सेना का चीता हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त : हादसे में घायल हुए दो पायलटों में से एक मेजर संकल्प यादव की इलाज के दौरान मौत

Newspoint24/संवाददाता /एजेंसी इनपुट के साथ
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में सेना के चीता हेलिकॉप्टर हादसे में घायल हुए दो पायलटों में से एक मेजर संकल्प यादव की इलाज के दौरान मौत हो गई। दूसरे पायलट का इलाज चल रहा है। श्रीनगर के डिफेंस पीआरओ ने बताया कि सेना का एक चीता हेलिकॉप्टर आज दोपहर बांदीपोरा जिले के गुरेज के बरौब इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। यह एक बीमार सैनिक को आगे की चौकी से निकालने के लिए नियमित मिशन था। इसी मिशन के दैरान गुजरान, बरौब में अग्रिम चौकी से हेलिकॉप्टर का संपर्क टूट गया।
जयपुर के रहने वाले थे मेजर संकल्प यादव
हेलिकॉप्टर से संपर्क टूटते ही भारतीय सेना ने तुरंत रेस्क्यू हेलिकॉप्टरों के साथ एक पैदल तलाशी टीम को भी रवाना किया। सर्च ऑपरेशन के दौरान बर्फ से ढके गुजरान नाला इलाके में हेलिकॉप्टर का मलबा पड़ा मिला। बताया जाता है कि टीम को पायलट और को पायलट दोनों गंभीर रूप से घायल मिले थे, जिसके बाद इन्हें तुरंत कमांड हॉस्पिटल उधमपुर ले जाया गया। अस्पताल में 29 वर्षीय मेजर संकल्प यादव ने बेस अस्पताल में दम तोड़ दिया। सेना के अधिकारियों के मुताबिक घायल पायलट की हालत गंभीर है, लेकिन उसकी हालत स्थिर है। उसे फिलहाल 92 बेस अस्पताल के आईसीयू में भर्ती रखा गया है। हेलिकॉप्टर दुर्घटना किन परिस्थितियों में हुई, इसके कारणों का पता लगाया जा रहा है। बहादुर मेजर संकल्प यादव को 2015 में कमीशन किया गया था। वह जयपुर राजस्थान के निवासी थे।
An Indian Army Cheetah helicopter has crashed in the Baraum area of Gurez sector of Jammu and Kashmir. The search parties of the security forces are reaching the snow-bound area for the rescue of the chopper crew. More details awaited: Defence officials pic.twitter.com/LMFunz5c0a
— ANI (@ANI) March 11, 2022
सिंगल इंजन हेलिकॉप्टर है चीता, वेदर रडार सिस्टम भी नहीं
चीता हेलिकॉप्टर में एक इंजन होता है। इस हेलिकॉप्टर में मूविंग मैप डिस्प्ले, ग्राउंड प्रॉक्सिमिटी वार्निंग सिस्टम और वेदर रडार जैसी सुविधाएं नहीं होती हैं। चीता में ऑटोपायलट सिस्टम भी नहीं है। यानी यह खराब मौसम में पायलट के लिए दिक्कतें पैदा कर देता है। पायलट रास्ता भटक जाते हैं। भारतीय सेना के पास 200 चीता हेलीकॉप्टरों का बेड़ा है। अगर कुछ सालों की बात करें, तो 30 से अधिक दुर्घटनाओं में 40 से अधिक अधिकारियों की मौत हो चुकी है।
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