द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर बन रहा सुकर्मा योग, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और व्रत रखने के लाभ

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर बन रहा सुकर्मा योग, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और व्रत रखने के लाभ
शास्त्रों में द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन बप्पा के छठे स्वरूप द्विजप्रिय गणेश की पूजा होती है। साथ ही हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। मान्यता है जो भी व्यक्ति द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर व्रत रखकर भगवान गणेश जी पूजा- अर्चना करता है, उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।

Newspoint24/ ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी 

 

शास्त्रों में द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन बप्पा के छठे स्वरूप द्विजप्रिय गणेश की पूजा होती है। साथ ही हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। मान्यता है जो भी व्यक्ति द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर व्रत रखकर भगवान गणेश जी पूजा- अर्चना करता है, उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। आपको बता दें कि इस बार द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी सुकर्मा योग बन रहा है। जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं तिथि और शुभ मुहूर्त और व्रत रखने के लाभ…

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी तिथि 

वैदिक ज्योतिष अनुसार फाल्गुन कृष्ण संकष्टी चतुर्थी तिथि 09 फरवरी 2023 को सुबह 06 बजकर 22 मिनट से शुरू हो रही है और यह यह अगले दिन 10 फरवरी को सुबह 07 बजकर 58 मिनट पर समाप्त हो रही है। इसलिए द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत 9 फरवरी को मनाई जाएगी।

बन रहा है सुकर्मा योग

वैदिक पंचांग अनुसार इस दिन सुकर्मा योग सुबह से ही लग रहा है और यह शाम 4 बजकर 45 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। ज्योतिष में सुकर्मा योग को महत्वपूर्ण माना गया है। मान्यता है इस इस योग में पूजा का दोगुना फल प्राप्त होता है।

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2023 पूजा मुहूर्त (Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2023 Shubh Muhurat)

पंचांग के मुताबिक 09 फरवरी को सुबह में 07 बजकर 4 मिनट से  08 बजकर 26 मिनट के बीच शुभ उत्तम मुहूर्त है। इसके बाद दोपहर में 12:35 बजे से लेकर 01:58 बजे तक लाभ उन्नति मुहूर्त और 01:59 बजे से लेकर दोपहर 03:22 बजे तक अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त है। इन मुहूर्तों में पूजा कर सकते हैं। व्रत वाले दिन चंद्रमा रात 09:18 बजे उदय होगा।

 

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर व्रत रखने से मिलते हैं ये लाभ

1- गणेश जी विघ्नहर्ता माना गया है। इसलिए अगर आप किसी संकट में फंसे हुए हैं तो इस दिन पूरी श्रद्धा से व्रत रखकर भगवान गणेश की पूजा करें। ऐसा करने से आपको संकटों से मुक्ति मिल सकती है।

2- इस दिन गणेश जी मूर्ति को मुख्य द्वार पर स्थापित करें। ऐसा करने से आपको वास्तु दोष से मुक्ति मिल सकती है। साथ ही घर में सुख- समृद्धि का वास रहेगा।

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