गुजरात में अंग्रेजो के जमाने का 140 साल पुराना पुल टूटा: 500 लोग मच्छु नदी में गिरे, कई के डूबने की आशंका; 32 से ज्यादा की मौत    

गुजरात में अंग्रेजो के जमाने का 140 साल पुराना पुल टूटा: 500 लोग मच्छु नदी में गिरे, कई के डूबने की आशंका; 32 से की मौत

शहर का मणि मंदिर के पास मच्छु नदी पर बना केबल ब्रिज टूट गया है। गौरतलब है कि झूलते पुल पर सवार लोग पानी में गिर गए हैं। मीडिया खबरों के मुताबिक अब तक भारी संख्या में लोग डूब चुके हैं।

जिस वक्त पुल गिरा उस वक्त पुल पर 500 के करीब लोग होने की जानकारी मिली है। झूलते पुल के गिरने से 10 लोगों के मरने की आशंका जताई जा रही है। पुल टूटने से नदी में सैंकड़ो लोग गिरे हैं।

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ

 
मोरबी। गुजरात के मोरबी में रविवार शाम करीब 7 बजे बड़ा हादसा हो गया है। यहां केबल ब्रिज टूटने से करीब 500 लोग मच्छु नदी में गिर गए। इनमें से कुछ लोगों के नदी में डूबने से मौत होने की आशंका है। यह पुल पिछले 6 महीने से बंद था। इसी महीने दिवाली के एक दिन बाद यानी 25 अक्टूबर को आम लोगों के लिए खोला गया था।

शहर का मणि मंदिर के पास मच्छु नदी पर बना केबल ब्रिज टूट गया है। गौरतलब है कि झूलते पुल पर सवार लोग पानी में गिर गए हैं। मीडिया खबरों के मुताबिक अब तक भारी संख्या में लोग डूब चुके हैं। जिस वक्त पुल गिरा उस वक्त पुल पर 500 के करीब लोग होने की जानकारी मिली है। झूलते पुल के गिरने से 10 लोगों के मरने की आशंका जताई जा रही है। पुल टूटने से नदी में सैंकड़ो लोग गिरे हैं। बताया जा रहा है कि हादसे के दौरान पुल पर भारी संख्या में लोग मौजूद थे। हालांकि, पुलिस और जिला प्रशासन के लोग रेस्क्यू ऑपरेशन में जुट गए हैं।

नदी से निकालने के लिए पुलिस टीम द्वारा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। वीडियों में नजर आ रहा है कि ब्रिज टूटने के बाद कई लोग बीच में भी फंस गए हैं, जो टूटे हुए ब्रिज को पकड़कर किसी तरह बचने की कोशिश कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि गांधीनगर से मोरबी के लिए एनडीआरएफ की दो टीमें रवाना होंगी। साथ ही राजकोट से एसडीआरएफ की टीम भी रेस्क्यू ऑपरेंशन में मदद के लिए भेजी जा रही है।


2 करोड़ की लागत से हुआ था पुल का निर्माण
बताया जा रहा है कि नए साल के मौके पर मोरबी का केबल ब्रिज दर्शकों के लिए खोल दिया गया था। वहीं, 2 करोड़ रुपए की लागत से इसका जीर्णोद्धार किया गया था।. हालांकि, रिनोवेशन के बाद भी इतना बड़ा हादसा होने पर अब कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।

ओरेवा ग्रुप के पास है मेंटेनेंस का काम
ब्रिज के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी ओरेवा ग्रुप के पास है। इस ग्रुप ने मार्च 2022 से मार्च 2037 यानी 15 साल के लिए मोरबी नगर पालिका के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। ग्रुप के पास ब्रिज की सुरक्षा, सफाई, रखरखाव, टोल वसूलने, स्टाफ का प्रबंधन है।

जानिए केबल ब्रिज का क्या है इतिहास?
वहीं, केबल ब्रिज के इतिहास पर नजर डालें तो इस ब्रिज का उद्घाटन 20 फरवरी, 1879 को मुंबई के गवर्नर श्री रिचर्ड टेम्पल ने किया था। यह उस समय लगभग 3.5 लाख की लागत से 1880 में बनकर तैयार हुआ था। इस समय पुल बनाने का सामान इंग्लैंड से आया था। यह पुल दरबारगढ़ को नजरबाग से जोड़ने के लिए बनाया गया था। 

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