आज का पंचांग गुरुवार 23 जून 2022 आषाढ़ कृष्ण पक्ष, दशमी  भद्रा, पञ्चक, गण्ड मूल, सर्वार्थ सिद्धि योग

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गुरुवार को चंद्रमा मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य मिथुन राशि में, बुध और शुक्र वृषभ राशि में, राहु मेष राशि में, केतु तुला राशि में, मंगल व गुरु मीन में और शनि कुंभ राशि में रहेंगे।

गुरुवार को दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए। यदि करनी पड़े तो दही या जीरा मुंह में डाल कर निकलें।

Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी 

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आज का पंचांग गुरुवार 23 जून 2022  


गुरुवार 23 जून 2022 का पंचांग 
23 जून 2022, दिन गुरुवार को आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि रहेगी। इस दिन सूर्योदय रेवती नक्षत्र में होगा जो सुबह 10.12 तक रहेगा, इसके बाद अश्विनी आरंभ होगा, जो रात अंत तक रहेगा। गुरुवार को पहले रेवती नक्षत्र होने से मित्र और उसके बाद अश्विनी नक्षत्र होने से मानस नाम के 2 शुभ योग इस दिन बन रहे हैं। इस दिन राहुकाल दोपहर 02:09 से 03:50 तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें।   

ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार से होगी...
गुरुवार को चंद्रमा मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य मिथुन राशि में, बुध और शुक्र वृषभ राशि में, राहु मेष राशि में, केतु तुला राशि में, मंगल व गुरु मीन में और शनि कुंभ राशि में रहेंगे। गुरुवार को दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए। यदि करनी पड़े तो दही या जीरा मुंह में डाल कर निकलें।

 

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गुरुवार 23 जून 2022 के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रम संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- आषाढ़
पक्ष- कृष्ण
दिन- गुरुवार
ऋतु- वर्षा
नक्षत्र- रेवती और अश्विनी
करण- वणिज और विष्टि
सूर्योदय - 05:09 प्रातः 
सूर्यास्त - 06:52 सायं 
चन्द्रोदय - 01:38 रात्रि , जून 24
चन्द्रास्त - 2:24 दोपहर  
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12.02 से 12.55
चन्द्र राशि    मीन - 06:14 प्रातः तक उपरांत मेष
सूर्य राशि    मिथुन

गुरुवार 23 जून 2022 का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
राहुकाल दोपहर 02:09 से 03:50 तक
यम गण्ड - 5:46 प्रातः  – 7:26 प्रातः 
कुलिक - 9:07 प्रातः – 10:48 प्रातः
दुर्मुहूर्त - 10:14 प्रातः – 11:08 प्रातः और 03:36 दोपहर  – 04:30 दोपहर 
वर्ज्यम् - 03:45 दोपहर – 05:29 दोपहर

निवास और शूल
होमाहुति    राहु
दिशा शूल    दक्षिण
अग्निवास    पृथ्वी
चन्द्र वास    उत्तर - 06:14 प्रातः तक उपरांत पूर्व - 06:14 प्रातः से पूर्ण रात्रि तक
भद्रावास    स्वर्ग - 09:08 प्रातः  से 09:41 रात्रि तक
राहु वास    दक्षिण
शिववास    क्रीड़ा में - 09:41 रात्रि तक उपरांत कैलाश पर

रेवती नक्षत्र के देवता हैं पूषा और स्वामी बुध
ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 नक्षत्र बताए गए हैं, इनमें से रेवती अंतिम नक्षत्र है। इस नक्षत्र के देवता पूषा  हैं तथा नक्षत्र स्वामी बुध है। इस नक्षत्र में जन्में लोग अपने जीवन के 23वें वर्ष से 26वें  वर्ष तक काफी पॉजिटिव रहते हैं और इसके बाद इनका कुछ रुकावटों भरा होता है जो कि 42वें वर्ष तक रहता है। इस नक्षत्र में जन्में लोगों का कद माध्यम होता है। ये किसी की ज़रा सी विपरीत बात सहन नहीं कर पाते और आत्म नियंत्रण खो देते हैं। साहसिक कार्य करने की ललक सदा ही इनमें रहती है।

टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में वाराणसी, भारत के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
 

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