आज का पंचांग सोमवार 5 सितंबर 2022 ज्येष्ठ गौरी विसर्जन, गण्ड मूल, रवि योग

Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी
आज का पंचांग सोमवार 5 सितंबर 2022
सोमवार 5 सितंबर 2022 का पंचांग
5 सितंबर 2022, दिन सोमवार को भाद्रमास मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि सुबह
08:28 तक रहेगी। इसके बाद दशमी तिथि शुरू हो जाएगी, जो रात अंत तक रहेगी। सोमवार को सूर्योदय मूल नक्षत्र में होगा, जो दिन भर रहेगा। सोमवार को मूल नक्षत्र होने से लुंबक नाम का अशुभ योग दिन भर रहेगा। इसके अलावा प्रीति और आयुष्मान नाम के 2 अन्य शुभ योग भी इस दिन रहेंगे। राहुकाल सुबह 07:46 से 09:19 तक रहेगा।
ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार रहेगी...
सोमवार को चंद्रमा धनु राशि में, शुक्र और सूर्य सिंह राशि में, बुध कन्या राशि में, मंगल वृष राशि में, शनि मकर राशि में (वक्री), राहु मेष राशि में, गुरु मीन राशि में (वक्री) और केतु तुला राशि में रहेंगे। सोमवार को पूर्व दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए। यदि मजबूरी में यात्रा करनी पड़े तो शीशे में अपना चेहरा देखकर या कोई भी पुष्प खा कर घर से निकलना चाहिए।
सोमवार 5 सितंबर 2022 के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रम संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- भादौ
पक्ष- शुक्ल
दिन- सोमवार
ऋतु- वर्षा
नक्षत्र- मूल
करण- कौलव, तैतिल और गर
सूर्योदय - 05:40 प्रातः
सूर्यास्त - 6:13 सायं
चन्द्रोदय - सितंबर 05 2:14 दोपहर
चन्द्रास्त - सितंबर 06 12 :49 दोपहर
तिथि नवमी - 08:27 प्रातः तक उपरांत दशमी
नक्षत्र मूल - 08:06 सायं तक उपरांत पूर्वाषाढा
योग प्रीति - 11:28 दोपहर पूर्व तक आयुष्मान्
चन्द्र राशि धनु
सूर्य राशि सिंह
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 से 12:50 तक
रवि योग पूरे दिन
सोमवार 5 सितंबर 2022 का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
राहुकाल सुबह 07:46 से 09:19 तक
यम गण्ड - 10:52 प्रातः – 12:25 दोपहर तक
कुलिक - 1:58 दोपहर – 3:31 दोपहर तक
दुर्मुहूर्त - 12:50 दोपहर – 01:39 दोपहर और 03:18 दोपहर – 04:08 दोपहर
वर्ज्यम् - 04:55 प्रातः – 06:23 प्रातः
निवास और शूल
होमाहुति शुक्र - 08:06 सायं तक उपरांत शनि
दिशा शूल पूर्व
अग्निवास पृथ्वी - 08:27 प्रातः तक उपरांत आकाश
चन्द्र वास पूर्व
राहु वास उत्तर-पश्चिम
शिववास गौरी के साथ - 08:27 प्रातः तक उपरांत सभा में
चतुर्थी तिथि के स्वामी हैं श्रीगणेश
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कृष्ण और शुक्ल पक्ष मिलाकर कुल 16 तिथियां होती हैं। इनमें से 1 से लेकर 14 तक की तिथियां समान होती हैं। इनमें से चौथी तिथि को चतुर्थी कहते हैं। इस तिथि की स्वामी भगवान श्रीगणेश है क्योंकि इसी तिथि पर इनका जन्म हुआ था। इस तिथि को बहुत ही शुभ माना जाता है। मांगलिक कार्यों के लिए भी ये तिथि शुभ मानी गई है।
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