शनि की साढ़े साती और महादशा के लिए हनुमान जन्मोत्सव पर करें ये उपाय

शनि का साढ़े साती और ढैया से पाना चाहते हैं मुक्ति, तो हनुमान जन्मोत्सव के दिन करें ये खास उपाय

Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी

Hanuman Janmotsav 2023: पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि के दिन हर साल हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस साल ये पर्व 6 अप्रैल को मनाया जा रहा है।  हिंदू धर्म के लिए यह पर्व काफी खास होता है, क्योंकि इस दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था। हनुमान जन्मोत्सव के दिन बजरंगबली की विधिवत पूजा करने से व्यक्ति को हर संकट से तो छुटकारा मिल ही जाती है। इसके साथ ही शनि देव कभी भी परेशान नहीं करते हैं और शनि की महादशा के अशुभ प्रभाव नहीं पड़ता है। अगर आपकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती, शनि की ढैया या फिर शनि दोष है, तो हनुमान जन्मोत्सव के दिन ज्योतिषीय संबंधी इन उपायों को करना शुभ होगा। इन उपायों को करने से हनुमान जी के साथ-साथ शनिदेव का शुभ प्रभाव पड़ेगा।

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शनि की साढ़े साती और महादशी के लिए हनुमान जन्मोत्सव पर करें ये उपाय

ऐसे जलाएं चमेली का दीपक

अगर आपकी कुंडली में शनि की महादशी चल रही है, तो हनुमान जयंती के दिन बजरंगबली की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखें। इसके साथ ही भगवान के सामने चमेली के तेल का दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। ऐसा करने से शनि की महादशा के साथ-साथ साढ़ेसाती के दुष्प्रभाव कम हो जाएंगे।

हनुमान जी को लगाएं ये भोग

हनुमान जन्मोत्सव के दिन हनुमान जी को चने और बूंदी का भोग लगाना चाहिए। ये चीजें बजरंगबली को अतिप्रिय है। इसके बाद में इस भोग को हर किसी को बांट दें। ऐसा करने से शनि की महादशा कम हो जाएगी।

जलाएं सरसों के तेल का दीपक

शनि का साढ़े साती और ढैया के अशुभ फलों को कम करने के लिए हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं और इसमें 2 लौंग भी डाल दें। इसके बाद हनुमानाष्टक का पाठ कर लें।

चढ़ाएं पान का बीड़ा

हनुमान जन्मोत्सव पर हनुमानजी को लौंग वाला पान का बीड़ा चढ़ाएं। इसके साथ ही एक बादाम भी अर्पित करें। इसके बाद आधा बादाम लेकर एक काले  रंग के कपड़े में बांध दें और इसे घर की दक्षिण दिशा में ऐसे रख दें कि किसी की नजर न पड़े। इसके बाद हनुमान जयंती के दूसरे दिन इस कपड़े को चुपचाप ले जाकर शनि मंदिर में रख दें।  ऐसा करने से शनि की साढ़े साती और ढैय्या के दुष्प्रभाव कम हो जाएंगे।

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