जानें रामायण में ऐसा कौन सा रसायन है जो सभी विभेदों वाली संस्कृतियों को जोड़ने का काम करता है 

ram mandir

Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी

 

अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। आयोजन को लेकर देशभर में ज़ोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। भगवान राम के अस्तित्व का वर्णन रामायण महाकाव्य में है। रामायण एक प्रामाणिक भारतीय महाकाव्य है। विभिन्न समुदायों, संप्रदायों, भाषाओं, क्षेत्रों में रामायण को दोबारा लिखा गया है।

रामकथा कोई भी हो, जनमानस पर उसका प्रभाव अद्भुत है। संस्कृत साहित्य से लेकर आधुनिक साहित्य तक रामकथाएं अनेक रूपों में पाई जाती हैं। न केवल भारत, बल्कि संपूर्ण एशिया राम की कथा से मुग्ध है। कलौगाता में प्रत्येक क्षेत्र की विशेषताओं का वर्णन करते हुए कई प्रांतीय रामकथाएं लिखी गईं।

 रामायण संस्कृत भाषा में है। उसके बाद संस्कृत साहित्य में अनेक रामकथाएं लिखी गईं। इसमें अद्भुत रामायण, आनंद रामायण, अध्यात्म रामायण, वशिष्ठ रामायण जैसी कई राम कथाएं शामिल हैं। भारत विविधताओं से भरा देश है। इसमें सांस्कृतिक एवं भाषाई विविधता शिद्दत से महसूस होती है। यही विविधता भारत की विभिन्न भाषाओं की रामायणों में भी देखी जा सकती है।

वाल्मिकी रामायण

वैसे तो राम कथाएं बहुत हैं लेकिन उनका मूल वाल्मिकी रामायण में है। इसीलिए संस्कृत साहित्य में वाल्मिकी रामायण को प्रथम काव्य और वाल्मिकी ऋषि को प्रथम कवि माना जाता है। मूल वाल्मिकी रामायण संस्कृत भाषा में है। उसके बाद संस्कृत साहित्य में अनेक रामकथाएं लिखी गईं। इसमें अद्भुत रामायण, आनंद रामायण, अध्यात्म रामायण, वशिष्ठ रामायण जैसी कई राम कथाएं शामिल हैं। भारत विविधताओं से भरा देश है। इसमें सांस्कृतिक एवं भाषाई विविधता शिद्दत से महसूस होती है। यही विविधता भारत की विभिन्न भाषाओं की रामायणों में भी देखी जा सकती है।

 

क्षेत्र के अनुसार विभिन्न रामायणें क्या हैं?

हालांकि विभिन्न रामायण कहानियों का मूल एक ही है, कथानक में पात्रों की भूमिका और कार्यों के पीछे का दर्शन क्षेत्रीय विविधताओं के अनुसार भिन्न-भिन्न होते हैं। भारतीय क्षेत्रीय रामायणों में विभिन्न रामायण कहानियाँ शामिल हैं जैसे उत्तर भारत की रामचरितमानस, महाराष्ट्र की भावार्थ रामायण, तमिलनाडु की कंबन रामायण। कई रामकथाएं भारत के बाहर दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में लिखी गईं, जिनमें मजबूत स्थानीय विविधताएं दिखाई देती हैं। मुस्लिम बहुल देश इंडोनेशिया में रचित पारंपरिक रामायण को मुस्लिम भाई समान सम्मान के साथ देश की सांस्कृतिक विरासत के रूप में संजोकर रखते हैं। रामायण देश, धर्म और पंथ से परे है। इसलिए यह जानना जरूरी हो जाता है कि रामायण में ऐसा कौन सा रसायन है जो सभी विभेदों वाली संस्कृतियों को जोड़ने का काम करता है।

मतभेदों से परे रामायण की मजबूत जड़ों का कारण क्या है?

रामायण एक आदर्श महाकाव्य है। मनुष्य को अपना जीवन जीने के लिए सदैव एक आदर्श की आवश्यकता होती है। चाहे कोई व्यक्ति हो, कोई समाज हो, कोई देश हो, कोई भाषा हो, कोई धर्म हो, मनोविज्ञान के अनुसार हर कोई एक आदर्श की आकांक्षा रखता है। वस्तुतः प्रत्येक संस्कृति एक आदर्श जीवन शैली की खोज में रहती है। वस्तुतः मनुष्य यह भी जानता है कि ऐसा आदर्श संसार में कहीं है ही नहीं अथवा बनाना कठिन है। फिर भी उसका मन निरंतर आदर्शों की खोज करता रहता है।

महाकाव्य रामायण से जो आदर्श उभरता है वह जनमानस को अपना प्रतीत होता है और उसी के अनुरूप आचरण नैतिकता की पृष्ठभूमि बन जाता है। रामायण एक आदर्श कथा है। रोजमर्रा की जिंदगी में रिश्तों को कैसे निभाना है इसका अच्छा उदाहरण  रामायण देती है। अत: इस महाकाव्य की भारत तथा भारत के बाहर बड़ी प्रतिष्ठा है।

दर्शनशास्त्र के अनुसार रामायण में क्या अंतर हैं?

हालाँकि रामायण का श्रेय ऋषि वाल्मिकी को दिया जाता है, लेकिन बाद में लिखी गई राम कथाओं को उस तरह से स्वीकार नहीं किया गया है। इन कहानियों में क्षेत्र के अनुसार, भाषा के अनुसार, पंथ के अनुसार, दर्शन के अनुसार परिवर्तन देखने को मिलता है। इन अनेक राम कथाओं में जैन रामायण विशेष रूप से उल्लेखनीय है। आमतौर पर यह माना जाता है कि जैन रामायण भी वैसी ही होगी। लेकिन जैन धर्म से संबंधित अनेक राम कथाएँ लिखी गईं। पउमचरिउ उनमें विशेष रूप से लोकप्रिय है। यह जैन रामायण महाराष्ट्रीयन प्राकृत भाषा में है और इस कथा के रचयिता विमलसूरि हैं। अपभ्रंश भाषा में पउमाचरिउ (पौमाचरियु) आठवीं शताब्दी में महाकवि स्वयंभू द्वारा लिखी गई थी।

यह एक मौलिक रामकथा है लेकिन यह कथा जैन दर्शन के प्रभाव को दर्शाती है। चूंकि जैन दर्शन अहिंसा पर आधारित है, इस कहानी के अनुसार, राम रावण को नहीं मारते, बल्कि लक्ष्मण मारते हैं। इस कथा के अनुसार रावण की बहन चंद्रनखा (शूर्पणखा) के पुत्र शम्बूक के लक्ष्मण द्वारा मारे जाने के बाद रावण सीता का अपहरण कर लेता है। दरअसल, कहानी के मुताबिक, रावण जैन संप्रदाय का मेहमाननवाज़ था। दरअसल, कई जिनालय बनाने वाले भी वहां जाते हैं। इतना ही नहीं इस हिंसा की कीमत लक्ष्मण को नरक में जाकर चुकानी पड़ी। अग्निपरीक्षा के बाद सीता मुनि सर्वभूषण से दीक्षा लेती हैं। तो राम जैन मुनि हैं।

जैन रामायणों में भी भेद

कुमुदेन्दु मुनि द्वारा लिखित कुमुदेन्दु रामायण कर्नाटक क्षेत्र में रचित एक अन्य जैन रामायण है। इन रामकथाओं का काल तेरहवीं शताब्दी का है। इसके अलावा अद्भुत रामायण शाक्त पंथिया देवी के बारे में भावनाओं को व्यक्त करने वाली रामायण है। जाहिर है, उस कहानी में सीता का उल्लेख रावण की बेटी के रूप में किया गया है। इस कहानी में सीता स्वयं रूद्र का रूप धारण करती हैं और शतमुखी रावण का वध करती हैं।

Share this story