आज का पंचांग शनिवार 3 सितंबर 2022 भाद्रपद शुक्ल पक्ष, सप्तमी,  ललिता सप्तमी, ज्येष्ठ गौरी आवाहन, महालक्ष्मी व्रत आरम्भ, दूर्वा अष्टमी 

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Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी 

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आज का पंचांग शनिवार 3 सितंबर 2022

आज करें संतान सप्तमी का व्रत
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को संतान सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये एक 3 सितंबर, शनिवार को मनाया जाएगा। संतान सप्तमी का व्रत संतान की लंबी उम्र और उसकी अच्छी सेहत के लिए किया जाता है। इस पर्व को देश के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न नामों से मनाया जाता है।

शनिवार 3 सितंबर 2022 का पंचांग  
3 सितंबर 2022, दिन शनिवार को भाद्रमास मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि दोपहर 12:28 तक रहेगी। इसके बाद अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी, जो रात अंत तक रहेगी। इस दिन संतान सप्तमी का पर्व मनाया जाएगा। शनिवार को सूर्योदय अनुराधा नक्षत्र में होगा, जो दिन भर रहेगा। शनिवार को अनुराधा नक्षत्र होने से अमृत नाम का शुभ योग दिन भर रहेगा। इसके अलावा वैधृति और विष्कुंभ नाम के 2 अन्य योग भी इस दिन रहेंगे। राहुकाल सुबह 09:19 से 10:52 तक रहेगा।

ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार रहेगी...
शनिवार को चंद्रमा वृश्चिक राशि में, शुक्र और सूर्य सिंह राशि में, बुध कन्या राशि में, मंगल वृष राशि में, शनि मकर राशि में (वक्री), राहु मेष राशि में, गुरु मीन राशि में (वक्री) और केतु तुला राशि में रहेंगे। शनिवार को पूर्व दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए। पूर्व दिशा में यात्रा करना पड़े तो अदरक, उड़द या तिल खाकर घर से निकलें।

शनिवार 3 सितंबर 2022 के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रम संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- भादौ
पक्ष- शुक्ल
दिन- शनिवार
ऋतु- वर्षा
नक्षत्र- अनुराधा
करण- वणिज और विष्टि
सूर्योदय - 05:39 प्रातः 
सूर्यास्त - 06:15 सायं 
चन्द्रोदय - सितंबर 03 12:03 दोपहर 
चन्द्रास्त - सितंबर 03 10:53 रात्रि 
तिथि    सप्तमी - 12:28 दोपहर तक उपरांत अष्टमी
नक्षत्र    अनुराधा - 10:57 रात्रि तक उपरांत ज्येष्ठा
योग    वैधृति - 05:00 सायं तक उपरांत विष्कम्भ
चन्द्र राशि    वृश्चिक
सूर्य राशि    सिंह
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:01 से 12:51 तक
विजय मुहूर्त    02:03 दोपहर से 02:54 दोपहर 
अमृत काल    12:55 दोपहर से 02:28 दोपहर 


शनिवार 3 सितंबर 2022 का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
राहुकाल सुबह 09:19 से 10:52 तक
यम गण्ड - 1:59 दोपहर – 3:32 दोपहर
कुलिक - 6:13 प्रातः  – 7:46 प्रातः 
दुर्मुहूर्त - 07:52 प्रातः  – 08:42 प्रातः 
वर्ज्यम् - 04:16 प्रातः  – 05:47 प्रातः 

निवास और शूल
होमाहुति    शुक्र
दिशा शूल    पूर्व
अग्निवास    पृथ्वी
नक्षत्र शूल    पूर्व - 10:57 रात्रि से पूर्ण रात्रि तक 
भद्रावास    स्वर्ग - 12:28 दोपहर से 11:37 पी एम तक
चन्द्र वास    उत्तर
राहु वास    पूर्व
शिववास    भोजन में - 12:28 दोपहर तक उपरांत श्मशान में

द्वितिया तिथि के स्वामी हैं ब्रह्मा
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कृष्ण और शुक्ल पक्ष मिलाकर कुल 16 तिथियां होती हैं। इनमें से 1 से लेकर 14 तक की तिथियां समान होती हैं। इनमें से दूसरी तिथि को द्वितिया कहते हैं। इसे दूज और बीज भी कहा जाता है। इस तिथि के स्वामी ब्रह्मा हैं। इसका विशेष नाम सुमंगला भी है। यह भद्रा संज्ञक तिथि है। भाद्रपद में यह शून्य संज्ञक होती है। द्वितीया तिथि चन्द्रमा की दूसरी कला है। इस कला का अमृत कृष्ण पक्ष में स्वयं भगवान सूर्य पी कर स्वयं को ऊर्जावान रखते हैं और शुक्ल पक्ष में पुनः चन्द्रमा को लौटा देते हैं।

 

 

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