इस नवरात्री 400 साल बाद बन रहा अद्भुत योग : एक नहीं बल्कि 9 शुभ योग बन रहे हैं, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

शारदीय नवरात्रि के पहले दिन बन रहा अद्भुत योग, जानें मां शैलपुत्री की पूजा विधि, मंत्र, भोग और आरती
हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रतिवर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ शारदीय नवरात्रि आरंभ होती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करने के साथ मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा करने का विधान है। मां शैलपुत्री हिमालय राज की पुत्री हैं। देवी के स्वरूप की बात करें, तो वृषभ में सवार है। उनके दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल है। माना जाता है कि मां शैलपुत्री की विधिवत पूजा करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि, धन-संपदा की प्राप्ति होती है।

Newspoint24/ ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी

 

हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रतिवर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ शारदीय नवरात्रि आरंभ होती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करने के साथ मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा करने का विधान है। मां शैलपुत्री हिमालय राज की पुत्री हैं। देवी के स्वरूप की बात करें, तो वृषभ में सवार है। उनके दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल है। माना जाता है कि मां शैलपुत्री की विधिवत पूजा करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि, धन-संपदा की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं मां शैलपुत्री की पूजा विधि, मंत्र, भोग से लेकर अन्य जानकारी।

 

400 साल बन रहा अद्भुत योग

इस साल शारदीय नवरात्रि में करीब 400 सालों बाद अद्भुत योग बन रहा है। जब एक नहीं बल्कि 9 शुभ योग बन रहे हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, नवरात्रि के पहले दिन हर्ष, शंख, भद्र, पर्वत, शुभ कर्तरी, उभयचरी, सुमुख, गजकेसरी और पद्म नाम के योग बन रहे हैं। इसके अलावा बुध और सूर्य की युति से बुधादित्य योग भी बन रहा है।

 

कलश

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

घटस्थापना मुहूर्त का आरंभ 15 अक्टूबर, 2023 को सुबह 11 बजकर 44 मिनट से होगा, जो दोपहर 12 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में घटस्थापना की कुल अवधि 46 मिनट है।

 

मां शैलपुत्री पूजा विधि

शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। कलश स्थापना  करने के साथ व्रत का संकल्प लिया जाता है। फिर मां शैलपुत्री को सफेद फूल, माला, सिंदूर, कुमकुम, अक्षत लगाने के साथ सफेद रंग की मिठाई जलाएं। इसके बाद घी का दीपक, धूप जलाने के साथ मां शैलपुत्री मंत्र, स्तोत्र, कवच आदि का पाठ करने के अंत में आरती कर लें और अनजाने में हुई गलतियों के लिए माफी मांग लें। 

 

मां शैलपुत्री भोग

मां शैलपुत्री को सफेद रंग का भोग अतिप्रिय है। इसलिए उनहोंने सफेद रंग के मिष्ठान और घी अर्पित करें।

मां शैलपुत्री के प्रभावशाली मंत्र

1- ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥

2- वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

3- या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

माता शैलपुत्री देवी कवच

ओमकार:में शिर: पातुमूलाधार निवासिनी।
हींकार,पातुललाटेबीजरूपामहेश्वरी॥
श्रीकार:पातुवदनेलज्जारूपामहेश्वरी।
हूंकार:पातुहृदयेतारिणी शक्ति स्वघृत॥
फट्कार:पातुसर्वागेसर्व सिद्धि फलप्रदा।

मां शैलपुत्री की आरती

जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा मूर्ति .
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥1॥

मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को .
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥2॥

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै.
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥3॥

केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी .
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥4॥

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती .
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥5॥

शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती .
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥6॥

चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू.
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥7॥

भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी.
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥8॥

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती .
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥9॥

श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै .
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥10॥

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