लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी : हमें पंच प्रण लेना होगा, तभी आजादी के दीवानों के सपने साकार करेंगे

PM Modi from the ramparts of the Red Fort: We will have to take a punch, only then will the dreams of freedom lovers come true

भारत की आजादी के 75वीं वर्षगांठ के शुभ अवसर पर पीएम  नरेंद्र मोदी ने लाल किला की प्राचीर से आने वाले 25 साल में देश को विकसित बनाने का संकल्प लिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौवीं बार लाल किले से राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया। इस दौरान 21 तोपों की सलामी भी दी गई। लाल किले पर उन्होंने देश के सामने 5 संकल्प रखे।

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ 


नई दिल्ली। भारत की आजादी के 75वीं वर्षगांठ के शुभ अवसर पर पीएम  नरेंद्र मोदी ने लाल किला की प्राचीर से आने वाले 25 साल में देश को विकसित बनाने का संकल्प लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौवीं बार लाल किले से राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया। इस दौरान 21 तोपों की सलामी भी दी गई। लाल किले पर उन्होंने देश के सामने 5 संकल्प रखे। उन्होंने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के एक नए नाम ‘पीएम समग्र स्वास्थ्य मिशन’ के विस्तार का भी उल्लेख किया। गांधी, नेहरू, सावरकर का जिक्र भी किया।

नारी शक्ति के सम्मान और उनके गौरव की बात करते हुए भावुक भी हो गए। उन्होंने कहा, मैं एक पीड़ा जाहिर करना चाहता हूं। मैं जानता हूं कि शायद ये लाल किले का विषय नहीं हो सकता। मेरे भीतर का दर्द कहां कहूं। वो है किसी न किसी कारण से हमारे अंदर एक ऐसी विकृति आई है, हमारी बोल चाल, हमारे शब्दों में.. हम नारी का अपमान करते हैं। क्या हम स्वभाव से, संस्कार से रोजमर्रा की जिंदगी में नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं। नारी का गौरव राष्ट्र के सपने पूरे करने में बहुत बड़ी पूंजी बनने वाला है। ये सामर्थ्य मैं देख रहा हूं।

उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें पंच प्रण पर काम करना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज जब हम अमृत काल में प्रवेश कर रहे हैं तो अगले 25 साल अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। आने वाले 25 साल के लिए हमें पंच प्रण पर अपनी शक्ति केंद्रीत करनी होगी।

प्रधानमंत्री ने बताए ये पंच प्राण

पहला प्रण- अब देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा। छोटे-छोटे संकल्प का अब समय नहीं है। यह बड़ा संकल्प है विकसित भारत। विकसित भारत से कुछ कम नहीं होना चाहिए। 

दूसरा प्रण- किसी भी कोने में गुलामी का एक भी अंश भी नहीं बचाना चाहिए। गुलामी के अंश से 100 फीसदी मुक्ति पानी है। 

तीसरा प्रण: हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए। यही विरासत जिसने कभी भारत का स्वर्णिम काल दिया था। इस विरासत के प्रति हमें गर्व होना चाहिए।

चौथा प्रण- एकता और एकजुटता। 130 करोड़ देशवासियों में एकता होनी चाहिए। न कोई अपना हो और न पराया। 

पांचवा प्रण- नागरिकों का कर्तव्य। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री भी इससे बाहर नहीं है। 
 
ये गांधी, बोस, अंबेडकर को याद करने का वक्त है
उन्होंने कहा, 'आज का दिवस ऐतिहासिक दिवस है। एक पुण्य पड़ाव, एक नई राह, एक नए संकल्प और नए सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का यह शुभ अवसर है। आजादी की जंग में गुलामी का पूरा कालखंड संघर्ष में बीता है। भारत का कोई कोना ऐसा नहीं था, जब देशवासियों ने सैकड़ों सालों तक गुलामी के खिलाफ जंग न किया हो। जीवन न खपाया हो, आहुति न दी हो। आज हम सब देशवासियों के लिए ऐसे हर महापुरुष के लिए नमन करने का अवसर है। उनका स्मरण करते हुए उनके सपनों को पूरा करने के लिए संकल्प लेने का भी अवसर है। आज हम सभी कृतज्ञ हैं पूज्य बापू के, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बाबा साहब आंबेडकर, वीर सावरकर के... जिन्होंने कर्तव्य पथ पर जीवन को खपा दिया। यह देश कृतज्ञ है मंगल पांडे, तात्या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल। ऐसे क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी।'

डराया गया... फिर भी भारत आगे बढ़ता रहा
75 साल की हमारी ये यात्रा अनेक उतार चढ़ाव से भरी हुई है। सुख दुख की छाया मंडराती रही है। इसके बीच भी हमारे देशवासियों ने पुरुषार्थ किया। उपलब्धियां हासिल कीं। ये भी सच्चाई है, सैकड़ों सालों की गुलामी ने गहरी चोटें पहुंचाई हैं। इसके भीतर एक जिद थी, जुनून था। आजादी मिल रही थी तो देशवासियों को डराया गया। देश के टूटने का डर दिखाया गया। लेकिन, ये हिंदुस्तान है। ये सदियों तक जीता रहा है। हमने अन्न का संकट झेला, युद्ध के शिकार हुए। आतंकवाद का प्रॉक्सीवार, प्राकृतिक आपदाएं झेलीं, लेकिन इसके बावजूद भारत आगे बढ़ता रहा।

आजादी के बाद जन्मा मैं पहला व्यक्ति था...
पीएम ने कहा कि जिनके जेहन में लोकतंत्र होता है, वे जब संकल्प लेकर चल पड़ते हैं वो सामर्थ्य दुनिया की बड़ी सल्तनतों के लिए संकट का काल लेकर आती है। ये लोकतंत्र की जननी हमारे भारत ने सिद्ध कर दिया कि हमारे पास अनमोल सामर्थ्य है। 75 साल की यात्रा में उतार चढ़ाव आए। 2014 में देशवासियों ने मुझे दायित्व दिया। आजादी के बाद जन्मा मैं पहला व्यक्ति था जिसे लाल किले से देशवासियों का गौरव गान करने का अवसर मिला। लेकिन मेरे दिल में जो भी आप लोगों से सीखा हूं, जितना आप लोगों को जान पाया हूं, सुख दुख को समझ पाया हूं... उसको लेकर मैंने अपना पूरा कालखंड देश के उन लोगों को सशक्त बनाने में खपाया- दलित, शोषित, किसान, महिला, युवा हो, हिमालय की कंदराएं हों समुद्र का तट हो। हर कोने में बापू का जो सपना था आखिरी इंसान को सामर्थ्य बनाने की, मैंने अपने आप को उसके लिए समर्पित किया।

 

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