आज का पंचांग रविवार 05 जून 2022 ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष, षष्ठी  स्कन्द षष्ठी, गण्ड मूल, रवि योग 

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Newspoint24/ ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी 

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आज का पंचांग रविवार 05 जून 2022  

5 जून 2022, दिन रविवार को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि रहेगी। रविवार को सूर्योदय अश्लेषा नक्षत्र में होगा, जो पूरे दिन रहेगा। रविवार को अश्लेषा नक्षत्र होने से वज्र नाम का अशुभ योग इस दिन बन रहा है।

5 जून 2022 का पंचांग  
5 जून 2022, दिन रविवार को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि रहेगी। रविवार को सूर्योदय अश्लेषा नक्षत्र में होगा, जो पूरे दिन रहेगा। रविवार को अश्लेषा नक्षत्र होने से वज्र नाम का अशुभ योग इस दिन बन रहा है। इस दिन राहुकाल शाम 05:26 सायं  से 07:06 सायं  तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें।   

ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार से होगी 

रविवार को शनि कुंभ राशि में चाल बदलकर मार्गी से वक्री हो जाएगा यानी टेढ़ी चाल चलने लगेगा। शाम को चंद्रमा राशि परिवर्तन कर कर्क से सिंह में प्रवेश करेगा। इस दिन सूर्य और बुध वृषभ राशि में, राहु मेष राशि में, केतु तुला राशि में, मंगल, गुरु और शु्क्र मीन में और शनि कुंभ राशि में रहेंगे। रविवार को पश्चिम दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। यदि करनी पड़े तो दलिया, घी या पान खाकर ही घर से निकलें।

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रविवार 05 जून 2022  के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रमी संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- ज्येष्ठ
पक्ष- शुक्ल
दिन- रविवार
ऋतु- ग्रीष्म
नक्षत्र- अश्लेषा
करण- कौलव और तैतिल
सूर्योदय - 5:07 प्रातः 
सूर्यास्त - 6 :46 सायं 
चन्द्रोदय - 09:46 प्रातः 
चन्द्रास्त - 11:29 पी एम
अभिजीत मुहूर्त - 11:58 दोपहर पूर्व से  - 12:51 दोपहर 
चन्द्र राशि    कर्क - 12:25 रात्रि , जून 06 तक उपरांत सिंह
सूर्य राशि    वृषभ


निवास और शूल
होमाहुति    बुध - 12:25 रात्रि , जून 06 तक उपरांत शुक्र
दिशा शूल    पश्चिम
चन्द्र वास    उत्तर - 12:25 रात्रि , जून 06 तक उपरांत पूर्व - 12:25 रात्रि , जून 06 से पूर्ण रात्रि तक
अग्निवास    पृथ्वी
राहु वास    उत्तर
शिववास नंदी पर 

5 जून का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
राहुकाल शाम 05:26 सायं  से 07:06 सायं 
यम गण्ड - 12:25 दोपहर – 2:05 दोपहर
कुलिक - 3:45 दोपहर – 5:26 सायं 
दुर्मुहूर्त - 05:19 सायं  – 06:12 सायं 
वर्ज्यम् - 01:25 दोपहर – 03:09 दोपहर

कैसे तैयार होता है पंचांग? 
पंचांग मुख्य रूप से 5 अंगों से मिलकर बना होता है। ये हैं करण, तिथि, नक्षत्र, वार और योग। तिथि का आधा भाग करण कहलाता है। कुल 11 करण होते हैं। चन्द्र रेखांक को सूर्य रेखांक से 12 अंश ऊपर जाने के लिए जो समय लगता है, वह तिथि कहलाती है। आकाश मंडल में एक तारा समूह को नक्षत्र कहा जाता है। इसमें 27 नक्षत्र होते हैं और नौ ग्रहों को इन नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। पंचांग के अनुसार, एक सप्ताह में सात वार होते हैं। नक्षत्र की ही तरह योग भी 27 प्रकार के होते हैं। 

अश्लेषा मंडल का नौवां नक्षत्र है अश्लेषा
आकाश मंडल का नौवां नक्षत्र है अश्लेषा। इसका अर्थ है आलिंगन करना। अश्लेषा नक्षत्र के समूह में 6 तारे हैं जो कि चक्राकार हैं। मतांतर से इसे सर्पाकार भी माना जाता है। अश्लेषा नक्षत्र के तारा चक्र को सर्पराज वासुकी के सिर में स्थान मिला है इसका संबंध सर्प की कुंडली से है। अश्लेषा नक्षत्र में जन्में लोग सफल व्यापारी, वकील, भाषण कला में निपुण होते हैं। ये लोग ईमानदार तो होते ही हैं, लेकिन ये आसानी से किसी पर विश्वास नहीं करते हैं। ये हठीले और जिद्दी स्वभाव के होते हैं।

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