राणा दंपती को हाईकोर्ट से राहत नहीं अदालत ने कहा नेताओं से उम्मीद की जाती है कि वे अपनी जिम्मेदारी समझते हुए व्यवहार करेंगे 

Rana couple is not relieved from High Court, the court said that leaders are expected to behave considering their responsibility

अदालत ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि नेताओं से उम्मीद की जाती है कि वे अपनी जिम्मेदारी समझते हुए व्यवहार करेंगे।

हालांकि, दूसरी FIR के संबंध में राणा दंपति को थोड़ी सी राहत देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि अगर राज्य सरकार दूसरी FIR के तहत कोई कार्रवाई शुरू करना चाहती है, तो ऐसी कार्रवाई करने से पहले याचिकाकर्ताओं को 72 घंटे का नोटिस जारी करना जरूरी होेगा।

Newspoint24/ newsdesk / एजेंसी इनपुट के साथ

मुंबई। महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा को लेकर चल रहे विवाद में राणा दंपती को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है। सांसद नवनीत राणा और उनके पति विधायक रवि राणा ने अपने खिलाफ दर्ज दूसरी FIR (आईपीसी की धारा 353) रद्द कराने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया था, जिसे अदालत ने लंबी सुनवाई के बाद खारिज कर दिया है।

अदालत ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि नेताओं से उम्मीद की जाती है कि वे अपनी जिम्मेदारी समझते हुए व्यवहार करेंगे। हालांकि, दूसरी FIR के संबंध में राणा दंपति को थोड़ी सी राहत देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि अगर राज्य सरकार दूसरी FIR के तहत कोई कार्रवाई शुरू करना चाहती है, तो ऐसी कार्रवाई करने से पहले याचिकाकर्ताओं को 72 घंटे का नोटिस जारी करना जरूरी होेगा।

वडेट्टीवार ने राणा दंपती को दीं भद्दी गालियां
इससे पहले दिन में मंत्री विजय वडेट्टीवार ने चंद्रपुर में आरोग्य शिविर कार्यक्रम में कहा कि नवनीत राणा और रवि राणा ने इस वक्त देश में अशांति का माहौल पैदा कर दिया है। मुंबई में जानबूझकर बखेड़ा करते हुए अशांति फैलाई है और लॉ एंड ऑर्डर की सिचुएशन खड़ी की है, इनका क्या मकसद है पता नहीं।

वडेट्टीवार ने आगे कहा, 'नवनीत कहती हैं मुख्यमंत्री को हनुमान चालीसा पढ़ना ही चाहिए, अगर वो नहीं पढ़ेंगे तो हम मातोश्री जाकर उन्हें हनुमान चालीसा पढ़ाएंगे। अरे तेरे बाप का क्या जाता है? तुझे जो बोलना है बोल, जहां पढ़ना है जाके पढ़, लेकिन नहीं-नहीं उद्धव ठाकरे को बोलना चाहिए। तेरे बाप का नौकर है क्या? ऐसे नीच, चोट्टे और ह**मी लोग, क**ने लोग इस देश में हैं और आपस में झगड़ा करवाने के लिए हनुमान चालीसा पढ़वा रहे हैं। हर घर में हनुमान चालीसा है, लोग पढ़ते हैं। हिंदू धर्म में शादी के पहले हनुमानजी का दर्शन करते हैं।'

'न पानी पीने दिया, न बाथरूम जाने दिया: नवनीत की स्पीकर को चिट्ठी
इस बीच अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने लोकसभा स्पीकर ओम बिडला को एक चिट्ठी लिख मुंबई पुलिस और जेल प्रशासन पर बहुत गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति से आने के कारण जेल में उन्हें न पानी दिया गया और न ही वाशरूम का इस्तेमाल करने दिया जा रहा है।

नवनीत राणा ने अपनी चिट्ठी में लगाए यह गंभीर आरोप

  • अपनी चिट्ठी में नवनीत राणा ने लिखा-यह मेरा ईमानदार और सच्चा विश्वास है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना स्पष्ट कारणों से अपने स्पष्ट 'हिंदुत्व' सिद्धांतों से पूरी तरह से भटक गई है। इन्होंने सार्वजनिक जनादेश को धोखा दिया है और कांग्रेस-एनसीपी के साथ चुनाव के बाद गठबंधन किया।

 

  • मैंने शिवसेना में हिंदुत्व की लौ को फिर से जगाने की सच्ची आशा के साथ घोषणा की थी कि मैं मुख्यमंत्री के आवास पर जाऊंगा और उनके आवास के बाहर "हनुमान चालीसा" का जाप करुंगी। यह किसी धार्मिक तनाव को भड़काने के लिए नहीं था। वास्तव में, मैंने मुख्यमंत्री को "हनुमान चालीसा" के जाप में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था। मैं दोहराती हूं कि मेरी कार्रवाई मुख्यमंत्री के खिलाफ नहीं थी। हालांकि, इसे देखते हुए कि मेरे कार्य से मुंबई में कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती हैं, मैंने सार्वजनिक रूप से उक्त अभ्यास से पीछे हटने का निर्णय लिया और घोषणा की कि मैं सीएम आवास नहीं जाउंगी। मैं अपने पति विधायक रवि राणा के साथ अपने घर में कैद थी।

 

  • मुझे 23.04.2022 को खार पुलिस स्टेशन ले जाया गया और इस दिन मैंने पुलिस थाने में रात बिताई। मैंने रात भर पीने के पानी के लिए कई बार मांग की, लेकिन पूरी रात मुझे पीने का पानी उपलब्ध नहीं कराया गया।

  • यह मेरे लिए शॉक का विषय था कि वहां मौजूद पुलिस कर्मचारियों ने मुझसे कहा कि मैं अनुसूचित जाति की हूं और इसलिए वे मुझे एक ही गिलास में पानी नहीं देंगे। इस प्रकार, मुझे मेरी जाति के आधार पर सीधे तौर पर प्रताड़ित किया गया और केवल इस कारण से मुझे पीने का पानी उपलब्ध नहीं कराया गया।

  • मैं फिर जोर देकर कहता हूं कि पानी पीने जैसे बुनियादी मानवाधिकारों से मुझे इस आधार पर वंचित किया गया था कि मैं अनुसूचित जाति (नीची जात) से हूं। इसके अलावा, जब मैं रात में बाथरूम का उपयोग करना चाहती थी, तो पुलिस कर्मचारियों ने मेरी मांगों पर ध्यान नहीं दिया। मुझे फिर से सबसे गंदी भाषा में गाली दी गई। मुझे बताया गया कि हम नीची जात यानी अनुसूचित जाति के लोगों को अपने बाथरुम का उपयोग नहीं करने देते हैं।

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