आज का पंचांग बृहस्पतिवार 30 जून 2022 आषाढ़ शुक्ल पक्ष, प्रतिपदा , आषाढ़ नवरात्रि, चन्द्र दर्शन, गुरु पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग

Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी
आज का पंचांग बृहस्पतिवार 30 जून 2022
गुप्त नवरात्रि आज से
30 जून 2022 , बृहस्पतिवार को आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। इसी दिन से गुप्त नवरात्रि का शुरूआत होगी। वैसे तो साल में 4 नवरात्रि होती है। इनमें से 2 प्रकट और 2 गुप्त होती है। आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इन 9 दिनों में शिव-शक्ति के संहारक गणों की पूजा की जाती है। तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए भी ये गुप्त नवरात्रि बहुत खास मानी जाती है।
30 जून 2022 , बृहस्पतिवार का पंचांग
30 जून 2022, दिन गुरुवार को आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। इस दिन से ही गुप्त नवरात्रि का आरंभ होगा। इस दिन सूर्योदय पुनर्वसु नक्षत्र में होगा, जो रात अंत तक रहेगा। गुरुवार को पुनर्वसु नक्षत्र होने से सिद्धि नाम का शुभ योग इस दिन बन रहा है। इस दिन राहुकाल दोपहर 2:11 से 3:51 तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें।
ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार से होगी...
गुरुवार की शाम को चंद्रमा राशि बदलकर मिथुन से कर्क राशि में प्रवेश करेगा। इस दिन मंगल और राहु मेष राशि में, सूर्य मिथुन राशि में, बुध और शुक्र वृषभ राशि में, केतु तुला राशि में, गुरु मीन में और शनि कुंभ राशि में रहेंगे। मंगलवार को उत्तर दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए। यदि निकलना पड़े तो गुड़ खाकर यात्रा पर जाना चाहिए।
30 जून 2022 , बृहस्पतिवार के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रम संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- आषाढ़
पक्ष- शुक्ल
दिन- गुरुवार
ऋतु- वर्षा
नक्षत्र- पुनर्वसु
करण- बव और बालव
सूर्योदय - 05:11 प्रातः
सूर्यास्त - 06:52 सायं
चन्द्रोदय - 05:52 प्रातः
चन्द्रास्त - 08:07 रात्रि
अभिजीत मुहूर्त- 12:03 दोपहर – 12:57 दोपहर
चन्द्र राशि मिथुन - 06:23 सायं तक उपरांत कर्क
सूर्य राशि मिथुन
गुरु पुष्य योग 01:07 रात्रि , जुलाई 01 से 05:11 प्रातः , जुलाई 01
सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन
विजय मुहूर्त 02:19 दोपहर से 03:13 दोपहर
30 जून 2022 , बृहस्पतिवार का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
राहुकाल दोपहर 2:11 से 3:51 तक रहेगा
यम गण्ड - 5:48 प्रातः – 7:28 प्रातः
कुलिक - 9:09 प्रातः – 10:49 प्रातः
दुर्मुहूर्त - 10:16 प्रातः – 11:10 प्रातः और 03:38 दोपहर – 04:31दोपहर
वर्ज्यम् - 10:03 प्रातः – 11:51 प्रातः
निवास और शूल
होमाहुति सूर्य
दिशा शूल दक्षिण
अग्निवास पृथ्वी
चन्द्र वास पश्चिम - 06:23 सायं तक उपरांत उत्तर - 06:23 रात्रि से पूर्ण रात्रि तक
राहु वास दक्षिण
शिववास श्मशान में - 10:49 प्रातः तक उपरांत गौरी संग
सातवां करण है विष्टि, इसे भद्रा भी कहते हैं
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पंचांग 5 अंगों से मिलकर बनता है, इनमें से करण भी एक है। कुल 11 करण बताए गए हैं, इनमें से विष्टि सातवां है। इसे शुभ नहीं माना जाता। इसके प्रभाव में शुभता में कमी आती है। इस करण को भद्रा के नाम से भी जाना गया है। ज्योतिष के अनुसार भद्रा जब पृथ्वी पर होती है तो शुभ कार्यों में बाधा पहुंचाती है। इस करण में जन्में लोग निडर होते हैं। सेहत को लेकर इन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ये अनैतिक कामों की ओर जल्दी ही आकर्षित हो जाते हैं। इन्हें लोगों के साथ घुलना-मिलना पसंद नहीं होता।