बड़ा बैंकिंग फ्रॉड : 28 बैंकों के साथ 22,842 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी , गुजरात की ABG शिपयार्ड के खिलाफ CBI ने FIR दर्ज की

कंपनी को एसबीआई के साथ ही 28 बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने 2468.51 करोड़ रुपए के लोन की मंजूरी दी थी। ऑडिट से पता चला है कि वर्ष 2012-17 के बीच आरोपियों
ने कथित रूप से मिलीभगत की और अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया, जिसमें पैसे का दुरुपयोग और आपराधिक विश्वासघात शामिल है।
Newspoint24/संवाददाता /एजेंसी इनपुट के साथ
नई दिल्ली। देश में फिर से एक बड़ा बैंकिंग फ्रॉड सामने आया है। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने FIR दर्ज की है। ABG शिपयार्ड के खिलाफ यह केस दर्ज हुआ है। आरोप है कि करीब 22 हजार करोड़ रुपये की गड़बड़ी हुई है, सीबीआई अधिकारी ने बताया कि ABG शिपयार्ड और उसके निदेशकों के खिलाफ 28 बैंकों के साथ 22,842 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है। कंपनी जहाज निर्माण और जहाज की मरम्मत का कारोबार करती है, इसके शिपयार्ड गुजरात के दहेज और सूरत में स्थित हैं।
एबीजी शिपयार्ड और उनके निदेशकों पर कथित तौर पर 28 बैंकों से 22,842 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप लगा है, केंद्रीय जांच ब्यूरो का कहना है कि एबीजी शिपयार्ड और उनके डायरेक्टर्स ऋषि अग्रवाल, संथनम मुथुस्वामी और अश्विनी अग्रवाल ने बैंकों से 22 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी की है।
SBI की शिकायत के अनुसार, कंपनी ने उससे 2925 करोड़ रुपये कर्ज लिया था. जबकि ICICI से 7089 करोड़, IDBI से 3634 करोड़ से, बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB) से 1614 करोड़, PNB से 1244 करोड़ और IOB से 1228 करोड़ रुपये का बकाया है।
CBI ने इस मामले में अब आगे जांच शुरू कर दी है, सभी संबंधित दस्तावेजों को खंगाला जा रहा है। इससे पहले हीरा कारोबारी नीरव मोदी (Nirav Modi) द्वारा पंजाब नेशनल बैंक (PNB Bank Fraud) के साथ 14 हजार करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला बेहद चर्चित रहा था, नीरव मोदी की देश और विदेश में काफी संपत्तियां जब्त भी की जा चुकी हैं। उसे लंदन से भारत प्रत्यर्पित करने की कोशिश भी चल रही है, वहीं विजय माल्या (Vijay Mallya) पर भी करीब 9 हजार करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी का मामला भी सुर्खियों में हैं। उसे भी भारत प्रत्यर्पित करने की कवायद आखिरी चरण में है, इसी कड़ी में ये केस सबसे बड़ा फ्रॉड माना जा रहा है।
पैसों से विदेशों में खरीदी गई प्रॉपर्टी
CBI की FIR के मुताबिक फ्रॉड करने वाली दो प्रमुख कंपनियों के नाम एबीजी शिपयार्ड और एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड हैं। दोनों कंपनियां एक ही ग्रुप की हैं। आरोप है कि बैंकों से फ्रॉड किए गए पैसे को विदेशों में भी भेजा गया और काफी प्रॉपर्टी खरीदी गईं। तमाम नियम कानूनों को ताक पर रखकर पैसा एक कंपनी से दूसरी कंपनी में भेजा गया।
तीन साल पहले पहली शिकायत हुई
बैंक ने सबसे पहले 8 नवंबर, 2019 को शिकायत दर्ज कराई थी, जिस पर सीबीआई ने 12 मार्च, 2020 को कुछ स्पष्टीकरण मांगा था। बैंक ने उस साल अगस्त में एक नई शिकायत दर्ज कराई। डेढ़ साल से अधिक समय तक जांच करने के बाद, CBI ने 7 फरवरी, 2022 को प्राथमिकी दर्ज करने वाली शिकायत पर कार्रवाई की।
कंपनी को 2468.51 करोड़ रुपए लोन लिए
कंपनी को एसबीआई के साथ ही 28 बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने 2468.51 करोड़ रुपए के लोन की मंजूरी दी थी। ऑडिट से पता चला है कि वर्ष 2012-17 के बीच आरोपियों ने कथित रूप से मिलीभगत की और अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया, जिसमें पैसे का दुरुपयोग और आपराधिक विश्वासघात शामिल है।
इन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
एजेंसी ने अग्रवाल के अलावा तत्कालीन कार्यकारी निदेशक संथानम मुथास्वामी, निदेशकों- अश्विनी कुमार, सुशील कुमार अग्रवाल और रवि विमल नेवेतिया और एक अन्य कंपनी एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ भी कथित रूप से आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आधिकारिक दुरुपयोग जैसे अपराधों के लिए मुकदमा दर्ज किया है।
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