आज का पंचांग 28 सितंबर 2022 बुधवार, आश्विन शुक्ल पक्ष, तृतीया, नवरात्रि के तीसरे दिन करें देवी चंद्रघंटा की आराधना 

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Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी 

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आज का पंचांग 28 सितंबर 2022 बुधवार 

नवरात्रि के तीसरे दिन करें देवी चंद्रघंटा की पूजा
आज (28 सितंबर, बुधवार) शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन है। इस दिन देवी दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है। देवी चंद्रघंटा के मस्तक पर अर्धचंद्र विराजमान है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा गया है। देवी का वाहन शेर है। इनकी 10 भुजाएं हैं जिनमें कमल फूल, धनुष, जप माला, तीर, त्रिशूल, गदा, कमंडल और तलवार है। भक्तों के लिए माता का यह स्वरूप बेहद कल्याणकारी है। 

28 सितंबर 2022 बुधवार का पंचांग (Aaj Ka Panchang 28 september 2022)
28 सितंबर 2022, दिन बुधवार को आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पूरे दिन रहेगी। ये शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन रहेगा। इस दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी। बुधवार को स्वाति नक्षत्र पूरे दिन रहेगा। बुधवार और स्वाति नक्षत्र के योग से धूम्र नाम का अशुभ योग इस दिन बनेगा। इसके अलावा इस दिन वैधृति और विषकुंभ नाम के 2 अन्य योग भी रहेंगे। राहुकाल दोपहर 12:17 से से 01:46 तक रहेगा।

ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार रहेगी...
बुधवार को चंद्रमा तुला राशि में, सूर्य, बुध और शुक्र कन्या राशि में, मंगल वृष राशि में, शनि मकर राशि में (वक्री), राहु मेष राशि में, गुरु मीन राशि में (वक्री) और केतु तुला राशि में रहेंगे। बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा करने से बचना चाहिए। यदि निकलना पड़े तो तिल या धनिया खाकर घर से बाहर निकलें।

28 सितंबर 2022 बुधवार के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रम संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- आश्विन
पक्ष-शुक्ल
दिन- बुधवार
ऋतु- शरद
नक्षत्र- स्वाति
करण- तैतिल और गर
सूर्योदय - 05:49 प्रातः 
सूर्यास्त - 05:48 सायं 
चन्द्रोदय - सितंबर 28 07:52 प्रातः 
चन्द्रास्त - सितंबर 28 07:26 सायं 
तिथि    तृतीया - 01:27 रात्रि , सितम्बर 29 तक उपरांत चतुर्थी
नक्षत्र    चित्रा - 06:14 प्रातः तक उपरांत स्वाती
योग    वैधृति - 03:07 प्रातः , सितम्बर 29 तक उपरांत विष्कम्भ
अभिजीत मुहूर्त- इस दिन नहीं है
चन्द्र राशि    तुला
सूर्य राशि    कन्या

28 सितंबर 2022 बुधवार का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
राहुकाल दोपहर 12:17 से से 01:46 तक
यम गण्ड - 7:50 प्रातः  – 9:19 प्रातः 
कुलिक - 10:48 प्रातः – 12:17 दोपहर 
दुर्मुहूर्त - 11:53 दोपहर पूर्व से  – 12:41 दोपहर
वर्ज्यम् - 11:19 दोपहर पूर्व से – 12:52 दोपहर

निवास और शूल
होमाहुति    सूर्य
दिशा शूल    उत्तर
अग्निवास    पृथ्वी - 01:27 रात्रि , सितम्बर 29 तक उपरांत आकाश
चन्द्र वास    पश्चिम
राहु वास    दक्षिण-पश्चिम
शिववास    सभा में - 01:27 रात्रि , सितम्बर 29 तक उपरांत क्रीड़ा में

क्या होता है गुलिक काल?
हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले मुहूर्त जरूर देखा जाता है। ज्योतिष शास्त्र में कुछ ऐसे समय भी बताए गए हैं, जिसमें शुभ कार्य करना निषेध है। गुलिक काल भी इनमें से एक है। गुलिक काल सप्ताह के प्रत्येक दिन लगभग 1 घंटे 30 मिनट का समय होता है। ये भी राहुकाल की तरह अशुभ समय माना जाता है। इसलिए इस दौरान किसी भी तरह का मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए।

 

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