आज का पंचांग शुक्रवार 17 जून 2022 आषाढ़ कृष्ण पक्ष, तृतीया 06:10 प्रातः तक उपरांत चतुर्थी , कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी व्रत

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सूर्योदय उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में होगा, जो दोपहर 02.18 तक रहेगा। इसके बाद श्रवण नक्षत्र रात अंत तक रहेगा। शुक्रवार को पहले उत्तराषाढ़ा नक्षत्र होने से आनंद नाम का शुभ योग और इसके बाद श्रवण नक्षत्र होने से धूम्र नाम का अशुभ योग इस दिन बन रहा है।

इस दिन राहुकाल सुबह 10:47 से दोपहर 12:27 तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें।

Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी 

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आज का पंचांग शुक्रवार 17 जून 2022  

आज किया जाएगा कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी व्रत
आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी व्रत कहा जाता है। इस बार ये व्रत 17 जून, शुक्रवार को है। इस दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा विशेष रूप से की जाती है और व्रत भी किया जाता है। रात को चंद्रमा के उदय होने के बाद अर्घ्य देने पर ये व्रत पूर्ण होता है। इस बार संकष्टी चतुर्थी व्रत पर सर्वार्थसिद्धि नाम का शुभ योग भी रहेगा, जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से परेशानियां दूर होती हैं।

शुक्रवार 17 जून 2022 का पंचांग 
17 जून 2022, दिन शुक्रवार को आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि सुबह 06.11 तक रहेगी, इसके बाद चतुर्थी तिथि आरंभ हो जाएगी। इस दिन सूर्योदय उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में होगा, जो दोपहर 02.18 तक रहेगा। इसके बाद श्रवण नक्षत्र रात अंत तक रहेगा। शुक्रवार को पहले उत्तराषाढ़ा नक्षत्र होने से आनंद नाम का शुभ योग और इसके बाद श्रवण नक्षत्र होने से धूम्र नाम का अशुभ योग इस दिन बन रहा है। इस दिन राहुकाल सुबह 10:47 से दोपहर 12:27 तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें।   

ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार से होगी...
शुक्रवार को चंद्रमा मकर राशि में, सूर्य मिथुन राशि में, बुध वृषभ राशि में, राहु और शुक्र मेष राशि में, केतु तुला राशि में, मंगल व गुरु मीन में और शनि कुंभ राशि में रहेंगे। शुक्रवार को पश्चिम दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। अगर यात्रा करना जरूरी हो तो जौ या राईं खाकर घर से बाहर निकलें।

शुक्रवार 17 जून 2022 के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रम संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- आषाढ़
पक्ष- कृष्ण
दिन- शुक्रवार
ऋतु- ग्रीष्म
नक्षत्र- उत्तराषाढ़ा और श्रवण
करण- बव और बालव
सूर्योदय - 05:08 प्रातः 
सूर्यास्त - 07:10 सायं 
चन्द्रोदय - 10:27 रात्रि 
चन्द्रास्त - 09:35 प्रातः  
अभिजीत मुहूर्त - 12:00 दोपहर से 12:54 दोपहर 
चन्द्र राशि    मकर
सूर्य राशि    मिथुन

शुक्रवार 17 जून 2022 का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
राहुकाल सुबह 10:47 से दोपहर पूर्व से 12:27 दोपहर
यम गण्ड - 3:49 दोपहर – 5:29 दोपहर
कुलिक - 7:25 प्रातः  – 9:06 प्रातः 
दुर्मुहूर्त - 08:26 प्रातः  – 09:19 प्रातः  और 12:54 दोपहर – 01:48 दोपहर
वर्ज्यम् - 01:33 दोपहर – 03:00 दोपहर

निवास और शूल
होमाहुति    मंगल
दिशा शूल    पश्चिम
अग्निवास    आकाश - 06:10 प्रातः तक उपरांत पाताल - 02:59 रात्रि , जून 18 तक उपरांत पृथ्वी
चन्द्र वास    दक्षिण
राहु वास    दक्षिण-पूर्व
भद्रावास    पाताल - 06:10 प्रातः तक  
शिववास    क्रीड़ा में - 06:10 प्रातः तक उपरांत कैलाश पर 02:59 रात्रि , जून 18 तक उपरांत नन्दी पर


21वां नक्षत्र है उत्तराषाढ़ा, सूर्य हैं इसके स्वामी
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, उत्तराषाढ़ा आकाश मंडल का 21वां नक्षत्र है। इसके स्वामी सूर्यदेव हैं। पूर्वाषाढ़ा हाथी का बायां दांत है तो उत्तराषाढ़ा को दायां दांत मानते हैं। दस विश्वदेवों को उत्तराषाढ़ा का अधिपति देवता माना गया है। इसका प्रथम चरण भे नाम से धनुराशि में आता है। सूर्य अत्यंत तेजस्वी ग्रह होकर आत्मा का कारक भी है। अग्नि तत्व व राशि भी अग्नि तत्व होने से इसका प्रभाव व्यक्ति पर ग्रह स्थितिनुसार अधिक पड़ता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाला व्यक्ति पढ़ाई में अव्वल रहता है और इसी से अपने भविष्य का निर्माण भी करता है। इस नक्षत्र में लोग राजनीति, जज, आईएएस ऑफिसर, सीए आदि क्षेत्र में सफल होते हैं।

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