आज का पंचांग शुक्रवार 3 जून 2022 ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष, चतुर्थी, विनायक चतुर्थी, भद्रा, सर्वार्थ सिद्धि योग

Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी
आज का पंचांग शुक्रवार 3 जून 2022
3 जून 2022, दिन शुक्रवार को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि रहेगी। इस दिन विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। शुक्रवार को सूर्योदय पुनर्वसु नक्षत्र में होगा, जो शाम 04.35 तक रहेगा। इसके बाद पुष्य नक्षत्र रात अंत तक रहेगा। शुक्रवार को पहले पुनर्वसु नक्षत्र होने से लुंबक और उसके बाद पुष्य नक्षत्र होने से उत्पात नाम के 2 अशुभ योग इस दिन बन रहे हैं। इस दिन सर्वार्थसिद्धि नाम का एक शुभ योग भी रहेगा। इस दिन राहुकाल सुबह 10:44 से दोपहर 12:25 तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें।
ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार से होगी...
शुक्रवार को चंद्रमा मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य और बुध ग्रह वृषभ राशि में, राहु मेष राशि में, केतु तुला राशि में, मंगल, गुरु और शु्क्र मीन में और शनि कुंभ राशि में रहेंगे। शुक्रवार को पश्चिम दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। अगर यात्रा करना जरूरी हो तो जौ या राईं खाकर घर से बाहर निकलें।
शुक्रवार 3 जून 2022 का पंचांग
विक्रमी संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- ज्येष्ठ
पक्ष- शुक्ल
दिन- शुक्रवार
ऋतु- ग्रीष्म
नक्षत्र- पुनर्वसु और पुष्य
करण- वणिज और विष्टि
सूर्योदय - 05:07 प्रातः
सूर्यास्त - 06:45 सायं
चन्द्रोदय - 8:32 प्रातः
चन्द्रास्त - 10:34 रात्रि
अभिजीत मुहूर्त - 11:58 दोपहर पूर्व से - 12:51 दोपहर
शुक्रवार 3 जून 2022 का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
राहुकाल सुबह 10:44 से दोपहर 12:25 दोपहर तक
यम गण्ड - 3:45 दोपहर – 5:25 सायं
कुलिक - 7:24 प्रातः – 9:04 प्रातः
दुर्मुहूर्त - 08:24 प्रातः – 09:18 प्रातः और 12:51 दोपहर – 01:45 दोपहर
वर्ज्यम् - 04:02 प्रातः – 05:49 प्रातः
निवास और शूल
होमाहुति बुध
दिशा शूल पश्चिम
अग्निवास पृथ्वी
चन्द्र वास पश्चिम - 12:21 दोपहर तक उपरांत उत्तर - 12:21 दोपहर से पूर्ण रात्रि तक
भद्रावास मृत्यु - 01:30 दोपहर से 02:41 रात्रि , जून 04 तक
राहु वास दक्षिण-पूर्व
शिववास क्रीड़ा में - 02:41 रात्रि , जून 04 तक उपरांत कैलाश पर
आज किया जाएगा विनायकी चतुर्थी व्रत
धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत 3 जून, शुक्रवार को है। इस दिन महिलाएं भगवान श्रीगणेश की पूजा करती हैं और दिन भर उपवास करने के बाद शाम को चंद्रमा के उदय होने पर ही व्रत पूर्ण करती हैं। इस प्रकार विनायकी चतुर्थी का व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग होने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है।
नक्षत्रों का राजा है पुष्य
ज्योतिष शास्त्र में पुष्य को नक्षत्रों का राजा कहा गया है। इसलिए ऋग्वेद में इसे मंगल कर्ता, वृद्धि कर्ता और सुख समृद्धि देने वाला भी कहा गया है। पुष्य नक्षत्र के देवता बृहस्पति माने गए हैं और शनि को इस नक्षत्र का दिशा प्रतिनिधि माना जाता है। बृहस्पति से शुभता, बुद्धिमत्ता और ज्ञान मिलती है जबकि शनि स्थायित्व के प्रतीक हैं, इसलिए इन दोनों का योग मिलकर पुष्य नक्षत्र को शुभ और चिर स्थायी बना देता हैं। पुष्य-नक्षत्र में खोई हुई कोई भी चीज जल्दी ही मिल जाती है। पुष्य नक्षत्र में विवाह को छोड़ सभी मांगलिक काम किए जा सकते हैं।