श्रीलंका में प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति आवास पर कब्जा किया

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ
कोलंबो। श्रीलंका में महीनों से जारी आर्थिक संकट से परेशान जनता का प्रदर्शन उग्र उस समय अपने चरम पर पहुंच गया जब शनिवार को प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति आवास घेर लिया, जिसके बाद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे आवास छोड़कर भाग खड़े हुए। मीडिया रिपोर्ट्स में राजपक्षे के देश छोड़ने की अटकलें लगाई जा रही हैं। इस बीच प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे की इमरजेंसी मीटिंग में असेंबली स्पीकर को अंतरिम राष्ट्रपति बनाने का प्रस्ताव रखा गया है। इस मीटिंग में PM ने पद छोड़ने की पेशकश भी की है।
इससे पहले मई में जब उग्र भीड़ ने राजपक्षे के छोटे भाई और पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के कोलंबो स्थित सरकारी आवास को घेर लिया था, तो महिंदा ने परिवार समेत भागकर नेवल बेस में शरण ली थी।
अप्रैल तक श्रीलंका में सरकार में राजपक्षे परिवार के पांच लोग शामिल थे। इनमें राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे, सिंचाई मंत्री चामल राजपक्षे और खेल मंत्री नामल राजपक्षे थे। इनमें से गोटबाया को छोड़कर बाकी सब इस्तीफा दे चुके हैं।
एक समय श्रीलंका के नेशनल बजट के 70% पर इन राजपक्षे भाइयों का सीधा कंट्रोल था। राजपक्षे परिवार पर 5.31 अरब डॉलर यानी 42 हजार करोड़ रुपए अवैध तरीके से देश से बाहर ले जाने का आरोप है। इसमें महिंदा राजपक्षे के करीबी अजित निवार्ड कबराल ने अहम भूमिका निभाई थी, जो सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका के गवर्नर थे।
श्रीलंका 1948 में अपनी आजादी के बाद से सबसे बुरे आर्थिक संकट से गुजर रहा है। श्रीलंका में लोगों को रोजमर्रा से जुड़ी चीजें भी नहीं मिल पा रही हैं या कई गुना महंगी मिल रही हैं। श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म हो चुका है, जिससे वह जरूरी चीजों का आयात नहीं कर पा रहा है।
देश में अनाज, चीनी, मिल्क पाउडर, सब्जियों से लेकर दवाओं तक की कमी है। पेट्रोल पंपों पर सेना तैनात करनी पड़ी है। देश में 13-13 घंटे की बिजली कटौती हो रही है। देश का सार्वजनिक परिवहन ठप हो गया है, क्योंकि बसों को चलाने के लिए डीजल ही नहीं है।