आज का पंचांग शनिवार 11 जून 2022 ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष, एकादशी तिथि 05:45 प्रातः तक उपरांत द्वादशी , निर्जला एकादशी पारण, गायत्री जयन्ती, त्रिविक्रम द्वादशी

Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी
आज का पंचांग शनिवार 11 जून 2022
ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को त्रिविक्रम द्वादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत किया जाता है। इस पर्व के दौरान मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और यमुना नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि ऐसा करने से गोमेध यज्ञ का पुण्य मिलता है। इस दिन भगवान के वामन या त्रिविक्रम रूप की पूजा करना चाहिए। साथ ही पानी से भरे मटके के साथ दक्षिणा भी देनी चाहिए।
शनिवार 11 जून 2022 का पंचांग
11 जून 2022, दिन शनिवार को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि रहेगी। इसे त्रिविक्रम द्वादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। शनिवार को सूर्योदय स्वाती नक्षत्र में होगा, जो पूरे दिन रहेगा। शनिवार को स्वाती नक्षत्र होने से सिद्धि नाम का शुभ योग इस दिन बन रहा है। इस दिन राहुकाल सुबह 9:05 से 10:46 तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें।
ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार से होगी...
शनिवार को चंद्रमा तुला राशि में, सूर्य और बुध वृषभ राशि में, राहु मेष राशि में, केतु तुला राशि में, मंगल, गुरु और शु्क्र मीन में और शनि कुंभ राशि में रहेंगे। शनिवार को पूर्व दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए। पूर्व दिशा में यात्रा करना पड़े तो अदरक, उड़द या तिल खाकर घर से निकलें।
शनिवार 11 जून 2022 के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रम संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- ज्येष्ठ
पक्ष- शुक्ल
दिन- शनिवार
ऋतु- ग्रीष्म
नक्षत्र- स्वाती
करण- बव और बालव
सूर्योदय - 05:07 प्रातः
सूर्यास्त - 06:48 सायं
चन्द्रोदय - 03:27 दोपहर
चन्द्रास्त - 02:57 रात्रि , जून 12
अभिजीत मुहूर्त - 11:30 दोपहर पूर्व से 12:25 दोपहर
शनिवार 11 जून 2022 का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
राहुकाल सुबह 9:05 से 10:46 तक
यम गण्ड - 2:07 दोपहर – 3:47 दोपहर
कुलिक - 5:44 प्रातः – 7:24 प्रातः
दुर्मुहूर्त - 07:31 प्रातः – 08:25 प्रातः
वर्ज्यम् - 07:12 प्रातः – 08:39 प्रातः
आकाश मंडल का 15वां नक्षत्र है स्वाती, राहु है इसका स्वामी
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, स्वाती नक्षत्र का स्वामी राहु और नक्षत्र देवता वायु है। ये आकाश मंडल का 15वां नक्षत्र है। स्वाती का अर्थ स्वतंत्र है। स्वाति नक्षत्र पर तुला राशि तथा इस राशि के स्वामी ग्रह शुक्र का भी प्रभाव पड़ता है। शुक्र की ये विशेषताएं स्वाति नक्षत्र के माध्यम से प्रदर्शित होती हैं। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग संगीत और कला के प्रति आकर्षित होते हैं। यह हंसमुख होते हैं। इनकी दोस्ती का दायरा बड़ा होता है। धर्म-कर्म में इनकी खासी रूचि होती है। ये लोग परिश्रमी होते हैं और अपनी मेहनत के बल ही सफलता प्राप्त करते हैं।