पायलट को सीएम पद सौंपने के पक्ष में नहीं गहलोत खेमा, गहलोत समर्थक 82 विधायकों का इस्तीफा, आलाकमान के आदेश पर विधायकों का विद्रोह

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ
जयपुर । कांग्रेस अध्यक्ष का नामांकन दाखिल करने से पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का उत्तराधिकारी चुनने का अधिकार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपे जाने को लेकर उनके समर्थक विधायकों ने विद्रोह कर दिया है। गहलोत समर्थकों ने रविवार को साफ कर दिया कि विधायकों की राय के बिना सीएम का फैसला नहीं होना चाहिए। इस मुद्दे को लेकर गहलोत समर्थक 82 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को इस्तीफे दिए हैं।
पायलट को सीएम पद सौंपने के पक्ष में नहीं गहलोत खेमा
गहलोत समर्थक विधायकों ने संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल के आवास पर बैठक कर कहा कि जिन लोगों ने भाजपा के साथ मिलकर दो साल पहले सरकार को गिराने का प्रयास किया, उनमें से कोई सीएम नहीं बनाया जाना चाहिए। सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय सरकार के साथ रहे विधायकों में से किसी को भी सीएम बनाया जाना चाहिए। विधायकों ने सचिन पायलट को सीएम बनाए जाने की आलाकमान की मंशा के खिलाफ किसी भी हद तक जाने की बात कही है।
कई विधायक इस्तीफा देंगे
विधायक दल की बैठक से पहले गहलोत गुट के विधायकों ने सख्त रूख दिखाया। उन्होंने फिलहाल बैठक से दूरी बना रखी है। कई विधायक इस्तीफा देने की बात कर रहे हैं। अजय माकन और खड़गे की जयपुर में मौजूदगी के बीच विधायकों के इस रुख से कांग्रेस की अंदरूनी खेमेबाजी एक बार फिर सामने आ गई है। इस बीच प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा कि कई विधायकों ने इस्तीफा देने का फैसला किया है। मंत्री धारीवाल के घर से सभी विधायक इस्तीफा देने के लिए बस से विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के घर गए ।
Rajasthan | Congress MLAs arrive at the residence of Assembly speaker CP Joshi in Jaipur#RajasthanPoliticalCrisis pic.twitter.com/VHjGsJYP8H
— ANI (@ANI) September 25, 2022
अब नहीं होगी विधायक दल की बैठक
अशोक गहलोत गुट के विधायकों के विरोध के बीच विधायक दल की बैठक निरस्त कर दी गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अब सीएम हाउस में विधायक दल की बैठक नहीं होगी। इस बैठक में शामिल होने के लिए सचिन पायलट मुख्यमंत्री आवास पहुंच गए थे। सचिन पायलट, अजय माकन, मल्लिकार्जुन खड़गे और अशोक गहलोत वहीं मौजूद हैं। इसके अलावा पायलट गुट कुछ विधायक भी वहां हैं, लेकिन अब यह बैठक नहीं होगी।
क्या हमारी नहीं सुनी जाएगी?
मीडिया से बात करते हुए गहलोत गुट के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के आव्हान पर हम जान दे देंगे, लेकिन आलाकमान को हमारी सुननी होगी। लोकतंत्र संख्या बल से चलाता है। जब पार्टी 10 विधायकों की सुन रही है तो क्या 92 विधायकों की नहीं सुनी जाएगी। जरूरत पड़ने पर दिल्ली भी जाएंगे। बताया जा रहा है कि 92 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है।
पायलट भी मुख्यमंत्री निवास पर पहुंचे
गहलोत समर्थक विधायकों के कड़े रुख के कारण मुख्यमंत्री निवास पर रविवार शाम सात बजे होने वाली बैठक का समय तीन बार बदला गया। अंत में आठ बजे का समय तय किया गया, लेकिन फिर भी गहलोत समर्थक नहीं पहुंचे। बैठक में मात्र 28 विधायक ही पहुंचे। सोनिया की ओर से भेजे गए पर्यवेक्षक वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रदेश प्रभारी अजय माकन मुख्यमंत्री निवास पर विधायकों का इंतजार करते रहे। पायलट भी मुख्यमंत्री निवास पर पहुंचे। गहलोत खेमा पायलट के स्थान पर कृषि मंत्री लालचंद कटारिया या विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी में से किसी एक को सीएम बनाने के पक्ष में है। सूत्रों के अनुसार, गहलोत समर्थक अगले दो दिन में दिल्ली जाकर आलाकमान से मिल सकते हैं।
पायलट के खिलाफ यह मुद्दा बनाया
गहलोत खेमे ने पायलट के खिलाफ उनके खेमे द्वारा की गई बगावत को मुद्दा बनाया है। तकनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग ने कहा कि आलाकमान को याद रखना चाहिए कि दो साल पहले भाजपा के साथ मिलकर सरकार गिराने की साजिश की गई थी। तब गहलोत ने 102 विधायको के साथ मिलकर सरकार बचाई थी। नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास,आपदा प्रबंधन मंत्री गोविंद राम मेघवाल ने कहा कि जिन लोगों के कारण सरकार को खतरा हुआ था। उन्हे सीएम नहीं बनाना चाहिए, गहलोत ही सीएम रहें।
लोढ़ा बोले,सरकार को खतरा
निर्दलीय विधायक व गहलोत के सलाहकार संयम लोढ़ा ने कहा कि अगर विधायकों की राय नहीं मानी गई तो सरकार को खतरा हो सकता है। लोढ़ा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि विधायकों की भावना के अनुरूप निर्णय नहीं होगा तो सरकार चलेगी। उनका यह बयान कांग्रेस आलाकमान को चुनौती माना जा रहा है।
बैठक पर नाराजगी जताई
कांग्रेस विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा और खिलाड़ी लाल बैरवा ने धारीवाल के आवास पर हुई बैठक आपत्ति जताते हुए कहा इसको कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा,जब आलाकमान ने पर्यवेक्षक भेजे हैं। उससे पहले बैठक करने का क्या मतलब है। मलिंगा ने लोढ़ा और गर्ग के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जो कांग्रेस में नहीं हैं उन्हे पार्टी के अंदरूनी मामलों में नहीं बोलना चाहिए। अब तक गहलोत समर्थक रहे होमगार्ड मंत्री राजेंद्र गुढ़ा और विधायक वाजिब अलीने कहा,हम आलाकमान के निर्णय के साथ हैं।
मीडिया ने उड़ा दिया मैं सीएम पद नहीं छोड़ना चाहता
विधायक दल की बैठक से पहले सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट किया। उन्होंन लिखा- अध्यक्ष के लिए तो मेरा नाम अभी चलने लगा है, उससे पहले मैं सोनियाजी और अजय माकनजी को भी कह चुका हूं कि अगला चुनाव उसके नेतृत्व में लड़ा जाए जिससे जीतने की संभावना बढ़े, चाहे वह मैं हूं या कोई दूसरा। कांग्रेस के पास बड़ा राज्य राजस्थान ही, अगर यहां जीतेंगे तो कांग्रेस का सभी राज्यों में जीतना प्रारंभ होगा। इससे पार्टी मजबूत होगी। यह मीडिया ने उड़ा दिया कि अशोक गहलोत राजस्थान का मुख्यमंत्री पद छोड़ना नहीं चाहते हैं, जबकि यह बात कभी मेरे दिमाग में नहीं रही। मीडिया को चौथा स्तंभ कहा गया है, मेरी नजर में डेमोक्रेसी के अंदर मीडिया का बड़ा महत्व है, उस महत्व को मीडिया कमजोर कर रहा है।
गहलोत बोले, सोनिया ने अगस्त में इस्तीफे की पेशकश की थी
अशोक गहलोत ने कहा, सोनिया गांधी ने नौ अगस्त को ही इस्तीफे की पेशकश की थी. लेकिन सभी के आग्रह पर वह मान गई थी। उन्होंने कहा कि राजस्थान से मेरा अटूट प्रेम है। मुझे कांग्रेस ने बहुत कुछ दिया है। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को आगे आना चाहिए। मैं 40 साल तक प्रमुख पदों पर रहा हूं। गहलोत ने रविवार को जैसलमेर में तनोट माता मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद मीडिया से कहा कि मैं प्रदेश के लोगों के सुख दुख में साथ रहा हूं।