जम्मू-कश्मीर में हजारों करोड़ों के भ्रष्टाचार में सीबीआई ने दर्ज किया एफआईआर , पूर्व राज्यपाल सत्यपालमलिक ने लगाए थे आरोप

Newspoint24/ newsdesk / एजेंसी इनपुट के साथ
नई दिल्ली। सीबीआई ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा लगाए गए घूसखोरी व भ्रष्टाचार के मामलों की जांच शुरू कर दी है। राज्यपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर में सरकारी कर्मचारियों को सामूहिक चिकित्सा बीमा योजना का ठेका देने और किरू जलविद्युत परियोजना से संबंधित 2,200 करोड़ रुपये के सिविल कार्य में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। इस संबंध में दो प्राथमिकी दर्ज की हैं।
सीबीआई ने देश के 14 जगहों पर रेड किया
सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज करने के बाद गुरुवार सुबह जम्मू, श्रीनगर, दिल्ली, मुंबई, उत्तर प्रदेश के नोएडा, केरल के त्रिवेंद्रम और बिहार के दरभंगा में 14 स्थानों पर तलाशी ली।
दरअसल, केंद्रीय एजेंसी ने रिलायंस जनरल इंश्योरेंस एंड ट्रिनिटी री-इंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड को जम्मू-कश्मीर सरकार के कर्मचारियों के लिए एक विवादास्पद स्वास्थ्य बीमा योजना से संबंधित अपनी प्राथमिकी में आरोपी के रूप में नामित किया है। तत्कालीन राज्यपाल मलिक ने 31 अगस्त, 2018 को राज्य प्रशासनिक परिषद की बैठक में कथित तौर पर इस कंपनी को मंजूरी दे दी थी।
एफआईआर के अनुसार, जम्मू और कश्मीर सरकार के वित्त विभाग के अज्ञात अधिकारियों ने ट्रिनिटी रीइंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड, रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और अन्य अज्ञात लोक सेवकों और निजी व्यक्तियों के साथ साजिश और मिलीभगत में अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करके आपराधिक साजिश और अपराध किए हैं। कदाचार से इन लोकसेवकों व प्राइवेट लोगों को खुद को आर्थिक लाभ हुआ लेकिन 2017 और 2018 की अवधि के दौरान राज्य के खजाने को गलत तरीके से नुकसान पहुंचाया और इस तरह से जम्मू-कश्मीर सरकार को धोखा दिया।
रिलायंस जनरल इंश्योरेंस को नियम विरूद्ध मिला लाभ
विभिन्न तिमाहियों में यह आरोप लगाया गया था कि रिलायंस जनरल इंश्योरेंस को दिए गए अनुबंध में सरकारी मानदंडों की अनदेखी की गई थी। आरोप है कि बिना टेंडर के ही इसको ठेका दे दिया गया। यही नहीं टेंडर पाने के लिए रखे गए एक मूल शर्त को हटा दिया गया ताकि कंपनी केा लाभ पहुंच सके। बताया जा रहा है कि विक्रेता को राज्य में काम करने का अनुभव होना चाहिए।
आरसी जोशी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार के अनुरोध पर जम्मू-कश्मीर कर्मचारी स्वास्थ्य देखभाल बीमा योजना के अनुबंध को निजी कंपनी को देने और वर्ष 2017-18 में 60 करोड़ रुपये (लगभग) जारी करने में कदाचार के आरोपों पर मामला दर्ज किया गया था। अधिकारियों ने कहा कि अनियमितताओं के आरोप सामने आने के बाद, 30 सितंबर, 2018 को शुरू की गई योजना को रद्द कर दिया गया था।
राजभवन के एक प्रवक्ता ने 27 अक्टूबर, 2018 को कहा था, "राज्यपाल ने राज्य में कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए समूह मेडिक्लेम स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लागू करने के लिए मेसर्स रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी (आरजीआईसी) के साथ अनुबंध को बंद करने की मंजूरी दे दी है।" उन्होंने कहा था कि पूरी प्रक्रिया की जांच के लिए मामले को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को भेजा गया था ताकि यह देखा जा सके कि यह पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से किया गया था या नहीं।
आरजीआईसी के साथ शुरू में एक साल के लिए जिस योजना पर हस्ताक्षर किए गए थे, उसमें कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए क्रमशः 8,777 रुपये और 22,229 रुपये के वार्षिक प्रीमियम का भुगतान करके अपने और परिवार के पांच आश्रित सदस्यों के लिए 6 लाख रुपये का कवर मिलेगा।
हाइड्रो इलेक्ट्रिक पॉवर प्रोजेक्ट में भी भ्रष्टाचार
सीबीआई ने किरू जलविद्युत परियोजना के सिविल कार्य पैकेज के लिए ठेका देने में कथित कदाचार से संबंधित अपनी प्राथमिकी में कहा कि ई-निविदा से संबंधित दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया। जोशी ने कहा, "किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट (HEP) के सिविल कार्यों के लिए वर्ष 2019 में एक निजी कंपनी को 2,200 करोड़ रुपये (लगभग) का ठेका देने में कदाचार के आरोप में मामला दर्ज किया गया था।"
एजेंसी ने चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स (पी) लिमिटेड के पूर्व अध्यक्ष नवीन कुमार चौधरी, एम एस बाबू, पूर्व एमडी, एम के मित्तल और अरुण कुमार मिश्रा, पूर्व निदेशकों और पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया है। हालांकि, टेंडर आखिरकार पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड को दे दिया गया।
मलिक ने लगाया था आरोप-300 करोड़ रुपये की हुई थी पेशकश
मलिक, जो 23 अगस्त, 2018 और 30 अक्टूबर, 2019 के बीच जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे, ने दावा किया था कि उन्हें दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी। उन्होंने कहा कि कश्मीर जाने के बाद, दो फाइलें मेरे पास (मंजूरी के लिए) आईं, एक अंबानी की और दूसरी आरएसएस से जुड़े एक व्यक्ति के पास जो महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री थे। आरएसएस से जुड़े व्यक्ति पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी होने का दावा करते थे। मलिक ने खुलासा किया कि सचिवों ने मुझसे कहा था कि आपको फाइलों को पास करने के लिए 150 करोड़ रुपये मिलेंगे लेकिन मैंने उनसे कहा कि मैं पांच कुर्ता-पायजामा लेकर आया हूं और उसी के साथ जाऊंगा।' मलिक ने कहा कि सचिवों से उन्होंने कहा कि यह एक घोटाला है और इसके बाद उन्होंने तत्काल दोनों प्रोजेक्ट रद्द कर दिए।
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