नौसेना में शामिल सैंड शार्क INS वगीर:पानी के अंदर 40KMPH रफ्तार

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ
मुंबई । कलावरी क्लास की 5वीं पनडुब्बी वगीर सोमवार सुबह नौसेना में शामिल हो गई। इसे सैंड शार्क भा कहा जाता है। नौसेना के अध्यक्ष एडमिरल आर हरिकुमार ने मुंबई के नेवल डॉकयॉर्ड पर वगीर को कमीशंड किया। पानी के भीतर वगीर की रफ्तार 40 किलोमीटर/घंटा है और पानी के ऊपर इसकी रफ्तार 20 किलोमीटर/घंटा है।
एडमिरल आर हरिकुमार ने कहा- वगीर 24 महीने की अवधि में नौसेना में शामिल होने वाली तीसरी सबमरीन है। ये कॉम्प्लेक्स के निर्माण में हमारे शिपयार्ड की स्पेशलाइजेशन का भी एक शानदार सबूत है। मैं सबको उनकी कड़ी मेहनत और सराहनीय प्रयास के लिए शुभकामनाएं देता हूं।
वगीर को तट के साथ-साथ समुद्र में तैनात किया जा सकता है।
पहले मिल चुकी हैं 4 सबमरीन
नौसेना के अधिकारियों ने बताया कि पनडुब्बी से भारतीय नौसेना की ताकत में इजाफा होगा। प्रोजेक्ट-75 के तहत यह पांचवी कलवरी क्लास पनडुब्बी है। प्रोजेक्ट-75 के तहत स्कॉर्पीन डिजाइन की कुल 6 स्वदेशी पनडुब्बियां बनाई जानी हैं।
इससे पहले कलवारी, खंडेरी, करंज और वेला चार सबमरीन को नौसेना में शामिल कर लिया गया है। इनका निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड मुंबई में मैसर्स नेवल ग्रुप, फ्रांस के सहयोग से हुआ। दोनों कंपनियों के बीच 6 सबमरीन तैयार करने लिए 2005 में करार हुआ था।
इस सबमरीन की खासियत है कि ये दुश्मन के रडार की पकड़ में नहीं आएगी।
साइलेंट किलर है वगीर वगीर का नाम सैंड फिश की एक प्रजाति पर रखा गया है, जो इंडियन ओशन की एक घातक समुद्री शिकारी है। इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है। वगीर को 12 नवंबर 2020 को लांच किया गया था। एक फरवरी 2022 से वगीर ने समुद्री ट्रायल्स शुरू किए। इसने दूसरी पनडुब्बियों के मुकाबले सबसे कम समय में हथियार और सेंसर के प्रमुख ट्रायल्स पूरे कर लिए।
ये पानी के अंदर 50 दिनों तक रह सकती है। इसमें 50 सैनिक एक साथ तैनात हो सकते हैं।
वगीर की खासियत
सबमरीन एंटी-सरफेस वॉरफेयर, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर, खुफिया जानकारी जुटाना, माइन बिछाने और एरिया सर्विलांस का काम कर सकती हैं। वगीर 221 फीट लंबी है और 21 मीटर ऊंची है। पनडुब्बी पानी के ऊपर 20 किलोमीटर प्रति घंटे और पानी के अंदर 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार की क्षमता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सबमरीन में 16 टोरपेडोस, माइंस, मिसाइल लैस हैं।
INS वगीर को समुद्र के अंदर 350 मीटर की गहराई में तैनात किया जा सकता है।
वगीर का गौरवशाली इतिहास
वगीर का एक गौरवशाली इतिहास है, क्योंकि इसी नाम की पनडुब्बी को नवंबर 1973 में कमीशन किया गया था और इसने निवारक गश्त सहित कई परिचालन मिशन किए। लगभग तीन दशकों तक देश की सेवा करने के बाद जनवरी 2001 में इसे रिटायर कर दिया गया। वगीर अपने नए अवतार में आज तक की स्वदेशी निर्मित पनडुब्बियों में सबसे कम समय में बनकर तैयार हुई है।
प्रोजेक्ट 75 क्या है?
इंद्रकुमार गुजराल सरकार ने 25 पनडुब्बियां नेवी को देने का फैसला किया था। इसके लिए प्रोजेक्ट 75 बनाया गया। इस प्रोजेक्ट के तहत पनडुब्बियों को बनाने के लिए 30 साल की योजना बनाई गई। 2005 में, भारत और फ्रांस ने छह स्कॉर्पीन डिजाइन की पनडुब्बियां बनाने के लिए 3.75 अरब डॉलर के कांट्रैक्ट पर दस्तखत किए। कलवरी क्लास की पहली सबमरीन 2017 में नेवी को मिली थी।