आरबीआई ने नए वित्त वर्ष की पहली बैठक में रेपो रेट को 4% पर जस का तस रखा , महंगाई बढ़ रही है, ग्रोथ घट रही   

RBI kept the repo rate unchanged at 4% in the first meeting of the new financial year, inflation is increasing, growth is declining

Newspoint24/ newsdesk / एजेंसी इनपुट के साथ 

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) नए वित्त वर्ष की पहली बैठक में रेपो रेट को 4% पर जस का तस रखा है जबकि रिवर्स रेपो रेट में 0.40% की बढ़ोतरी कर 3.75% कर दिया है। यानी आपकी EMI पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वहीं आर बीआइ (RBI) ने वित्तीय वर्ष (FY23) के लिए जीडीपी (GDP) ग्रोथ अनुमान 7.8% से घटाकर 7.2% कर दिया है। महंगाई दर का अनुमान 4.5% से बढ़ाकर 5.7% की है।

यह कैलेंडर ईयर 2022 की दूसरी मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी बैठक है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने लगातार 11वीं बार रेपो रेट 4 फीसदी पर बरकरार रखने का फैसला किया है। रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी रखा गया है. गवर्नर दास ने कहा कि इकोनॉमी को अभी सपोर्ट की जरूरत है। ऐसे में मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी के सदस्यों ने मिलकर महत्वपूर्ण पॉलिसी रेट को बरकरार रखने का फैसला किया है। गवर्नर दास ने कहा कि इस समय इकोनॉमी के सामने डबल चुनौती है. महंगाई लगातार बढ़ रही है, जबकि ग्रोथ रेट लगातार घट रहा है।

6 अप्रैल से 8 अप्रैल तक चली मॉनिटरी पॉलिसी की मीटिंग के बाद आरबीआई  (RBI) गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि सभी सदस्यों की सहमति से ब्याज दरों में बदलाव नहीं करने का फैसला लिया गया है। उन्होंने ये भी कहा कि सप्लाई चेन को लेकर ग्लोबल मार्केट दबाव में है। इससे पहले आरबीआई(RBI) की बैठक फरवरी में हुई थी। रेपो रेट वह रेट होता है जिस पर रिजर्व बैंक से बैंकों को कर्ज मिलता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट वह दर होती है जिस दर पर बैंकों को रिजर्व बैंक के पास अपना पैसा रखने पर ब्याज मिलता है।

महंगाई बढ़ रही है, ग्रोथ घट रहा है

ग्रोथ रेट और महंगाई को लेकर रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि महंगाई लगातार बढ़ रही है, जबकि ग्रोथ रेट घट रहा है। यह हमारे सामने दोहरी चुनौती है। गौरतलब है कि फरवरी महीने में खुदरा महंगाई लगातार दूसरे महीने 6 फीसदी के पार रहा जो चिंता का विषय है। NSO ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए ग्रोथ 8.9 फीसदी बताया है।

कच्चे तेल में तेजी गंभीर चिंता का विषय

रिजर्व बैंक के सामने इस समय तमाम चुनौतियां हैं. महंगाई (Inflation) लगातार बढ़ रही है, रूस-यूक्रेन क्राइसिस के कारण कच्चे तेल की कीमत (Crude oil price) में तेजी जारी है जो चिंता का विषय है, ग्रोथ रेट पर दबाव बना हुआ है, अमेरिकी फेडरल रिजर्व महंगाई को कंट्रोल में करने के लिए अग्रेसिव रुख अपना चुका है और इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी को लेकर आतुर है। इसके अलावा इंपोर्ट बिल बढ़ने से डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट देखी जा रही है। इन तमाम कारणों को ध्यान में रखते हुए रिजर्व बैंक को मॉनिटरी पॉलिसी को लेकर फैसला लेना होता है। RBI मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक हर दो महीने में होती है। फरवरी महीने में हुई बैठक में रिजर्व बैंक ने लगातार 10वीं बार इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी नहीं करने का फैसला किया था। इस समय रेपो रेट 4 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी है।

मई 2020 से इंट्रेस्ट रेट में कोई बदलाव नहीं

कोरोना महामारी के सामने आने के बाद रिजर्व बैंक ने मार्च 2020 के बाद रेपो रेट में 1.15 फीसदी की कटौती की। इंट्रेस्ट रेट में आखिरी कटौती मई 2020 को की गई थी। उसके बाद से इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। इस समय रेपो रेट 4 फीसदी है जो 19 सालों के न्यूनतम स्तर पर है। रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी है. रिजर्व बैंक ने महंगाई का लक्ष्य 4 फीसदी रखा है. हालांकि, इसमें 2 फीसदी के ऊपर और नीचे का स्कोप रखा गया है।

महंगाई आठ महीने के उच्चतम स्तर पर

रिजर्व बैंक के लिए महंगाई का रेंज 2-6 फीसदी तक है. महंगाई की दर इससे नीचे या उपर होने से रिजर्व बैंक की चिंता बढ़ जाती है। जनवरी और फरवरी महीने में महंगाई की दर 6 फीसदी के अपर लिमिट को क्रॉस कर गया था। ऐसे में रिजर्व बैंक पर दबाव बना हुआ है. फरवरी महीने में खुदरा महंगाई की दर 6.07 फीसदी रही जो आठ महीने का उच्चतम स्तर है।

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