केवल एकेडमिक बहस तो नही था? मामले की अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी।
 

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी पर केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को नोटिस जारी किया है। 5 जजों की संविधान पीठ ने 9 नवंबर तक यह बताने को कहा है कि किस कानून के तहत 1000 और 500 रुपए के नोट बंद किए गए थे। कोर्ट ने सरकार और RBI को हलफनामे में अपना जवाब देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने नोटबंदी के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के दौरान बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्हें लक्ष्मण रेखा पता है। शीर्ष अदालत ने साथ ही कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ड्यूटी है कि जो सवाल उन्हें रेफर किए गए हैं उसका वह जवाब दे। सुप्रीम कोर्ट इस फैसले का परीक्षण करेगा ताकि पता चले कि यह केवल एकेडमिक बहस तो नही था? मामले की अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी।

याचिकाकर्ताओं की दलील है कि भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 26 (2) किसी विशेष मूल्यवर्ग के करेंसी नोटों को पूरी तरह से रद्द करने के लिए सरकार को अधिकृत नहीं करती है। धारा 26 (2) केंद्र को एक खास सीरीज के करेंसी नोटों को रद्द करने का अधिकार देती है, न कि संपूर्ण करेंसी नोटों को। अब इसी का जवाब सरकार और RBI को देना है।

सरकार, RBI को हलफनामा देने का आदेश
नोटबंदी के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और आरबीआई से हलफनामा के जरिए जवाब दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील पी. चिदंबरम ने दलील दी कि केंद्र का आरबीआई को इस बारे में लिखे लेटर, आरबीआई की सिफारिश आदि से संबंधित दस्तावेज मांगा जाए। साथ ही कहा कि आरबीआई एक्ट के तहत केंद्र सरकार को पूरे करेंसी नोट रद्द करने का अधिकार नहीं है। इस दलील के मद्देनजर हलफनामा पेश करने को कहा गया है।

 

ये जज कर रहे थे सुनवाई
जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय पीठ ने कहा कि जब कोई मामला संविधान पीठ के समक्ष लाया जाता है, तो उसका जवाब देना पीठ का दायित्व बन जाता है। संविधान पीठ में जस्टिस बी. आर. गवई, जस्टिस ए. एस. बोपन्ना, जस्टिस वी. रमासुब्रमण्यम और जस्टिस बी. वी. नागरत्ना भी शामिल थे।

 

2016 में सरकार के फैसले के खिलाफ दायर हुई थी याचिका

2016 में विवेक शर्मा ने याचिका दाखिल कर सरकार के फैसले को चुनौती दी। इसके बाद 58 और याचिकाएं दाखिल की गईं। अब तक सिर्फ तीन याचिकाओं पर ही सुनवाई हो रही थी। अब सब पर एक साथ सुनवाई होगी। यह सुनवाई जस्टिस एस.अब्दुल नजीर की अध्यक्षता में होगी।

16 दिसंबर 2016 को ही ये केस संविधान पीठ को सौंपा गया था, लेकिन तब बेंच का गठन नहीं हो पाया था। 15 नवंबर 2016 को उस समय के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने मोदी सरकार के इस फैसले की तारीफ की थी।

चीफ जस्टिस ने कहा था- नोटबंदी की योजना के पीछे सरकार की जो मंशा है वो तारीफ के लायक है। हम आर्थिक नीति में दखल नहीं देना चाहते, लेकिन हमें लोगों को हो रही असुविधा की चिंता है। उन्होंने सरकार से इस मसले पर एक हलफनामा दायर करने को कहा था।

 

16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को 5 जजों की बेंच को सौंपा था
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकीलों ने सरकार की नोटबंदी की योजना में कई कानूनी गलतियां होने की दलील दी थी, जिसके बाद 16 दिसंबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 5 जजों की संविधान पीठ के पास भेज दिया था। तब कोर्ट ने सरकार के इस फैसले पर कोई भी अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया था। यहां तक कि कोर्ट ने तब नोटबंदी के मामले पर अलग-अलग हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं पर सुनवाई से भी रोक लगा दी थी।

नोटबंदी के बाद छपे 500-2000 के 1680 करोड़ नोट गायब...RBI के पास हिसाब नहीं

 

यह तस्वीर 27 जुलाई 2022 की है। पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के एक फ्लैट से ED को 50 करोड़ कैश मिला था। यह पूरी राशि 500 और 2000 के नोटों में ही थी।

2016 की नोटबंदी के समय केंद्र सरकार को उम्मीद थी कि भ्रष्टाचारियों के घरों के गद्दों-तकियों में भरकर रखा कम से कम 3-4 लाख करोड़ रुपए का काला धन बाहर आ जाएगा। पूरी कवायद में काला धन तो 1.3 लाख करोड़ ही बाहर आया…मगर नोटबंदी के समय जारी नए 500 और 2000 के नोटों में से अब 9.21 लाख करोड़ गायब जरूर हो गए हैं।

जानिए, याचिका में क्या-क्या
मामले की सुनवाई के दौरान याची के वकील पी. चिदंबरम ने कहा कि नोटबंदी के कारण लोगों का जीवनयापन का जरिया जाता रहा। लोगों की नौकरी चली गई और लोग बेरोजगार हो गए। अगर नोटबंदी करना था तो बैकअप में कैश होना चाहिए था। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों को भारी कठिनाई हुई है और यह हम देख रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट को चिदंबरम ने कहा कि क्या इस फैसले के लिए विवेक का इस्तेमाल किया गया? क्या यह अपनी मर्जी का फैसला नहीं था? दस्तावेज का अवलोकन होना चाहिए। सरकार ने जो आरबीआई को एडवाइस किया उससे संबंधित दस्तावेज देखे जाएं। केंद्र सरकार का आरबीआई को लिखा लेटर, आरबीआई की सिफारिश आदि से संबधित दस्तावेज देखा जाए। आरबीआई एक्ट की धारा 26 (2) के तहत केंद्र नोट की कुछ सीरीज को रद्द कर सकती है पूरे करेंसी को नहीं। आरबीआई के बोर्ड की बैठक के दस्तावेज भी मांगे जाए। संसद में भी यह दस्तावेज नहीं दिखाए गए। सुप्रीम कोर्ट शीर्ष अदालत है यहां देखा जाए।

58 अर्जियों पर सुनवाई
पिछली सुनवाई के दौरान संवैधानिक बेंच ने कहा था कि वह मामले की सुनवाई के दौरान पहले यह देखेगा कि यह मामला क्या अब सिर्फ एकेडमिक बहस के लिए रह गया है? याची ने लगातार दलील दी कि यह मामला सिर्फ एकेडमिक नहीं है। लेकिन अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल ने केंद्र सरकार की ओर से कहा कि यह मामला सिर्फ एकेडमिक है। लेकिन याची ने कहा कि केंद्र सरकार का फैसला अभी भी चुनौती के लिए ओपन है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसए नजीर की अगुवाई वाली पांच जजों की संवैधानिक बेंच के सामने नोटबंदी को चुनौती देते हुए 58 अर्जी दाखिल की गई है जिस पर सुनवाई शुरू हुई। केंद्र सरकार के 500 और 1000 के नोट बंद किए जाने के फैसले को चुनौती दी गई है। मामले को सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक बेंच को रेफर कर दिया था।

यह भी पढ़ें : केरल में काले जादू के चलते मानव बलि देने के बाद हड़कंप : 2 महिलाओं की बलि, एक के 56 टुकड़े किए, शव खाने का शक

Share this story