आज का पंचांग 19 सितंबर 2022, सोमवार आश्विन कृष्ण पक्ष, नवमी, नवमी श्राद्ध 

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Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी 

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आज का पंचांग 19 सितंबर 2022, सोमवार
 

19 सितंबर 2022, सोमवार का पंचांग  
19 सितंबर 2022, दिन सोमवार को आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि शाम 07 बजे तक रहेगी, इसके बाद दशमी तिथि आरंभ हो जाएगी। इस दिन मातृ नवमी श्राद्ध किया जाएगा। सोमवार को पहले आर्द्रा नक्षत्र शाम 6 बजे तक रहेगा, इसके बाद पुनर्वसु नक्षत्र रात अंत तक रहेगा। सोमवार को पहले आर्द्रा नक्षत्र होने से कालदण्ड और उसके बाद पुनर्वसु नक्षत्र होने से धूम्र नाम से 2 अशुभ योग इस दिन बनेंगे। इसके अलावा व्यातिपात और वरियान नाम के 2 अन्य योग भी रहेंगे। इस दिन राहुकाल सुबह 07:48 से 09:19 तक रहेगा।

ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार रहेगी...
सोमवार को सूर्य और बुध कन्या राशि में, चंद्रमा मिथुन में, शुक्र सिंह राशि में, मंगल वृष राशि में, शनि मकर राशि में (वक्री), राहु मेष राशि में, गुरु मीन राशि में (वक्री) और केतु तुला राशि में रहेंगे। सोमवार को पूर्व दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए। यदि मजबूरी में यात्रा करनी पड़े तो शीशे में अपना चेहरा देखकर या कोई भी पुष्प खा कर घर से निकलना चाहिए।

19 सितंबर 2022, सोमवार के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रम संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- आश्विन
पक्ष-कृष्ण
दिन- सोमवार
ऋतु- शरद
नक्षत्र- आर्द्रा और पुनर्वसु
करण- गर और वणिज
सूर्योदय - 05:45 प्रातः 
सूर्यास्त - 05:58 सायं 
चन्द्रोदय - सितंबर 19 12:25 रात्रि 
चन्द्रास्त - सितंबर 19 01:56 दोपहर 
अभिजीत मुहूर्त- 11:56 दोपहर पूर्व से 12:45 दोपहर

19 सितंबर 2022, सोमवार का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
राहुकाल सुबह 07:48 से 09:19 तक
यम गण्ड - 10:49 प्रातः  – 12:20 दोपहर 
कुलिक - 1:51 दोपहर – 3:21 दोपहर
दुर्मुहूर्त - 12:44 दोपहर – 01:33 दोपहर और 03:09 दोपहर – 03:58 दोपहर
वर्ज्यम् - 07:39 प्रातः  – 09:26 प्रातः 

निवास और शूल
होमाहुति    राहु
दिशा शूल    पूर्व
अग्निवास    पृथ्वी
चन्द्र वास    पश्चिम
राहु वास    उत्तर-पश्चिम
शिववास    सभा में - 07:01 सायं तक उपरांत क्रीड़ा में 

पंचांग 5 अंगों से मिलकर तैयार होता है
ज्योतिषियों के मुताबिक तिथि का आधा भाग करण कहलाता है। कुल 11 करण होते हैं- बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न। तिथि की बात की जाए तो चन्द्र रेखांक को सूर्य रेखांक से 12 अंश ऊपर जाने के लिए जो समय लगता है, वह तिथि कहलाती है। तिथि कुल 16 होती है। आकाश में दिखाई देने वाले तारों के समूह को नक्षत्र कहा जाता है। इसमें 27 नक्षत्र होते हैं। एक सप्ताह में सात वार होते हैं। नक्षत्र की ही तरह योग भी 27 प्रकार के होते हैं।

 

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