आज का पंचांग रविवार 04 सितंबर 2022 भाद्रपद शुक्ल पक्ष, अष्टमी, राधा अष्टमी, ज्येष्ठ गौरी पूजा, मासिक दुर्गाष्टमी,  गण्ड मूल, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग

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Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी 

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आज का पंचांग रविवार 04 सितंबर 2022  

आज करें राधा अष्टमी का व्रत
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को  राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये एक 4 सितंबर, रविवार को मनाया जाएगा। राधा अष्टमी का व्रत करने से प्रभु श्री कृष्णा की कृपा के साथ साथ राधा रानी का आशीर्वाद मिलता है ,जिससे जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है। इस पर्व को देश के सभी हिस्सों में मनाया जाता है।

4 सितंबर का पंचांग  
4 सितंबर 2022, दिन रविवार को भाद्रमास मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 10:39 सुबह तक रहेगी। इसके बाद नवमी तिथि शुरू हो जाएगी। इस दिन राधा अष्टमी पर्व मनाया जाएगा। रविवार को को सूर्योदय ज्येष्ठा नक्षत्र में होगा, जो रात्रि 9 :43 तक रहेगा। रविवार को ज्येष्ठा नक्षत्र होने से विष्कम्भ नाम का अशुभ योग दिन 02:24 दोपहर तक रहेगा। इसके बाद प्रीति योग रहेगा। राहुकाल सायं 4:40 से 06:14 तक रहेगा।

ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार रहेगी...
रविवार को चंद्रमा वृश्चिक राशि में, शुक्र और सूर्य धनु राशि में, बुध कन्या राशि में, मंगल वृष राशि में, शनि मकर राशि में (वक्री), राहु मेष राशि में, गुरु मीन राशि में (वक्री) और केतु तुला राशि में रहेंगे।रविवार में यात्रा करने से बचना चाहिए।यदि करनी पड़े तो दलिया, घी या पान खाकर ही घर से निकलें।

4 सितंबर के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रम संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- भादौ
पक्ष- शुक्ल
दिन- रविवार
ऋतु- वर्षा
नक्षत्र- ज्येष्ठा
करण- बव और बालव
सूर्योदय - 05:40 प्रातः 
सूर्यास्त - 6:38 सायं 
चन्द्रोदय - सितंबर 04 01:09 सायं 
चन्द्रास्त - सितंबर 05 11:47 रात्रि 
तिथि    अष्टमी - 10:39 प्रातः तक उपरांत नवमी
नक्षत्र    ज्येष्ठा - 09:43 रात्रि तक उपरांत मूल
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:01 से 12:50 तक


4 सितंबर का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
राहुकाल सायं 4:40 से 06:14 तक रहेगा
यम गण्ड - 12:25 दोपहर  – 1:58 दोपहर 
कुलिक - 3:31 दोपहर – 5:05 सायं 
दुर्मुहूर्त - 04:58 सायं  – 05:48 सायं 
वर्ज्यम् - 06:36 सायं  – 08:05 रात्रि 

निवास और शूल
होमाहुति    शुक्र
दिशा शूल    पश्चिम
अग्निवास    पाताल - 10:39 प्राथ तक उपरांत पृथ्वी
नक्षत्र शूल    पूर्व - 09:43 रात्रि तक उपरांत 
चन्द्र वास    उत्तर - 09:43 रात्रि तक उपरांत पूर्व - 09:43 रात्रि से पूर्ण रात्रि तक
राहु वास    उत्तर
शिववास    श्मशान में - 10:39 प्रातः तक उपरांत गौरी के साथ

देवी पार्वती को समर्पित है तृतीया तिथि 
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कृष्ण और शुक्ल पक्ष मिलाकर कुल 16 तिथियां होती हैं। इनमें से 1 से लेकर 14 तक की तिथियां समान होती हैं। इनमें से तीसरी तिथि को तृतीया कहते हैं। इस तिथि की स्वामिनी देवी गौरी हैं। इस तिथि को जया तिथि यानी शुभ तिथि माना गया है। अपने नाम के अनुरुप ये तिथि कार्यों में विजय प्रदान कराने वाली होती है। इस तिथि में कोर्ट-कचहरी के मामले निपटाना, शस्त्र खरीदना, वाहन खरीदना जैसे काम करना अच्छा माना जाता है।
 
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