आज का पंचांग 5 अक्टूबर 2022 बुधवार , आश्विन शुक्ल पक्ष, दशमी, दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी,दिन भर रहेंगे 3 शुभ योग, विद्यारम्भम् का दिन

Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी
आज का पंचांग 5 अक्टूबर 2022 बुधवार
5 अक्टूबर 2022 बुधवार का पंचांग
5 अक्टूबर 2022, दिन बुधवार को आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि दोपहर 12 बजे तक रहेगी। इसके बाद एकादशी तिथि रात अंत तक रहेगी। बुधवार को श्रवण नक्षत्र दिन भर रहेगा। बुधवार को श्रवण नक्षत्र होने से छत्र नाम का शुभ योग दिन भर रहेगा। इसके अलावा सुकर्मा और रवि योग भी इस दिन बन रहे हैं। राहुकाल दोपहर 12:15 से 01:43 तक रहेगा।
ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार रहेगी...
बुधवार को चंद्रमा मकर राशि में, सूर्य, बुध और शुक्र कन्या राशि में, मंगल वृष राशि में, शनि मकर राशि में (वक्री), राहु मेष राशि में, गुरु मीन राशि में (वक्री) और केतु तुला राशि में रहेंगे। बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा करने से बचना चाहिए। यदि निकलना पड़े तो तिल या धनिया खाकर घर से बाहर निकलें।
5 अक्टूबर 2022 बुधवार के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रम संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- आश्विन
पक्ष- शुक्ल
दिन- बुधवार
ऋतु- शरद
नक्षत्र- श्रवण
करण- गर और वणिज
सूर्योदय - 05:52 प्रातः
सूर्यास्त - 05:41 सायं
चन्द्रोदय - अक्टूबर 05 02:56 दोपहर
चन्द्रास्त - अक्टूबर 06 01:59 रात्रि
तिथि दशमी - 12:00 दोपहर तक उपरांत एकादशी
नक्षत्र श्रवण - 09:15 रात्रि तक उपरांत धनिष्ठा
योग सुकर्मा - 08:21 प्रातः तक उपरांत धृति - 05:19 प्रातः , अक्टूबर 06 तक
चन्द्र राशि मकर
सूर्य राशि कन्या
अभिजीत मुहूर्त- इस दिन नहीं है
विजय मुहूर्त 01:44 दोपहर से 02:32 दोपहर
अमृत काल 11:33 दोपहर पूर्व से 01:02 दोपहर
रवि योग 05:52 प्रातः से 09:15 रात्रि
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5 अक्टूबर 2022 बुधवार का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
राहुकाल दोपहर 12:15 से 01:43 तक
यम गण्ड - 7:51 प्रातः – 9:19 प्रातः
कुलिक - 10:47 प्रातः – 12:15 दोपहर
दुर्मुहूर्त - 11:51 दोपहर पूर्व से – 12:38 दोपहर
वर्ज्यम् - 12:59 रात्रि – 02:29 रात्रि
निवास और शूल
होमाहुति शनि
दिशा शूल उत्तर
अग्निवास पृथ्वी
चन्द्र वास दक्षिण
राहु वास दक्षिण-पश्चिम
भद्रावास पाताल - 10:50 दोपहर से पूर्ण रात्रि तक
शिववास सभा में - 12:00 दोपहर तक उपरांत क्रीड़ा में
कितनी तिथियां होती हैं एक महीने में?
पंचांग के अनुसार, कालगणना में 16 तिथियां मानी गई हैं। इनमें से 1 से लेकर 14 तक की तिथियां दोनों पक्ष (शुक्ल व कृष्ण) में एक समान मानी गई है। सिर्फ अंतिम तिथि में ही भेद होता है। कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या होती है और शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पूर्णिमा। हर तिथि का एक अलग देवता होता है जैसे प्रतिपदा यानी प्रथम तिथि के देवता स्वयं अग्निदेव हैं। अष्टमी तिथि के देवता शिवजी और द्वादशी तिथि के देवता भगवान विष्णु।