सावन के दूसरे सोमवार पर को तीज-त्योहारों का संयोग: जानें हरियाली अमावस्या, कर्क संक्रांति और सोमवार के योग में पूजा-पाठ के साथ कौन-कौन से शुभ काम करें?

सावन के दूसरे सोमवार पर को तीज-त्योहारों का संयोग

Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी

 

17 जुलाई को तीज-त्योहार के नजरिए से कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इस दिन सावन महीने की अमावस्या है, कर्क संक्रांति और सोमवार का शुभ योग है। इन शुभ योगों में पूजा-पाठ के साथ ही दान-पुण्य और दर्शन आदि धर्म-कर्म करेंगे तो अक्षय पुण्य मिल सकता है। अक्षय पुण्य यानी ऐसा पुण्य, जिसका असर जीवनभर बना रहता है।

वाराणसी के ज्योतिषाचार्य पं. बेचन त्रिपाठी  के मुताबिक, जब सोमवार को अमावस्या रहती है तो उसे सोमवती अमावस कहा जाता है। सावन में हरियाली अमावस्या का पर्व मनाया जाता है। ये प्रकृति के प्रति आभार मानने का पर्व है। प्रकृति हमें सांस लेने के लिए हवा, पीने के पानी, खाने के खाना और जीने के जरूरी सभी चीजें देती है। हरियाली अमावस पर प्रकृति को कुछ लौटाने का प्रयास करना चाहिए। प्रकृति हरी-भरी रहे, इसके लिए पौधे लगाएं। ऐसे पौधे लगाएं, जो लंबे समय पर जीवित रहते हैं, जिनकी वजह से प्रकृति में संतुलन बना रहे।

हरियाली अमावस पर करें पितरों के लिए धूप-ध्यान

अमावस्या तिथि पर पितरों के लिए धूप-ध्यान करने की परंपरा है। पितरों के लिए दोपहर में धूप-ध्यान करना चाहिए। इसके लिए गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं और जब कंडे से धुआं निकलना बंद हो जाए, तब अंगारों पर गुड़-घी डालें। हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को चढ़ाएं। इस दिन किसी पवित्र नदी के किनारे पिंडदान भी कर सकते हैं। जरूरतमंद लोगों को धन, कपड़े, जूते-चप्पल और अनाज का दान करें।

सावन सोमवार और अमावस्या पर करें शिव जी का अभिषेक

सावन महीने के इस सोमवार का महत्व काफी अधिक है। इस बार सावन, सोमवार और अमावस्या का योग बना है। इस दिन शिव जी का अभिषेक करें। तांबे के लोटे से जल और चांदी के लोटे से दूध शिवलिंग पर चढ़ाएं। बिल्व पत्रों से श्रृंगार करें। चंदन से तिलक लगाएं। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। इस दिन किसी शिव मंदिर में दर्शन-पूजन भी करें।

कर्क संक्रांति पर करें सूर्य पूजा

सोमवार को सूर्य का कर्क राशि में प्रवेश होगा। ज्योतिष में इसे कर्क संक्रांति कहा जाता है। इस दिन सुबह जल्दी उठें और सूर्य को जल चढ़ाएं। ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें। गुड़ का दान करें।

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